85 साल की अम्मा करती हैं इडली का बिजनेस, कीमत सिर्फ 1 रुपए, पढ़िए इनकी इंस्पायरिंग स्टोरी
punjabkesari.in Tuesday, Mar 10, 2020 - 04:41 PM (IST)
कहते हैं कि अगर आपमें कुछ करने की इच्छा व लगन है तो आपके लिए कोई भी काम मुश्किल नहीं है और इसकी जीती-जागती मिसाल है, तमिलनाडु की रहने वाली 85 साल की कमलाथल।
अम्मा को लोग प्यार से कमलाथल दादी भी कहते हैं। 85 की उम्र में भी अम्मा लोगों को इडली बनाकर खिलाती हैं और बड़ी बात तो यह है कि वह इडली के घोल से लेकर इसे पकाने तक का सारा काम खुद करती हैं इसलिए तो उनके हाथ की बनी इडली खाने के लिए लोग दूर-दूर से आते हैं।
चलिए आपको बताते हैं कि दादी अम्मा ने इडली का काम शुरु करने की पूरी स्टोरी
इडली की कीमत सिर्फ 1 रुपए
दादी अम्मा पिछले 30 सालों से इडली बनाने का काम कर रही हैं और एक इडली की कीमत सिर्फ 1 रुपए है जिसके साथ वह सांभर व चटनी भी खाने के लिए देती हैं। सुबह 6 बजे ही उनके दरवाजे पर लोगों की भीड़ लगनी शुरु हो जाती है इसलिए वह इडली का बैटर रात को ही तैयार कर लेती है ताकि वह सुबह बिना देरी किए इडली बना सके। वहां के लोग कमलाथल के हाथ की बनी इडली का नाश्ता कर अपने दिन की शुरुआत करना पसंद करते हैं।
सिलबट्टे पर खुद बनाती है चटनी
अम्मा, सुबह सूरज उगने से पहले उठ कर नहा धोकर अपनी पूजा करके बेटे के साथ खेतों में चली जाती हैं। वहां से ताजी सब्जियां लेकर आती हैं उन्हें खुद काटती हैं। उसके बाद वह अपने हाथों से सिलबट्टे पर चटनी बनाती हैं। वह किसी की मदद लिए बिना चूल्हे का सारा काम खुद करती है। उन्हें 6 किलो चावल व उड़द दाल पीसने में कम से कम 4 घंटे लग जाते हैं और ऐसा ही हर रोज उनकी यहीं रुटीन चलती हैं।
हर रोज बनाती है 1000 इडली
वह सुबह से लेकर दोपहर तक, इडली बेचती है। इस दौरान वह रोजाना 1000 के करीब इडली बेच देती हैं। एक बार में उनके इडली मेकर में 37 इडलियां बन जाती हैं और ऐसे ही एक बाद एक करके इडली बनाती जाती हैं।
पिछले कुछ सालों से नही बढ़ाए है दाम
मजे की बात तो यह है कि दादी की इस टेस्टी इडली की कीमत सिर्फ 1 रुपया है जबकि 10 साल पहले वह एक इडली 50 पैसे की बेचती थी। उनके अनुसार मजदूरों को 15 से 20 रूपए नाश्ते की प्लेट महंगी पड़ती है। इसलिए इडली के दाम सिर्फ 1 रुपया है। इतनी सस्ती इडली बेचने के बाद भी वह हर रोज 200 रुपए का मुनाफा कमा लेते है।
दादी का काम के प्रति यह उत्साह हर किसी को प्रेरित करता है। दादी की तरह महिलाएं खुद को अपने आप पर ही आत्म निर्भर कर सकती हैं। वहीं जो लोग यह सोचते हैं कि एक उम्र के बाद आप अपने अंदर का हुनर नहीं दिखा सकती उनके लिए भी यह अच्छी उदाहरण है कि सीखने और कुछ करने की कोई उम्र नहीं होती। हमारी ओर से भी दादी अम्मा के इस हुनर को सलाम।
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