डॉक्टर्स डे : ऐसे 2 डॉक्टर जो फ्री इलाज के साथ मरीजों को बनाते है आत्मनिर्भर

punjabkesari.in Monday, Jul 01, 2019 - 04:13 PM (IST)

डॉक्टर्स न केवल मरीज का इलाज करते है बल्कि उन्हें नई जिदंगी देते है, ताकि वह अपने साथ दूसरों के लिए कुछ कर सकें। डॉक्टर्स उन्हें जिदंगी में आगे बढ़ने के लिए दिशा देते है, जो कि उनके जीवन को बदल देती हैं। आज डॉक्टर्स मरीजों का मुफ्त इलाज कर उन्हें आर्थिक सहायता देने के साथ जीवन में आत्मनिर्भर बनने में भी मदद कर रहे हैं। 

भारत के मशहूर डॉक्टर डॉ. बिधान चंद्र राय को श्रद्धांजलि देने के लिए एक जुलाई को डॉक्टर्स डे मनाया जाता है। इस डॉक्टर्स डे पर हम आपको दो ऐसे डॉक्टर्स के बारे बताएंगे जो कि न केवल लोगो की नया जीवन देते है बल्कि उनके जीवन को नई दिशा भी देते हैं।

डॉ. योगी ऐरन ( प्लास्टिक सर्जन) 

देहरादून में रहने वाले 80 साल के एक प्लास्टिक सर्जन डॉ. योगी ऐरन ने अपना पूरा जीवन आग में झुलसे लोगों व जंगली जानवरों के लिए समर्पित कर दिया हैं। पहाड़ों की तरफ रह रहे लोगों  में कई ऐसे लोग है जिनका चेहरा आग के कारण झुलस जाता है, शरीर विकृत होता है उनके पास ऐसे में प्लास्टिक सर्जरी के इलावा कोई ओर ऑप्शन नहीं होता हैं। ऐसे अमेरिका में रह चुके डॉ. योगी उनके लिए किसी भगवान से कम नही हैं। डॉ योगी ने 1966 से 1984 तक अमेरिका में प्रेक्टिस की हैं। जिस कारण काफी डॉक्टर उनके साथ जुड़े हुए हैं। 

एक साल में करते है 500 फ्री सर्जरी 

डॉ. योगी अलग अलग गांवों में जाकर कैंप लगाते हैं। कई जगहों पर 15 - 15 दिन तक कैंप चलता हैं। एक साल में तकरीबन 500 के करीब मुफ्त सर्जरी करते हैं। जिसमें उनका एक असिस्टेंट पिछले 25 साल से उनका साथ दे रहा हैं। अब असिस्टेंट का बेटा भी उनके साथ ही हैं। इस कैंप में अमेरिका से 15 डॉक्टर की टीम भी आकर भाग लेती हैं, जो कि सबका फ्री इलाज करती हैं। 

हिमालय के पिछड़े गावों को देते है पहले 

 डॉ. योगी हिमालय की तरफ के उन गांवों को चुनते है यहां पर मेडिकल की सुविधा आसानी से नहीं पहुंचती हैं। इन गांवों में वह डॉक्टर्स के साथ मिलकर रोज की तकरीबन 10 सर्जरियां करते हैं। उनका मानना है कि लोगों की ओर से दी जाने वाली दुआ व उनके चेहरे पर आने वाली मुस्कान ही उनके लिए सबसे बड़ी कमाई हैं। 

डॉ. किरण मार्टिन ( बाल रोग विशेषज्ञ ) 

60 साल की बाल रोग विशेषज्ञ डॉ. किरण मार्टिन ने दिल्ली  के मुल्लाना आजाद मेडिकल कॉलेज से मेडिकल की शिक्षा हासिल की हैं। जिन्होंने अपना सारा जीवन स्लम एरिया में रह रहे बच्चों व लोगों को समर्पित कर दिया। उन्होंने न केवल वहां के लोगों को स्वस्थ के प्रति जागरुक किया बल्कि उन्हें आत्मनिर्भर बनना भी सिखाया। इस काम में उनकी कम्यूनिटी व भारत सरकार ने भी उनका काफी योगदान दिया। अपने इस कार्य के लिए उन्हें भारत सरकार से पदमश्री के साथ  कई तरह के आवार्ड मिल चुके हैं। 

एक मेज व कुर्सी से की शुरुआत 

1988 में जब डॉ. किरण जब कॉलरा फैलने के कारण स्लम एरिया में पहुंची थी उस समय उऩ्होंने वहां पर अपनी सेवा देने के बारे में सोचा। तब उऩ्होंने एक पेड़ के नीचे कुर्सी व मेज रख कर क्लीनिक की शुरुआत की थी। इस समय डॉ. किरण दिल्ली के 91 स्लम एरिया के 7 लाख के करीब लोगों को सेवाएं दे रही हैं। 

आशा संगठन की हुई शुरुआत 

इसके बाद उन्होंने इस काम को आगे बढ़ाते हुए आशा नाम के संगठन की शुरुआत की। इसमें महिलाओं को ट्रेनिंग देकर उन्हें कम्युनिटी हेल्थ वर्कर बनाया गया। इन महिलाओं को प्रशिक्षित करने के बाद फर्स्ट एड बॉक्स दिया जाता हैं। जिससे वह बीमारी व उसके संक्रमण को रोकने के लिए प्राथमिक उपचार कर सकें। यह टीम उस एरिया की बाकी महिलाओं को बच्चों व परिवार को पोषित रखते की जानकारी देती हैं। 

लोगों को बनाया आत्मनिर्भर 

किसी गंभीर बीमारी के दौरान आशा वर्कर लैब संभाल कर उसका इलाज करती हैं। उन्हें ईसीजी, एक्सरे की सुविधा दी जाती हैं। डॉ. किरण ने वहां के गरीब लोगों के लिए अलग अलग तरह की कई सुविधाएं शुरु करवाई जिसमें पानी के लिए हैंडपंप, फाइनेंस स्कीम, खाते खुलवाए। इसके साथ ही झोपड़ी में रह रहे बच्चों को रोजगार देने व शिक्षा देने का भी काम किया जा रहा हैं।

 

Content Writer

khushboo aggarwal