गरीब और आदिवासी का जीवन जी कर भी नहीं मानी हार, वो महिला आज है सबसे उच्च स्थान पर
punjabkesari.in Friday, Dec 12, 2025 - 01:59 PM (IST)
नारी डेस्क : भारत की राजनीति और सामाजिक इतिहास में 2025 एक महत्वपूर्ण वर्ष रहा, जिसने द्रौपदी मुर्मू के अद्भुत सफर को और भी उजागर किया। ओड़िशा के एक दूरदराज़ के आदिवासी गांव से निकलकर देश के सर्वोच्च संवैधानिक पद तक पहुंचने वाली द्रौपदी मुर्मू ने साबित कर दिया कि दृढ़ता, मेहनत और समर्पण से कोई भी सपना सच किया जा सकता है।
एक प्रेरक यात्रा
द्रौपदी मुर्मू का जीवन संघर्ष और उपलब्धियों का प्रतीक है। गरीब और आदिवासी पृष्ठभूमि से आने के बावजूद, उन्होंने शिक्षा, समाज सेवा और राजनीति के क्षेत्र में अपनी पहचान बनाई। उनकी यह यात्रा सिर्फ एक व्यक्तिगत उपलब्धि नहीं है, बल्कि पूरे आदिवासी समुदाय और महिलाओं के लिए प्रेरणा का स्रोत भी है।
15वीं राष्ट्रपति और पहली आदिवासी महिला
2025 में द्रौपदी मुर्मू भारत की 15वीं राष्ट्रपति बनीं और इतिहास की पहली आदिवासी महिला के रूप में यह पद संभाला। इस उपलब्धि ने उन्हें न सिर्फ राजनीतिक परिदृश्य में, बल्कि सामाजिक और सांस्कृतिक स्तर पर भी एक प्रतीक बना दिया। उन्होंने अपने पद का इस्तेमाल भारत की सांस्कृतिक विविधता, आदिवासी विरासत और संवैधानिक मूल्यों को आगे बढ़ाने के लिए किया।
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साधारण जीवन, असाधारण नेतृत्व
द्रौपदी मुर्मू ने हमेशा अपनी सादगी और शांत दृढ़ता से काम किया। उनकी सार्वजनिक जीवन की शैली ने उन्हें जनता के बीच विश्वास और सम्मान दिलाया। उनका नेतृत्व यह दिखाता है कि सच्ची शक्ति केवल पद से नहीं, बल्कि नैतिकता, न्याय और जनता के प्रति सेवा भाव से आती है।
महिला नेतृत्व और प्रेरणा
फेमिना की Fab List ने 2025 में उन महिलाओं को उजागर किया जो अपने संघर्षों को पार करके असाधारण उपलब्धियों तक पहुंची हैं। द्रौपदी मुर्मू न केवल आदिवासी और महिलाओं के लिए प्रेरणा हैं, बल्कि पूरे देश के लिए यह संदेश देती हैं कि कठिन परिस्थितियों में भी डटकर खड़ा होना और सेवा भाव रखना सबसे बड़ा योगदान है।
द्रौपदी मुर्मू की यात्रा यह साबित करती है कि सपने, संघर्ष और दृढ़ निश्चय से कोई भी बाधा पार की जा सकती है। 2025 उनके लिए एक ऐसा वर्ष रहा जिसने न केवल उनके नेतृत्व को उजागर किया, बल्कि देश को याद दिलाया कि भारत की शक्ति उसकी विविधता, उसकी महिलाएं और उसके आदिवासी समुदाय में भी निहित है।
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