Ashadha मास के शुरू होते ही सो जाते हैं सृष्टि के पालनहार भगवान विष्णु! ना कराएं शादी जैसे शुभ कार्य

punjabkesari.in Wednesday, Jun 07, 2023 - 05:23 PM (IST)

जेष्ठ महीना 4 जून को खत्म हो गया है और अब आषाढ़ मास की शुरुआत होगी। आषाढ़ महीने का हिंदू धर्म में खास महत्व रखता है। इस महीने अपना अलग धार्मिक महत्व रखता है। शास्त्रों के मुताबिक इस महीने की शुरुआत होते ही देव गहन निद्रा में सो जाते हैं और वह देवउठनी एकादशी पर 4 महीने बाद ही उठते हैं। यह महीना भगवान शिव और श्रीहरि की पूजा के लिए बहुत ही खास है। कई अहम त्योहार भी इसे महीने में आने वाले हैं। आषाढ़ महीने में देवशयनी एकादशी आती है और जगन्नाथ रथ के साथ गुप्त नवरात्रि भी आती है। आषाढ़ का महीना कब से शुरू हो रहा है और क्या है इसका महत्व, आइए जानते हैं इसके बारे में....

कब से हो रही आषाढ़ की शुरुआत

आषाढ़ महीने की शुरुआत 5 जून से हो गई है। कृष्ण पक्ष की प्रतिपदा तिथि 4 जून को सुबह 9 बजकर 11 मिनट से शुरु हो चुका है और इसका समापन 5 जून को सुबह 6 बजकर 38 मिनट पर होगा। उदया तिथि 5 जून सोमवार से शुरू होगी और इसी के साथ आषाढ़ का महीना शुरु हो जाएगा और 3 जलाई तक रहेगा।

आषाढ़ महीने का धार्मिक महत्व

आषाढ़ महीने में भोलेनाथ और श्रीहरि की पूजा करनी चाहिए। दोनों देवों की पूजा करने से जीवन के कई कष्ट दूर हो जाते हैं। जो मनुष्य आषाढ़ की योगिनी एकादशी का व्रत रखता है उसको 88 हजार ब्राह्मणों को खाना खिलाने और गाय को खाना खिलाने के बराबर का पुण्य मिलता है। इस महीने में गुरु पूजा और गुरु सेवा का भी खास महत्व है। आषाढ़ महीने में अमावस्या, एकादशी और पूर्णिमा के दिन ब्राहणों को खाना खिलाकर उनको दान में छाता, फल, खड़ाऊं, कपड़े और मिठाई देनी चाहिए।

आषाढ़ में क्या है पूजा का नियम

1.इस महीने में श्रीहरि और भगवान शिव से साथ ही हनुमान जी, सूर्यदेव और मंगल की पूजा करें और यज्ञ कराएं। इससे पुण्य फल की प्राप्ति होती है।

2.कुंडली में अगर मंगल और सूर्य की स्थिति कमजोर है को अषाढ़ में भगवान शिव और श्री हरि के साथ मां दुर्गा और हनुमान जी की पूजा जरूर करें।
3.आषाढ़ महीने में रोज सूर्योदय से पहले उठकर स्नान करने और सूर्य को अर्घ्य देने से शारीरिक कष्ट दूर होते हैं।
4.आषाढ़ महीने की अमावस्या को पिंडदान,पितरों का तर्पण, और श्राद्ध करना चाहिए. इससे उनका आशीर्वाद बना रहता है।
5.सूर्यदेव की पूजा करते हुए हाथों को ऊपर करके गायत्री मंत्र का जाप 10 बार करें और व्रत करने का संकल्प लें।
6. आषाढ़ में जो लोग शिव मंदिर में जाकर पूजा पाठ करते हैं उनका कालसर्प योग दूर हो जाता है और शिव कृपा बरसती है।

आषाढ़ में इन कामों से बनाएं दूरी
1.महीने के शुरू होते ही देव सो जाते हैं, ऐसे में शादी ब्याह जैसे शुभ कार्य नहीं करने चाहिए। इन कार्यों के लिए देव के उठने का इंतजार करें।


2.आषाढ़ में पानी का अपमान और इसकी बर्बादी न करें,क्यों कि इस महीने में ही वर्षा ऋतु का आगमन होता है।
3.इस महीने में बासी खाना खाने से परहेज करें। बासी खाने को अशुभ माना जाता है और इससे तबीयत खराब होने का खतरा बना रहता है।

Content Editor

Charanjeet Kaur