देविका रानी: भारतीय सिनेमा की ड्रीम गर्ल  को मिला था पहला दादा साहेब फाल्के पुरस्कार

punjabkesari.in Friday, Jan 21, 2022 - 11:44 AM (IST)

फिल्म निर्माण की बात करें तो संख्या के लिहाज से भारत दुनिया में सबसे ज्यादा फिल्में बनाने वाले देशों में शुमार है और हर फिल्म के निर्माण में पर्दे के पीछे से सहयोग देने वालों में सिनेमेटोग्राफर का एक अहम योगदान होता है। फिल्म निर्माण में उल्लेखनीय योगदान देने वालों को पुरस्कृत करने के लिए वर्ष 1969 में दादा साहब फाल्के पुरस्कार की स्थापना की गई और इसकी सर्वप्रथम विजेता बनी थी देविका रानी। 


देविका को कहा जाता था इंडियन गार्बो

देविका फिल्म इंडस्ट्री की प्रथम महिला बनीं, जिन्हें पद्मश्री से नवाजा गया था। भारतीय सिनेमा के लिये देविका का बहुत महत्वपूर्ण  योगदान रहा। जिस दौर में महिलाओं को घर से निकलने नहीं दिया जाता था, देविका फिल्म नायिका बनकर समाज के लिए नायक बन गई थी। उन्होंने ही भारतीय सिनेमा को ग्लोबल स्टैंडर्ड पर ले जाने का काम किया था। उनके अभिनय की तुलना ग्रेटा गार्बो से की गई थी इसलिए उन्हें 'इंडियन गार्बो' भी कहा जाता था।

 

 पति के साथ मिलकर बनाया बॉम्बे टॉकीज स्टूडियो

देविका की दिग्गज फिल्मों में 1936 में आई अछूत कन्या, 1937 में आई जीवन प्रभात और 1939 में आई दुर्गा शामिल है। उन्होंने पति के साथ मिलकर बॉम्बे टॉकीज नाम का स्टूडियो बनाया था, जिसके बैनर तले कई सुपर हिट फिल्में आईं। अशोक कुमार, दिलीप कुमार, मधुबाला और राज कपूर जैसे सितारों का करियर उनके हाथों परवान चढ़ा था। 


दिलीप कुमार को लाई थी इंडस्ट्री में 

देविका रानी स्वभाव से काफी गर्म मिजाज की थी इसलिए उन्हें 'ड्रैगन लेडी' भी कहते थे। 1936 में आई फिल्म 'अछूत कन्या' में देविका ने एक दलित लड़की का किरदार निभाया था। इस फिल्म के बाद उन्हें 'फर्स्ट लेडी ऑफ इंडियन स्क्रीन' की उपाधि दी गई थी।बताया जाता है कि उनके कहने पर ही पंडित जवाहरलाल नेहरू ने 'अछूत कन्या' फिल्म देखी थी। दिलीप कुमार को इंडस्ट्री में लाने का श्रेय भी देविका रानी को ही दिया जाता है।
 


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Content Writer

vasudha

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