चंद्रयान-3 बढ़ा चांद की ओर, यूपी की इस महिला वैज्ञानिक के इशारे पर करेगा लैंडिंग
punjabkesari.in Friday, Jul 14, 2023 - 05:06 PM (IST)
चांद पर रहस्यों के घूंघट को हटाने के भारत के प्रयास के तहत भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने शुक्रवार को अपना नया उपग्रह चंद्रयान-3 धरती के उस कक्षा में पहुंचाने की बड़ी सफलता हासिल कर ली, जहां से इस यान ने खोजी उपकरणों के साथ चंद्रमा की ओर अपनी यात्रा शुरू कर दी है। चंद्रमा पर खोजी यंत्र उतारने के प्रयास में सफल होने पर भारत अमेरिका, रूस और चीन के बाद इस तरह की उपलब्धि हासिल करने वाला चौथा देश होगा।
#WATCH | Andhra Pradesh | A team of ISRO scientists team arrive at Tirupati Venkatachalapathy Temple, with a miniature model of Chandrayaan-3 to offer prayers.
— ANI (@ANI) July 13, 2023
Chandrayaan-3 will be launched on July 14, at 2:35 pm IST from Satish Dhawan Space Centre, Sriharikota, ISRO had… pic.twitter.com/2ZRefjrzA5
इससे एक दिन पहले तिरुमला में श्री वेंकटेश्वर मंदिर में पूजा-अर्चना की गई। मंदिर पहुंचे वैज्ञानिक दल में तीन महिलाएं और दो पुरुष शामिल थे, जिनके बृहस्पतिवार सुबह मंदिर पहुंचने की तस्वीरें व वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुए थे। इस बार एक महिला को चंद्रयाहै-3 की सफल लैंडिंग कराने की जिम्मेदारी दी गई थी।
भारत के इस महत्वपूर्ण मिशन में पुरुषों के साथ-साथ महिला अधिकारियों को भी लगाया गया है। इस मिशन में कुल 29 उप-निदेशक और 55 प्रोजेक्ट मैनेजर काम कर रहे हैं। इसके अलावा अन्य कर्मचारी भी शामिल हैं। अंतरिक्ष के क्षेत्र में काम करने के लंबे अनुभव को देखते हुए इसरो ने चंद्रयान-3 का मिशन डायरेक्टर रितु कारिधाल को बड़ी जिम्मेदारी दी है। लखनऊ से ताल्लुक रखने वाली रितु को रॉकेट वुमन ऑफ इंडिया के नाम से भी जाना जाता है।
रितु करिधाल को इसरो में लंबा अनुभव है। साल 2007 में उन्हें इसरो की ओर से यंग साइंटिस्ट का अवॉर्ड भी मिल चुका है। इसके साथ ही वह मगंलयान में डिप्टी ऑपरेशन डायरेक्टर व चंद्रयान-2 में मिशन डायरेक्टर रही हैं। लखनऊ यूनिवर्सिटी में भौतिकी से एमएससी करने के बाद रितु ने एयरोस्पेस इंजीनियरिंग से एमटेक करने के लिए इंडियन इंस्टीट्यूज ऑफ साइंस बैंगलौर का रुख किया। उन्होंने MTech कंपलीट करने के बाद PHD की। हालांकि इसरों के लिए उन्हें बीच में ही PHD छोड़नी पड़ी थी।
इसरो के रॉकेट से चंद्रयान-3 को धरती से ऊपर 179 किलोमीटर ऊंची कक्षा में छोड़ा गया। इस पर लगे लैंडर और रोवर को (चांद की सतह पर उतरने वाले यंत्र और उसमें से निकल कर सतह पर चलकर उसका निरीक्षण करने वाली मशीन) तीन लाख किलोमीटर की यात्रा कर 23-24 अगस्त के बीच चांद पर उतारे जाने की संभावना है। इसरो के अध्यक्ष एस सोमनाथ ने चंद्रयान-3 को धरती की अंतरणकारी कक्षा में स्थापित करने के अभियान की सफलता की घोषणा की।
— ISRO (@isro) July 7, 2023
तैंतालीस दशमलव पांच मीटर ऊंचा यह रॉकेट 642 टन वजन के साथ सेकेंड लॉन्च पैड पर उतरेगा। मिशन को आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा से 14 जुलाई को प्रक्षेपण यान मार्क 3 (एलवीएम3) से अपराह्न 2:35 बजे प्रक्षेपित करने की योजना है। इसरो ने मंगलवार को ट्वीट किया कि 24 घंटे का ‘प्रक्षेपण पूर्वाभ्यास' पूरा हो चुका है। याद हो कि चंद्रयान-2 मिशन के दौरान लैंडर के ‘सॉफ्ट लैंडिंग' करने में सफलता नहीं मिल पाई थी और इस लिहाज से चंद्रयान-3 मिशन को भारत के लिए काफी अहम माना जा रहा है।