वास्तु के हिसाब से ऐसे बनवाएं अपनी किचन, घर में बनी रहेगी पॉजिटिव एनर्जी

punjabkesari.in Wednesday, Jul 30, 2025 - 04:31 PM (IST)

नारी डेस्क: वास्तु शास्त्र एक प्राचीन भारतीय वास्तुकला प्रणाली है जिसे हर किसी ने कभी न कभी जरूर सुना होगा। यह शास्त्र हमें यह बताता है कि किसी भी इमारत या कमरे को किस दिशा में बनाना चाहिए ताकि वहां सकारात्मक ऊर्जा बनी रहे। वास्तु शास्त्र में चार मुख्य दिशाओं  पूर्व (ईस्ट), पश्चिम (वेस्ट), उत्तर (नॉर्थ) और दक्षिण (साउथ) को बहुत ही महत्वपूर्ण माना गया है। अगर इन दिशाओं के अनुसार घर या कोई हिस्सा जैसे कि किचन बनाया जाए तो उसमें हमेशा पॉजिटिव एनर्जी बनी रहती है और वहां रहने वालों को मानसिक और शारीरिक लाभ मिलता है।

पांच तत्वों का महत्व

वास्तु शास्त्र में पांच महाभूत तत्वों को भी विशेष स्थान दिया गया है आग (अग्नि), हवा (वायु), पानी (जल), जमीन (पृथ्वी) और आकाश (अंतरिक्ष)। इन्हीं तत्वों के संतुलन से किसी भी जगह की ऊर्जा तय होती है। इसी कारण वास्तु में हर चीज की दिशा का बहुत ध्यान रखा जाता है।

किचन में कैसी होती है ऊर्जा?

घर के हर हिस्से में कुछ न कुछ तरह की ऊर्जा मौजूद होती है, लेकिन रसोईघर (किचन) एक ऐसा स्थान है जहां पॉजिटिव और नेगेटिव दोनों तरह की एनर्जी हो सकती है। इसका कारण है कि किचन वो जगह है जहाँ खाना बनता है, और खाना ही हमारे शरीर को ऊर्जा देने का मुख्य स्रोत है। इसलिए यह जरूरी हो जाता है कि किचन का डिजाइन इस तरह से हो कि वहां की ऊर्जा हमारी सेहत पर अच्छा असर डाले।

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किचन कहां बनानी चाहिए? – सही दिशा

वास्तु शास्त्र के अनुसार, किचन को घर के दक्षिण-पूर्व (South-East) कोने में बनवाना सबसे अच्छा माना गया है। यह दिशा अग्नि तत्व की होती है और आग से जुड़ी चीजों (जैसे गैस चूल्हा, ओवन) के लिए यही दिशा सबसे उपयुक्त होती है। लेकिन अगर आप किचन को गलती से उत्तर-पूर्व (North-East) कोने में बनवाते हैं, तो इससे घर में दुर्घटनाओं या गंभीर बीमारियों का खतरा बढ़ सकता है।

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किन जगहों पर किचन नहीं होनी चाहिए?

किचन को बाथरूम (toilet) के साथ या बगल में कभी नहीं बनवाना चाहिए। दोनों को अलग रखना बहुत जरूरी होता है। किचन को बेडरूम, पूजा घर या टॉयलेट के ठीक ऊपर या नीचे भी नहीं बनवाना चाहिए। इससे मानसिक और शारीरिक समस्याएं हो सकती हैं।

खाना पकाने की दिशा क्या होनी चाहिए?

वास्तु के अनुसार, जब भी आप खाना बनाएं तो आपका मुंह पूर्व (East) दिशा की ओर होना चाहिए। यह दिशा सूरज की रोशनी और सकारात्मकता से जुड़ी होती है, इसलिए खाना बनाते समय यह दिशा शुभ मानी जाती है।

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किचन में उत्तर और पूर्व दिशा को क्यों खाली रखें?

रसोईघर में उत्तर और पूर्व दिशा को खाली रखने की सलाह दी जाती है। इन दिशाओं से सूर्य की रोशनी और ताजा हवा आती है, जिससे किचन में ताजगी बनी रहती है और स्वास्थ्य अच्छा रहता है।

दरवाजे और खिड़कियों की दिशा कैसी हो?

किचन के दरवाजे और खिड़कियों की दिशा भी बहुत मायने रखती है। दरवाजों का मुख पूर्व, उत्तर या पश्चिम दिशा में होना चाहिए। इससे घर में पॉजिटिव एनर्जी आती है। अगर दरवाजा दक्षिण दिशा में है, तो यह परिवार के सदस्यों की सेहत पर बुरा असर डाल सकता है।

खिड़कियों के लिए सुझाव: किचन की खिड़कियां ऐसी दिशा में लगवानी चाहिए, जहां से सुबह की धूप आसानी से अंदर आ सके। इससे ना सिर्फ रसोई साफ-सुथरी और हवादार रहती है, बल्कि पॉजिटिव वाइब्स भी बनी रहती हैं।

अगर आप वास्तु शास्त्र के अनुसार किचन बनवाते हैं तो यह न केवल आपके घर में सकारात्मक ऊर्जा लाता है बल्कि आपके परिवार की सेहत और खुशहाली पर भी अच्छा असर डालता है। सही दिशा, सही जगह और हवा-धूप का ध्यान रखकर आप अपनी किचन को वास्तु के अनुसार एक परफेक्ट जगह बना सकते हैं।


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Content Editor

PRARTHNA SHARMA

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