मैरिटल रेप अपराध है या नहीं? इस सवाल को लेकर दिल्ली HC के जजों के बीच हुई तीखी बहस

punjabkesari.in Wednesday, May 11, 2022 - 04:17 PM (IST)

मैरिटल रेप यानी शादीशुदा जीवन में जबरन शारीरिक संबंध अपराध है या नहीं ? इस सवाल का जवाब जजों की एक राय ना होने के कारण दिल्ली उच्च न्यायालय से नहीं मिल पाया। अब कोर्ट ने सभी  याचिकाकर्ताओं से सुप्रीम कोर्ट में अपील करने के लिए कहा है।


अहम कानून से जुड़ा है ये मुद्दा

खंडपीठ की अगुवाई कर रहे न्यायमूर्ति राजीव शकधर ने भारतीय बलात्कार कानून में पति को मिली छूट को असंवैधानिक करार देते हुए खत्म करने के लिए कहा, जबकि न्यायमूर्ति सी. हरिशंकर ने छूट को संवैधानिक बताते हुए कहा कि- संबंधित फर्क आसानी से समझ में आने वाला है। हालांकि, दोनों जज इस बात पर सहमत हो गए कि यह मामला सुप्रीम कोर्ट  तक जाना चाहिए क्योंकि ये  मुद्दा अहम कानून से जुड़ा है

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कानून के मुताबिक मैरिटल रेप अपराध नहीं

याचिकाकर्ताओं ने मांग की थी शादीशुदा जीवन में अगर किसी महिला के साथ उसका पति जबरन या उसकी मर्जी के खिलाफ संबंध बनाता है तो उसको मैरिटल रेप के दायरे में लाना चाहिए। एक गैर सरकारी संगठन ने 2015 में याचिका दाखिल कर  कहा था कि एक महिला को अपने जिस्म पर पूरा अधिकार है।  उसका पति भी उसकी मर्जी के बगैर उसका इस्तेमाल नही कर सकता। मौजूदा कानून के मुताबिक मैरिटल रेप कोई अपराध नहीं है।

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केंद्र सरकार ने दी थी यह दलील

मौजूदा कानून के मुताबिक यदि पत्नी नाबालिग नहीं है, तो उसके पति का उसके साथ यौन संबंध बनाना या यौन कृत्य करना बलात्कार की श्रेणी में नहीं आता। 2017 में केंद्र सरकार ने एक हलफनामा दाखिल कर कहा था कि पत्नी के साथ रेप को अपराध नहीं बनाया जा सकता है क्योंकि इससे शादी जैसी संस्था पर असर पड़ेगा। केंद्र ने दलील दी थी कि इससे पति भी प्रताड़ित होंगे।


क्या है रेप

आईपीसी की धारा 375 के मुताबिक़, कोई व्यक्ति अगर किसी महिला के साथ उसकी इच्छा के विरुद्ध या उसकी मर्जी के बिना संबंध बनाता है, तो वह रेप कहा जाएगा। महिला की सहमति से संबंध बनाया गया हो, लेकिन यह सहमति उसकी हत्‍या, उसे नुक़सान पहुंचाने या फिर उसके किसी करीबी के साथ ऐसा करने का डर दिखाकर हासिल की गई हो तो यह भी रेप होगा।  इसके अलावा महिला की उम्र अगर 16 साल से कम हो, तो उसकी मर्जी से या उसकी सहमति के बिना बनाया गया संबंध रेप है।

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क्या है मैरिटल रेप

आईपीसी या भारतीय दंड विधान रेप की परिभाषा तो तय करता है लेकिन उसमें वैवाहिक बलात्कार या मैरिटल रेप का कोई जिक्र नहीं है।  धारा 376 रेप के लिए सजा का प्रावधान करता है और आईपीसी की इस पत्नी से रेप करने वाले पति के लिए सजा का प्रावधान है बर्शते पत्नी 12 साल से कम की हो।  इसमें कहा गया है कि 12 साल से कम उम्र की पत्नी के साथ पति अगर बलात्कार करता है तो उस पर जुर्माना या उसे दो साल तक की क़ैद या दोनों सजाएं दी जा सकती हैं.

 

क्या कहता है हिंदू मैरिज एक्ट

हिंदू विवाह अधिनियम पति और पत्नी के लिए एक-दूसरे के प्रति कई जिम्मेदारियां तय करता है। इनमें संबंध बनाने का अधिकार भी शामिल है। क़ानूनन यह माना गया है कि शारीरिक संबंध बनाने से इनकार करना क्रूरता है। इस आधार पर तलाक भी मांगा जा सकता है।


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Content Writer

vasudha

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