पति की वजह से खत्म हुआ था इस एक्ट्रेस का करियर, ठेले से श्मशान तक पहुंचाई थी लाश

punjabkesari.in Monday, Apr 22, 2019 - 09:27 AM (IST)

60 और 70 के दश्क की फेमस हीरोइन विमी की खूबसूरती का हर कोई दीवाना था। विमी इतनी खूबसूरत थी कि हर कोई उनकी तरफ खींचा चला आता था। पंजाब के जालंधर में जन्मीं विमी को बीआर चोपड़ा ने बॉलीवुड में पहला ब्रेक दिया। 1967 में आई 'हमराज' उनकी पहली फिल्म थी, जोकि सुपरहिट हुई और वह रातों-रात स्टार बन गई। 

जब विमी ने फिल्म इंडस्ट्री में कदम रखा तब वह शादीशुदा थी और दो बच्चों की मां। विमी की शादी इंडस्ट्रियलिस्ट शिव अग्रवाल से हुई थी।  'हमराज' के बाद विमी ने अशोक कुमार-निरूपा रॉय के साथ 'आबरू', पृथ्वीराज कपूर और आईएस जौहर के साथ 'नानक नाम जहाज है', शशि कपूर के साथ 'पतंगा' और 'वचन' जैसी फिल्मों में काम किया। 

पति की वजह से बर्बाद हुआ करियर 

अपनी पहली फिल्म से ही विमी उस दौर की बड़ी स्टार बन गईं और निर्देशकों, प्रोड्यूसर उनके घर के चक्कर काटने लगे लेकिन उनके पति की वजह से उनका करियर बर्बाद हो गया। एक वेबसाइट के मुताबिक, विमी के पति उन्हें काफी प्रताड़ित करते थे। विमी को कौन-सी फिल्म करनी चाहिए या नहीं, ये सब विमी के पति तय करते। पति के कारण विमी का स्टारडम कम हो गया, जिससे तंग आकर वह पति से अलग हो गई। 

इसका असर विमी के करियर पर पड़ा और फिल्ममेकर ने उन्हें फिल्में देना बंद कर दिया। काम ना मिलने की वजह से विमी के पास आर्थिक तंगी हो गई। विमी ने कई प्रोड्यूसरों से आर्थिक मदद मांगी लेकिन सभी ने इंकार कर दिया। विमी की निजी जिंदगी भी काफी बुरे दौर से गुजर रही थी। आर्थिक तंगी के कारण उन्हें अपना वो बंगला भी छोड़ना पड़ा जिसमें वो रह रहीं थीं।

कभी महंगे कपड़े , महंगी गाड़ियों में घूमने वाली और लाखों रुपए कमाने वाली हीरोइन बाद में ऐसे मुकाम पर पहुंच चुकी थी कि हर कोई हैरान था। डिप्रेशन, करियर के खत्म होने की वजह से विमी शराब की आदि हो गई, जिसकी वजह से उनका लीवर पूरी तरह खराब हो चुका था और उनके पास इलाज के लिए भी पैसे नहीं थे। 

जनरल वॉर्ड में रही थीं कई दिन भर्ती

जिंदगी के आखिरी दिनों में वे मुंबई के नानावटी अस्पताल के जनरल वॉर्ड में भर्ती रहीं। 22 अगस्त 1977 को नानावटी अस्पताल में ही विमी ने आखिरी सांसे ली लेकिन उस समय उन्हें कंधा देने वाला भी कोई नहीं था।

ठेले से श्मशान घाट पहुंची थी लाश 

कहा जाता है कि उनकी लाश को एक चायवाले के ठेले पर रखकर श्मशान घाट ले जाया गया था और उनकी अंतिम यात्रा में सिर्फ 4-5 लोग ही थे।


 

Content Writer

Priya dhir