देव दिवाली की रात इस जगह पर जरूर रखें दीपक, माता लक्ष्मी की कृपा से उतर जाएगा सारा कर्ज
punjabkesari.in Wednesday, Nov 05, 2025 - 02:41 PM (IST)
नारी डेस्क: कार्तिक पूर्णिमा का धार्मिक महत्व हिंदू धर्मग्रंथों में अत्यंत पवित्र बताया गया है। मान्यता है कि इसी दिन भगवान विष्णु ने मत्स्यावतार धारण कर सृष्टि की रक्षा की थी। इस कारण इस दिन को देव दीपावली के रूप में भी मनाया जाता है। ऐसा माना जाता है कि जो व्यक्ति इस दिन स्नान-दान और दीपदान करता है, वह जीवन में असीम पुण्य प्राप्त करता है और उसके सारे दुख दूर हो जाते हैं। बैकुंठी धाम में आस्था, भक्ति और उत्साह का अछ्वुत संगम देखने को मिला, जिसने पूरे क्षेत्र को दिव्यता और श्रद्धा के माहौल में डुबो दिया।

देव दिवाली पर गंगा स्नान करने का भी महत्व
स्कंद पुराण और पद्म पुराण के अनुसार, त्रिपुरासुर के संहार के उपरांत देवताओं ने भगवान शंकर की आराधना कर आनंदपूर्वक दीपदान किया था, तभी से यह दिन देव दीपावली के नाम से प्रसिद्ध हुआ। देव दिवाली पर गंगा स्नान करके दीपक जलाने से सभी देवताओं का आशीर्वाद प्राप्त होता है साथ ही माता लक्ष्मी की कृपा से कभी भी धन धान्य की कमी नहीं होती है। आज के शुभ अवसर पर यदि आप कर्ज मुक्ति और आर्थिक समृद्धि की कामना रखते हैं, तो नीचे एक सरल और प्रभावशाली उपाय है जिसे आप घर में आज ही कर सकते हैं।
सरल उपाय
शाम के समय संभव हो तो प्रदोषकाल या शुभ मुहूर्त में स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र पहनें। घर के मुख्य द्वार के पास या पूजा-कक्ष में एक साफ जगह चुनें। वहां पर तुलसी का पौधा हो तो बहुत शुभ है।4. एक मिट्टी का दीपक ले लें, उसमें घी या तेल डालकर दीप जलाएं। इस दीपक को तुलसी के नीचे या घर की उत्तर-पश्चिम दिशा में रखें और निम्न मन्त्र मन में दो-तीन बार ध्यान से जाप करें (आप “ॐ श्री कृष्णाय वसुदेवाय ॐ” जैसा सरल मन्त्र चुन सकते हैं)। इस क्रिया के बाद यह मन में संकल्प करें कि आप ईमानदारी से अपने कर्जों को चुकाने का प्रयास करेंगे, खर्च-व्यय पर निगरानी रखेंगे और भविष्य में भी ऋण सावधानी से लेंगे। अंत में, दीपक की लौ को कुछ क्षण के लिए घर में घूमाएं और फिर शांतिपूर्वक दीपक को सुरक्षित स्थान पर रख दें।

बेहद असरदार है ये उपाय
इस दिन को देवताओं के जन्म-दिन व उनके आगमन का प्रतीक माना जाता है- इसलिए पूजा-कर्म और दीपदान से शुभ ऊर्जा उत्पन्न होती है। तुलसी और दीपक, दोनों ही वास्तु एवं दर्शनीय मान्यताओं में शुद्धि-प्रतीक हैं , ये नकारात्मकता को दूर करने और सकारात्मक ऊर्जा को उभारने में सहायक माने जाते हैं। जब हम कर्ज मुक्ति का संकल्प लेते हैं तो साथ-साथ कर्म-संवेदन भी बनती है - सिर्फ पूजा नहीं, बल्कि जिम्मेदारी-बोध भी जाग्रत होता है।

