सब्जी की दुकान और झाडू पोंछा लगाकर मां ने इस तरह बेटी को बनाया डॉक्टर

punjabkesari.in Friday, May 18, 2018 - 01:10 PM (IST)

हर मां का सपना होता है कि उसके बच्चे पढ़ लिख कर जिंदगी में आगे बढ़े। कुछ लोग ऐसे भी होते हैं जो पढ़ना तो चाहते हैं लेकिन कुछ मुश्किलों और पैसे की कमी के कारण उनका सपना अधूरा रह जाता है। अपने अधूरे सपने को पूरा करने के लिए ऐसे लोग अपने बच्चों से उम्मीद लगाते है और इस लिए पूरी तरह से मेहनत करते है ताकि बच्चे आगे बढ़ सकें। आज हम जिस महिला की बात कर रहे हैं, उनका नाम है सुमित्रा। जिन्होंने सब्जी की दुकान लगाकर,घरों में झाडू-पोछा लगाकर और पानी बेचरक पैसे कमाए और अपनी बेटी को डॉक्टर बनाया। 

 

यूपी के हमीरपुर जिले के मौदहा कस्बे की रहने वाली सुमित्रा ने अपनी खराब आर्थिक हालत को अपने बच्चों की कामयाबी के बीच नहीं आने दिया। 2 बेटे और 3 बेटीयों का मां सुमित्रा पति का मौत के बाद बुरी आर्थिक स्थिति से गुजरने लगी। वह खुद भी पढ़ी -लिखी नहीं थी लेकिन अपने बच्चों की पढ़ाई में गरीबी को नहीं आने देना चाहती थी और उनकी सबसे बड़ी बेटी अनीता पढ़ाई में बहुत होशियार थी। उसका डॉक्टर बनने का सपना पूरा करने के लिए सुमित्रा हर तरह से मेहनत करने लगी ताकि पैसों की कमी के कारण कहीं बेटी की पढ़ाई पर असर न पड़े। 

 

सुमित्रा की कड़ी मेहनत और बेटी अनिता की पढ़ाई में लगन के कारण उसने 10वीं में 71 और 12वीं में 75 प्रतिशत अंक प्राप्त करके स्कूल में टॉप किया। मां सुमित्रा ने भी  बेटी की पढ़ाई को आगे बढ़ाने के लिए घरों में झाड़ू-पोछा करना,बस स्टैंड पर पानी बेचना शुरू किया। डॉक्टर बनने के लिए पैसे ज्यादा चाहिए थे इसलिए उसने सब्जी की दुकान लगाना शुरू कर दिया। मां के साथ भाई ने भी बहन को डॉक्टर बनाने के लिए काम करना शुरू किया और पैसे जोड़ने शुरू किए।

 

सबकी मेहनत के बाद साल 2013 में कानपुर में एक साल की तैयारी के बाद सीपीएमटी में अनीता का सलेक्शन हो गया और उसने 682 रैंक हासिल की थी। इस वजह से उसे इटावा के सैफई मेडिकल कॉलेज में एडमिशन मिल गया। अनीता की एम बी बी एस की पढ़ाई करने के यह पांचवा और आखिरी साल है। सुमित्रा के पति की मौत बीमारी की वजह से हुई थी और उस वक्त बीमारी के इलाज के लिए उनके पास पैसे नहीं थे। गरीबी के कारण पिता का इलाज न करवा सकने का दुख आज भी अनिता को है। इसलिए उसका कहना है कि भविष्य में वह उन लोगों का मुफ्त में इलाज करेगी जो गरीब होने की वजह से अस्पताल नहीं पहुंच पाते। 

 

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