मरते-मरते रतनी दे गई 3 लोगों को जीवनदान, खुद के दुपट्टे ने ही ली थी जान

punjabkesari.in Thursday, Sep 05, 2019 - 06:32 PM (IST)

मरने के बाद जब किसी व्यक्ति के आर्गन किसी दूसरे व्यक्ति की बॉडी में ट्रांसप्लांट किए जाते है तो उससे उस व्यक्ति को नई जिदंगी मिल जाती हैं। ऐसी ही एक घटना चंडीगढ़ पीजीआई में हुई यहां पर एक वृद्ध महिला मरते हुए 1 नही बल्कि 3 लोगों को नई जिदंगी दे गई। इन लोगों को नई जिदंगी में देने में चंड़ीगढ़ पुलिस का भी अहम रोल रहा। पुलिस की मदद से पीजीआई से एयरपोर्ट तक आर्गन पहुंचाने के लिए डेढ़ घंटे की जगह सिर्फ 18 मिनट ही लगे। चलिए बताते है आपको क्या है पूरी घटना.... 

खुद की दुपट्टे में फंस कर गई थी जान

जालंधर के दयालपुर की रहने वाली 65 वर्षीय रतनी दुपट्टे में फंस कर गिर गई थी। जिस कारण उनके सिर पर काफी गंभीर चोट आई थी। जिसके बाद उन्हें इलाज के लिए डीएमसी लुधियाना में भर्ती करवाया गया लेकिन वहां पर सुधार न होने पर पीजीआई ले जाया गया। काफी प्रयास करने के बाद भी उनकी जान न बच सकी व उनकी मृत्यु हो गई। उनकी मृत्यु होने के बाद जब ट्रांसप्लांट कोऑर्डिनेटर ने उनके बेटे देशराज को अंगदान करने के लिए प्रेरित किया तो वह मान गए।

मरते- मरते 3 लोगों को दी नई जिदंगी 

परिवार की सहमति के साथ रतनी देवी का लिवर, किडनी, व कॉर्निया सुरक्षित निकाल कर दान दे दिए गए। परिवार द्वारा उठाए गए इस एक कदम ने 3 लोगों को नई जिदंगी दे दी। यह आर्गेन पीजीआई में भर्ती दो मरीजों व जयपुर एनआइएमएस में भर्ती एक मरीज में ट्रांसप्लांट किया गया है। नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइसेंज जयपुर के एक मरीज का ग्रुप इस लीवर पर मैच होने पर डिमांड की गई तो तत्काल में ही इसे वहां भेजा गया। 

ट्रैफिक पुलिस ने भी निभाया बड़ा रोल 

ट्रैफिक पुलिस ने इस काम में रोल अदा करते हुए ग्रीन कॉरिडोर बना दिया ताकि कम समय में आर्गन जयपुर पहुंच सके। उनकी इस मदद के कारण पीजीआई से एयरपोर्ट का डेढ़ घंटे का रस्ता 18 मिनट में ही तय हो गया।  चंडीगढ़ ट्रैफिक पुलिस को जैसे ही इस बारे में सूचना मिली तो उन्होंने पीजीआई से एयरपोर्ट तक ग्रीन कॉरिडोर बना दिया। पुलिस द्वारा पिछले 5 सालो में ऐसा 31 बार ग्रीन कॉरिडोर बनाया गया है। 

 

 

Content Writer

khushboo aggarwal