टमाटर से बायो-लेदर, जानवरों के लिए सुरक्षित और फैशन के लिए शानदार
punjabkesari.in Sunday, Feb 23, 2025 - 10:37 AM (IST)
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नारी डेस्क: भारत में एक स्टार्टअप, 'द बायो कंपनी' (TBC), टमाटर के कचरे से बायो-लेदर बना रहा है, जिसे जैकेट, बैग और जूते जैसे फैशनेबल प्रोडक्ट्स में इस्तेमाल किया जा रहा है। इस इनोवेटिव और पर्यावरण-अनुकूल बिजनेस की शुरुआत 26 वर्षीय प्रीतेश मिस्त्री ने की थी, और अब यह टिकाऊ फैशन इंडस्ट्री में क्रांति ला रहा है।
क्या है टमाटर से बायो-लेदर बनाने का तरीका?
भारत में हर साल करीब 4.40 अरब टन टमाटर का उत्पादन होता है, जिसमें से लगभग 30-35% बर्बाद हो जाता है। 'द बायो कंपनी' ने इसी बर्बाद टमाटर के कचरे से बायो-लेदर तैयार करने की तकनीक विकसित की है। इस प्रक्रिया में पॉलीयुरेथेन (PU) और पॉलीविनाइल क्लोराइड (PVC) का इस्तेमाल नहीं किया जाता, जिससे यह पारंपरिक नकली चमड़े से अधिक टिकाऊ और पर्यावरण के अनुकूल होता है। टमाटर में पाए जाने वाले पेक्टिन और अन्य प्राकृतिक तत्व इसे मजबूत बनाते हैं, और यह असली चमड़े जैसा महसूस होता है।
कौन है इस अनोखे स्टार्टअप के पीछे?
इस इनोवेटिव स्टार्टअप की शुरुआत 26 वर्षीय प्रीतेश मिस्त्री ने की थी। उन्होंने इसे 'द बायो कंपनी' (TBC) के नाम से 2021 में लॉन्च किया। उनके इस प्रयास को PETA वेगन फैशन अवार्ड्स में 'बेस्ट इनोवेशन' का पुरस्कार भी मिला था।
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बाजार में बढ़ती डिमांड और कमाई
बायो-लेदर का इस्तेमाल अब फैशन, एक्सेसरीज़ और ऑटोमोटिव सेक्टर में तेजी से बढ़ रहा है। कई अंतरराष्ट्रीय ब्रांड्स इस लेदर से जैकेट, बैग और जूते बना रहे हैं। टोरंटो स्थित प्लांट-बेस्ड हैंडबैग ब्रांड 'सतुहाटी' की फाउंडर नताशा मंगवानी का कहना है, “बायो-लेदर पीयू/पीवीसी फ्री है और इसका प्लांट-बेस्ड ओरिजिन इसे खास बनाता है।”
टीबीसी का उत्पादन और भविष्य
'द बायो कंपनी' (TBC) हर महीने करीब 5,000 मीटर बायो-लेदर का उत्पादन कर रही है। हालांकि, कंपनी की सालाना कमाई और टर्नओवर के बारे में कोई आधिकारिक जानकारी नहीं है, लेकिन यह साफ है कि टिकाऊ फैशन का ट्रेंड बढ़ रहा है। आने वाले वर्षों में बायो-लेदर का मार्केट तेजी से बढ़ने की उम्मीद है।
इस स्टार्टअप ने न केवल पर्यावरण को ध्यान में रखते हुए एक नया और टिकाऊ विकल्प पेश किया है, बल्कि फैशन इंडस्ट्री में भी एक नई दिशा दिखाई है।