सॉफ्टवेयर की मदद से लाखों बच्चों को शिक्षा दे रही हैं कैप्टेन इंद्राणी सिंह!

punjabkesari.in Friday, Nov 23, 2018 - 03:10 PM (IST)

रोजगार की तलाश में आजकल छोटे-छोटे बच्चे एक राज्य से दूसरे राज्य से दूसरे राज्य में जा रहे हैं। इकोनोमिक सर्वे 2016- 2017 के अनुसार, इन लोगों में सबसे ज्यादा संख्या मजदूरों की है। जो रोटी की तलाश में अपनी पढ़ाई को भी पीछे छोड़ रहे हैं। इनमें से बहुत बच्चे या तो शिक्षा शुरू नहीं कर पाते और या फिर उनकी पढ़ाई बीच में ही छूट जाती है। 

इन बच्चों को पढ़ाने के लिए देश में बहुत-सी संस्थाएं और एनजीओ हैं जो इस क्षेत्र में काम कर रहे हैं लेकिन इसमें सबसे बड़ी समस्या यह आ रही है कि उम्र में बड़े बच्चे छोटे बच्चों के साथ बैठकर पढ़ना नहीं चाहते। इसमें वे शर्म महसूस करते हैं। इसी स्थिति को देखते हुए एशिया की पहली कमर्शियल पायलट और समासेवी संस्था ‘लिटरेसी इंडिया‘ की संस्थापक, कैप्टेन इंद्राणी सिंह ने एक खास सॉफ्टवेर बनवाया जिसका नाम ‘ज्ञानतंत्र डिजिटल दोस्त (जीडीडी)’ है। 

कम समय में पढ़ाई कर सकते हैं बच्चे

इस सॉफ्टवेयर की खास बात यह है कि बच्चे अपने पीछे छूट चुकी पढ़ाई को कम समय में पूरा कर सकते हैं। ज्ञानतंत्र डिजिटल दोस्त में पांचवी कक्षा तक हर विषय के कोर्स के लिए अलग-अलग मोड्यूल बनाए गए हैं, जिसमें बच्चों को बेसिक कोर्स के साथ-साथ सॉफ्ट स्किल्स के बारे में भी पढ़ाया जाता है। इस सॉफ्ट में बच्चे को खेल के जरिए पढ़ाई करवाई जाती है। समय-समय पर उन्हें प्रोजेक्ट और असाइनमेंट्स भी दिए जाते हैं। जिन्हें पास करके बच्चा अगले लेवल तक पहुंच जाता है। 

साल 2010 में हुई थी इस सॉफ्टवेयर की पहचान

इस सॉफ्टवेयर की शुरुआत लिटरेसी इंडिया ने साल 2010 में की थी। आज दिल्ली, राजस्थान,पश्चिम बंगाल समेत 106 केंद्रों पर जीडीडी कार्यक्रम चल रहा है। इस जरिए अब तक 1 लाख से ज्यादा बच्चे फायदा ले चुके हैं इस बढ़ते स्केल को देखते हुए अब इसका नाम बदल कर ‘ज्ञानतंत्र डिजिटल दोस्त उद्भव’ नाम दिया गया है। इस सॉफ्टवेयर को कोई भी कभी भी आसानी से डाउनलोड कर सकता है।


 

Content Writer

Priya verma