क्या आप जानते है प्लास्टिक के सामान पर लिखे इस कोड का मतलब?

punjabkesari.in Sunday, Oct 06, 2019 - 08:03 AM (IST)

देश को स्वच्छ बनाने के लिए देशभर में विभिन्न लोगों व संस्थाओं द्वारा प्लास्टिक का प्रयोग कम करने के बारे में जागरुक किया जा रहा है। प्लास्टिक सेहत के साथ पर्यावरण के लिए बहुत ही हानिकारक है। मार्किट में पानी, सॉफ्ट ड्रिंक्स की मिलने वाली बोतलों को ज्यादातर लोग दोबारा इस्तेमाल करते है लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि इन प्लास्टिक की बोतलों या समान को कब तक प्रयोग में लाना चाहिए। 

 

प्लास्टिक की चीजों पर होता है रेजीन आइडेंटि‍फिकेशन कोड (RIC)

प्लास्टिक की बोतलों व अन्य समान के नीचे त्रिभुज आकार में एक चिन्ह बना होता है, जिसमें कुछ अंक लिखे हुए होते है। यह रेजीन आइडेंटि‍फिकेशन कोड (RIC) कोड होता है। जिसकी शुरुआत सोसायटी ऑफ द प्लास्टिक्स इंडस्ट्री ने की थी। यह अंतरराष्ट्रीय मानक संगठन ASTM की देखरेख में काम करता है। जिससे पता लगता है कि इन चीजों को हम कितने बार या कितनी देर तक इस्तेमाल कर सकते हैं। रेजीन का अर्त राल या पदार्थ होता है जिससे प्लास्टिक की चीजे बनती हैं। 

1 से 7 तक होते है कोड

प्लास्टिक की बनी इन वस्तुओं पर 1 से लेकर 7 तक के कोड होते है। 1 से लेकर 6 तक के कोड स्पेसिफिक प्लास्टिक पॉलीमर की पुष्टि करते है व कोड 7 एक जनरल कैटेगिरी होती है। अगर किसी प्लास्टिक पर 2,4 या 5 कोड लिखा होता है तो यह प्लास्टिक अन्य के मुकाबले काफी अच्छा होता है। 


कोड 1 यानी PET या PETE

यह कोट आमतौर पर ड्रिंक्स वाली बोतल, कंटेनर, ओवन-ट्रे, डिटर्जेंट और क्लीनर आदि के कंटेनर पर लिखा होता है। इस प्लास्टिक पॉलिमर  का इस्तेमाल लिक्विड क्रिस्टल डिस्प्ले, गिटार, पियानो आदि की फिनिशिंग के लिए भी किया जाता है। यह  सिंगल यूज या यूज एंड थ्रो प्लास्टिक होता है। अधिक समय तक इसमें ज्यादा ठंडा या गर्म लिक्विड का इस्तेमाल करने से इसमें से एंटीमनी नाम का पदार्थ रिसने लगता है।  

कोड 2 यानी HDPE

एचडीपीई यानि की हाई डेंसिटी पॉलीएथिलीन। इस प्लास्टिक पॉलीमर का इस्तेमाल प्लास्टिक बैग, दूध के पैकेट्स बनाने में किया जाता है। जिसे रीसाइकल भी किया जा सकता हैं लेकिन सूरज की रोरशनी में रहने के कारण इसमें से नोनिलफेनॉल निकलने लगता है जो कि हार्मोनल समस्याएं पैदा करता हैं। 

कोड 3 यानी PVC

पीवीसी यानि की पॉलीविनाइल क्लोराइड। इसका इस्तेमाल पाइप व प्लंबिंग जैसे कामों में किया जाता है। इसमें खाने का समान रखना सेहत के लिए अच्छा नही होता है लेकिन फिर भी इसका इस्तेमाल खिलौने, शैंपू की बोतल, माउथ वॉश की बोतल, डिटर्जेंटव क्लीनर की बोतल बनाने में किया जाता है।

कोड 4 यानी LDPE

एलडीपीई यानि की लॉ डेंसिटी पॉलीएथिलीन। इसका इस्तेमाल आमतौर पर पैकेज, खाने व दवा की पैकेजिंग के लिए किया जाता है। यह फ्लेक्सिबल व पतला होता है लेकिन इसमें किसी चीज को स्टोर करना सुरक्षित रहता हैं लेकिन इसे रीसाइकल नही किया जा सकता है। जिस कारण यह हमारे पर्यावरण के लिए काफी नुकसानदायक होता है लेकिन इसे फूड आइटम्स व लिक्विड कंटेनर के लिए सुरक्षित प्लास्टिक होता है।

कोड 5 यानी PP

पीपी यानि की प्रो-पॉलीप्रोपाइलीन। इसका प्रयोग दही का कप, पानी की बोतलें, केचप की बोतल, दवा के कंटेनर बनाने के लिए किया जाता है। इसका प्रयोग माइक्रोवेव ओवन में भोजन गर्म करने वाले कंटेनर बनाने के लिए भी किया जाता हैं। यह न केवल स्टोरेज के लिए अच्छा होता है इसे रीसाइकल भी किया जा सकता है।

कोड 6 यानी PS

पीएस यानि की पॉलीस्टायर्न। इसका इस्तेमाल डिस्पोपजेबल प्लास्टिक कप, प्लेट्स, अंडे के कार्टन, बाइक हेलमेट बनाने के लिए किया जाता है लेकिन यह पर्यावरण के लिए काफी हानिकारक माना जाता है क्योंकि गर्म होने के बाद इसमें से जहरीले पदार्थों का रिसाव होता है।

कोड 7

इस में वह प्लास्टिक शामिल होता है जो कि 1 से 6 की श्रेणी में शामिल नही होता है। जिसे  पॉलीकर्बोनेट कहते है।  इस तरह के प्लास्टिक पर पीसी लिखा होता है।

Content Writer

khushboo aggarwal