इंस्पायरिंग स्टोरी: आज्जी का बिजनेस, भूखों का पेट भरने के लिए 10 रु. में  देती हैं डोसा-इडली

punjabkesari.in Thursday, Aug 27, 2020 - 05:40 PM (IST)

अगर कुछ कर दिखाने की इच्छा और लगन हो तो कोई भी काम मुश्किल नहीं होता। मुश्किलें तो हर किसी की जिंदगी में आती हैं। तमाम बाधाओं के बाद भी यह उम्मीद कि "सब ठीक हो जाएगा " ही आगे बढ़ने की हिम्मत देता है। ऐसी ही कहानी है नागपुर की 'डोसा आज्जी' की, जो अपनी परेशानियों को हराते हुए लाखों लोगों के लिए मिसाल बन गई है।

जिंदगी में आई मुसीबतें लेकिन नहीं मानी हार

नागपुर की रहने वाली 62 वर्षीय 'डोसा आज्जी' यानि शारदा जी की जिंदगी किसी नर्क से कम नहीं थी। बुरी शादी, मां की मौत जैसी परेशानियां झेलने के बाद भी उन्होंने हिम्मत नहीं हारी। यही नहीं, उनकी जिंदगी में ऐसे दिन भी आए जब उन्हें खाने को रोटी भी नहीं मिलती थी लेकिन वह कभी भी अपने परेशानियों से मुंह नहीं मोड़ती थी बल्कि डटकर उसका सामना करती थी।

परिवार का पेट भरने के लिए खोला था स्टॉल

परिवार का पेट पालने के लिए उन्होंने 2004 में एक स्टॉल खोला और इडली व डोसा बनाकर बेचने लगी। परिवार की गुजर-बसर के लिए खोला गया आज्जी का यह स्टॉल कर देशभर में फेमस हो गया है। वह महज 2 रुपए में इडली-डोसा बनाकर बेचने लगी।

महज 10 रुपए है इडली-डोसे की कीमत

उन्होंने स्कूल के बच्चों और मजदूरों के लिए स्टॉल खोला था। बढ़ती महंगाई के चलते उन्होंने 2 डोसा और 4 इडली कीमत 2 से 4 रुपए कर दी। एक इंटरव्यू के दौरान आज्जी ने बताया कि एक दिन में उनकी दुकान पर करीब 40 कस्टमर्स आ जाते हैं। इसे महीनेभर में उनकी कमाई 10 हजार तक हो जाती है।

लोगों का पेट भरकर मिलती है खुशी

वह अपनी कमाई का काफी हिस्सा सब्जियां और बाकी सामान लाने में खर्च कर देती हैं। उनका कहना है कि उन्हें मुनाफे की फ्रिक नहीं बल्कि वह भूख का एहसास अच्छी तरह जानती है इसलिए लोगों का पेट भरकर उन्हें खुशी मिलती है और वह इसे अपना ईनाम समझती हैं।

बुढ़ापे में भी लोगों का पेट भरने की चिंता

दिन-रात मेहनत कर आज्जी ने अपने बेटे को भी पढ़ाया-लिखाया। उनके बेटे की शादी हो चुकी है, जिसकी एक बेटी है लेकिन बुढ़ापे में भी आज्जी अपने पोतियों के साथ समय बिताने की बजाए स्टॉल लगाकर लोगों का पेट भरती हैं।

वाकई... डोसी आज्जी यानि शारदा जी इंसानियत की जीती-जाती मिसाल हैं, जिससे हर किसी को प्ररेणा लेनी चाहिए।

Content Writer

Anjali Rajput