एक औरत का दैनिक ओलम्पियाड

punjabkesari.in Monday, Jan 20, 2025 - 05:30 PM (IST)

नारी डेस्क: सुबह छह बजे से रसोई में डेरा डाले बैठी रचना ने ऐसी दौड़ लगा रखी थी कि जैसे मानो अब की बार कोई किचन ओलम्पियाड होने वाला हो और वो ही उसकी एकमात्र प्रतियोगी हो। एक हाथ कड़छी पर चल रहा है तो दूसरा आटे को मुक्की दे रहा है। कोहनी तो कुकर की सीटी नीचे कर रही है और पैर भी कुछ कम नहीं हैं। फ्रिज का दरवाजा खोलने और बंद करने में वो भी पूरे उस्ताद हैं।

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सात बजे बेटे की बस आनी है, आठ बजे बेटी को कॉलेज जाना है। नौ बजे पति को ऑफिस के लिए निकलना है और 9:30 बजे खुद भी ऑफिस के लिए निकलना है। सभी का नाश्ता, खुद का लंच बाक्स, दोपहर के भोजन की तैयारी, घर की समेटा- समेटी और घड़ी के साथ मुकाबला। हर सुबह की यही कहानी होती है। सुबह-सुबह मीठी नींद को अलविदा करके बिना शोर शराबा किए वो चुपके चुपके घर के सभी काम निपटाती है ताकि किसी की नींद न खराब हो। आज भी आँख खुलने के बाद से वो ही प्रतिक्रिया दुहराई गई।

वो बीच बीच  में से सबको आवाज मारकर जगाती जाती थी। सब अपनी अपनी नींद पूरी करके उठे, फिर सब दौड़ दौड़कर तैयार हुए और सब रचना से किसी न किसी बात पर नाराज भी हुए। बेटी के लंच बाक्स में उसकी पसंद के सैंडविच नहीं थे, पति के नाश्ते की चाय में मीठा अधिक पड़ा था तो बेटे की वर्दी का बटन अचानक से टूट गया था और रचना के कमीज पर बटन लगाने तक उसकी बस छूट गई थी।

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जैसे तैसे सब चले गए, अब रचना भी चल पड़ी आफिस के लिए। आधा पेट खाना खाया जल्दी जल्दी में अच्छे से बाल भी नहीं बना पाई उस पर अफरा तफरी में हाथ कहीं से चाकू के कारण कट गया तो कहीं से गर्म कुकर लगने के कारण जल गया। लेकिन फिर भी वो बहुत खुश थी कि भले ही सबको उसके किए कामों में कोई न कोई कमी दिखी होगी फिर भी उसने हर रोज की तरह एक औरत वाला दैनिक ओलम्पियाड अच्छे से जीत कर दिखाया क्योंकि उसके कारण सभी लोग अपने अपने काम पर पहुँच पाए और वो सबकी भूख शांत करने में भी कामयाब हो पाई तो इस तरह वो एक बार फिर रोज की तरह अपने ही दैनिक ओलम्पियाड की विजेता बन गई थी।

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किसी औरत के द्वारा किए गए छोटे छोटे दैनिक काम किसी को दिखाई नहीं देते। हर औरत, खासकर एक कामकाजी औरत की सुबह ऐसे ही हर रोज जद्दोजहद के गुजरती है बहुत कम परिवार हैं जो औरत की इस तकलीफ को समझते हैं। हमें जरूरत है इनको सहयोग देने की न कि उनकी छोटी छोटी बातों की गलतियाँ निकालने की। ताकि उनका मनोबल और ऊँचा हो और वो और भी अधिक ऊर्जावान होकर अपना दैनिक ओलम्पियाड पूरा कर सके।

लेखिका - चारू नागपाल


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Content Editor

Priya Yadav

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