क्या गंगा में बह रहे शवों से फैल सकता है कोरोना संक्रमण, एक्सपर्ट्स से जानिए पूरी डिटेल

punjabkesari.in Tuesday, May 18, 2021 - 03:15 PM (IST)

देशभर में कोरोना का कहर इस कद्र बरस रहा है कि लाशों का अंबार लग चुका है। श्मशान घाट भरने लगे तो लोगों ने गंगा नदियों में शवों को बहाना शुरू कर दिया है। दरअसल, उत्तर प्रदेश, बिहार में बहने वाली गंगा नदी में शव मिले हैं, जिन्हें कोरोना काल में मृत लोगों के शव कहा जा रहा है। मीडिया संस्थानों की मानें तो पिछले दिनों करीब 2 हजार शव गंगा किनारे तैरते दिखें है। इसे देख लोगों के मन में आंशका पनप रही है कि इससे कोरोना संक्रमण और तेजी से फैल सकता है। हालाकि इस पर एक्सपर्ट अपनी अलग-अलग राय दे रहे हैं।

क्या गंगा में शव बहाने से बढ़ेगा कोरोना?

वरिष्ठ पर्यावरणविद अभय मिश्रा का कहना है कि पिछले दिनों गंगा किनारे कई लाशें तैरती नजर आई, जिनमें से ज्यादातर डेडबॉडीज कोविड पॉजिटिव अस्पतालों से लाई गईं थीं। कुछ रिपोर्टों का कहना है कि वायरस हवा की बजाए पानी में तेजी से फैलता है लेकिन अगर ऐसा होता तो अब तक गंगा किनारे रहने वाले कई लोग मर चुके होते लेकिन ऐसा कुछ नहीं हुआ।

क्यों कभी खराब नहीं होता गंगा का पानी?

पर्यावरणविद अभय मिश्रा का कहना है कि गंगा की गाद में बैक्टिरियोफेजिस (Bacteriophages) वायरस होते हैं जो बैक्टीरिया को खत्म कर देते हैं इसलिए इसका पानी कभी खराब नहीं होता। यही वजह है कि सदियों से गंगा का पानी कभी खराब नहीं हुआ और इसे अमृत्व माना गया है। वैज्ञानिकों को जांच करना चाहिए कि क्या कोरोना से लड़ने में गंगा का पानी सक्षम है।

क्या शवों से बढ़ रहा नदियों में पॉल्यूशन?

उनका कहना है कि अगर नदियों में बहाव हो तो कभी कोई चीज खराब नहीं होगी लेकिन जनसंख्या बढ़ने से पानी में प्रदूषण भी काफी बढ़ गया है। हालांकि शवों से फैलने वाला प्रदूषण काफी कम है जबकि घरेलू और फैक्ट्रियों से निकलने वाले अपशिष्ट पदार्थ ज्यादा प्रदूषण फैलाते हैं।

क्या पीने लायक होगा ये पानी?

हालांकि NCBI द्वारा पेश की गई रिपोर्ट के मुताबिक, कोरोना पॉजिटिव मरीजों का मल-मूत्र संक्रमण फैला सकते हैं, खासकर कम टेम्परेचर में है। वहीं, कुछ एक्सपर्ट का कहना है कि पानी में शव डालने से संक्रमण फैल सकता है क्योंकि इससे पानी में अनचाहे बैक्टीरिया पनप सकते हैं, जो शवों को खाते हैं। बॉडी डिंकपोज होने से पानी में बैक्टीरिया बढ़ेंगे और ऐसा पानी पीने लायक बिल्कुल नहीं होगा। नदियों में दो तरह का पानी होता है। एक संक्रमित पानी नदी के नीचे चला जाकर फिल्टर हो जाता है और दूसरा समुद्र की ओर बह जाता है। जिस नदी में बहाव हो उसमें गंदगी की संभावना काफी कम होती है।

सेहत पर होगा कैसा असर?

चूंकि ऐसे में पानी में कई तरह के बैक्टीरिया पनपने का खतरा है इसलिए इससे सिर्फ कोरोना ही नहीं बल्कि कई तरह की बीमारियां हो सकती हैं। इससे हड्डियां तक टेढ़ी हो सकती है इसलिए लोगों को ऐसा पानी न पीने की सलाह दी जा रही है।

क्या है एक्सपर्ट की राय?

एक्सपर्ट का कहना है कि सरफेस पर मौजूद वायरस उसी समय खत्म हो जाता है लेकिन डीप वायरस अधिक समय तक जिंदा रहता है। ऐसा वायरस करीब 48 घंटे तक नुकसान पहुंचा सकता है। वहीं, गंगा में मिली डेडबॉडीज को करीब 4 दिन हो चुके हैं इसलिए इससे वायरस फैलने की संभावना कम है। मगर, जब शव पानी में तैर रहे थे तब अगर किसी ने पानी पीया या उसमें स्नान किया होगा तो उसे कोरोना हो सकता है।

वहीं, घरों तक पानी भी प्रोसेस्ड होकर ही पहुंचता है इसलिए उससे भी कोरोना फैलने की संभावना काफी कम है। हालांकि जिन घरों में सीधे नदी का पानी आता हो वो इसे पीने या नहाने से बचें। फिलहाल इस बात का कोई प्रमाण भी नहीं मिला है कि गंगा का पानी पीने से किसी व्यक्ति को कोरोना हुआ हो।

Content Writer

Anjali Rajput