नए घर में प्रवेश करने जा रहे हैं, जरूर रखें इन वास्तु नियमों का ध्यान
punjabkesari.in Wednesday, Jun 18, 2025 - 03:56 PM (IST)

नारी डेस्क: वास्तु शास्त्र हमारे देश की एक प्राचीन विद्या है, जो आज पूरी दुनिया में लोकप्रिय हो चुकी है। यह घर को इस तरह बनाने और सजाने की विधा है जिससे जीवन में सकारात्मक ऊर्जा, सुख-शांति, अच्छा स्वास्थ्य और सफलता बनी रहे। वास्तु शास्त्र के अनुसार यदि घर का निर्माण और डिजाइन सही दिशा में हो तो यह नकारात्मकता को दूर कर सकारात्मकता को बढ़ाता है। गलत वास्तु के कारण व्यक्ति को बीमारियों, पारिवारिक तनाव, धन हानि और करियर में रुकावट जैसी समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है।
घर बनाने से पहले वास्तु सलाह क्यों जरूरी है?
किसी भी घर का निर्माण शुरू करने से पहले वास्तु विशेषज्ञ की सलाह लेना जरूरी है। इससे न केवल घर में शांति बनी रहती है, बल्कि घर के सभी सदस्यों का स्वास्थ्य और मानसिक संतुलन भी अच्छा रहता है।
दीवारों पर पेंट करने से पहले वास्तु का ध्यान रखें
रंगों का हमारी भावनाओं और ऊर्जा से गहरा संबंध होता है। दीवारों का रंग तय करते समय पहले वास्तु ग्रिड का विश्लेषण करें और फिर वास्तु पुरुष मंडल के अनुसार रंग चुनें। कौन से रंग किस दिशा में न लगाएं, उत्तर दिशा: लाल और पीले रंग से बचें। दक्षिण और दक्षिण-पूर्व दिशा: नीले रंग से परहेज करें। गलत रंगों का प्रयोग करने से वास्तु दोष हो सकता है, जिससे घर में अशांति और परेशानियां हो सकती हैं।
घर के फर्नीचर की सही व्यवस्था
फर्नीचर का स्थान वास्तु अनुसार तय करें। घर में फर्नीचर दक्षिण या दक्षिण-पूर्व दिशा में त्रिकोण आकार में रखना शुभ होता है। उत्तर दिशा की ओर मुख करके त्रिकोणीय या गोल आकार से बचें। लकड़ी का फर्नीचर उत्तर, पूर्व और दक्षिण दिशा में रखा जा सकता है। धातु (metal) का फर्नीचर पश्चिम दिशा में रखना बेहतर होता है।
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पौधों का सही चुनाव और दिशा
सजावट के साथ वास्तु संतुलन भी रखें। बहुत अधिक पौधे घर में न रखें, इससे ऊर्जा असंतुलित हो सकती है। कैक्टस, कांटेदार पौधे या सफेद दूध छोड़ने वाले पौधे घर में न लगाएं। इनडोर पौधों को पूर्व या दक्षिण दिशा की खिड़कियों के पास लगाएं।
घर के लिए जरूरी वास्तु टिप्स
मुख्य द्वार: मुख्य द्वार को हमेशा शुभ दिशा में रखें। नैऋत्य कोण (South-West) में दरवाजा बनवाने से बचें।
बेडरुम: बेडरूम दक्षिण-पश्चिम या उत्तर-पश्चिम दिशा में होना चाहिए।
रसोईघर: रसोई आग्नेय कोण (South-East) या वायव्य कोण (North-West) में होनी चाहिए। उत्तर-पूर्व या दक्षिण-पश्चिम दिशा में रसोई न बनाएं।
पूजा कक्ष: घर के उत्तर-पूर्व (North-East) कोने में पूजा कक्ष बनाना शुभ होता है। इससे सकारात्मक ऊर्जा बढ़ती है।
ब्रह्मस्थान को खाली रखें: घर का केंद्र स्थान ब्रह्मस्थान कहलाता है। इस जगह पर न तो दीवार बनानी चाहिए और न ही कोई भारी फर्नीचर या स्तंभ होना चाहिए। इसे हमेशा खाली और साफ़ रखें।
अगर आप चाहते हैं कि आपका घर हमेशा खुशियों और सकारात्मकता से भरा रहे, तो घर बनाते समय या उसे सजाते समय वास्तु शास्त्र के नियमों का पालन जरूर करें। यह न केवल आपके जीवन में संतुलन लाता है, बल्कि परिवार के हर सदस्य के स्वास्थ्य, धन और संबंधों को भी बेहतर बनाता है।