भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग: सिर्फ दर्शन से ही दूर होंगे कष्ट

punjabkesari.in Thursday, Jul 16, 2020 - 01:11 PM (IST)

सावन का पावन महीन चल रहा हैं। ऐसे में शिव भक्त उनको खुश करने और मनोकामना को पूरा करने के लिए भगवान शिव की पूजा-अर्चना करते हैं। बहुत से लोग तीर्थों पर जाते हैं। भगवान शिव के ज्योतिर्लिंगों के दर्शन कर वे मुक्ति को पाते हैं। भारत देश में भगवान शिव के कुल 12 ज्योतिर्लिंग स्थापित हैं। तो चलिए आज हम आपको उनके छठे ज्योतिर्लिंग भीमशंकर से जुड़ी खास बाते आपको बताते हैं...

कहां हैं स्थित?

भगवान शिव का यह ज्योतिर्लिंग महाराष्ट्र के पुणे की थोड़ी दूरी पर बना है। यह सह्याद्रि पर्वत माला में स्थापित है। बात इस मंदिर की ऊंचाई की करें तो यह लगभग 3,250 फीट ऊंचाई पर बना है। पौराणिक कथाओं के अनुसार इस जगह पर भगवान शिव और त्रिपुरासुर नामक राक्षस के बीच भयानक युद्ध हुआ था। युद्ध में शिवजी ने राक्षस का वध कर सभी को मुक्ति दिलाई थी। माना जाता है कि इस युद्ध को करने से भयंकर गर्मी पैदा हुई थी। इस वजह से वहां पर बहती भीमा नदी सूख गई थी। उसके बाद भगवान शिव के शरीर से पसीना निकलने पर वह नदी में गया और उसमें फिर से पानी भर गया। 

कैसे पड़ा भीमाशंकर नाम?

शिव जी के सभी ज्योतिर्लिंग का उल्लेख शिवपुराण में पाया जाता है। ऐसे में इसकी कथानुसार भीम राक्षस जाति से संबंध रखने वाला एक खतरनाक राक्षस था। वह रावण के छोटे भाई कुंभकर्ण का पुत्र था। माना जाता है कि जब उसे पता चला कि उसके पिता को भगवान राम ने मार दिया है तो वह बहुत ही कोद्ध में आया। उसके मन में अपने पिता के वध का बदला लेने की भावना जागृत हुई। फिर उसने भगवान ब्रह्मा जी की कठोर तपस्या कर उन्हें खुश किया और उनसे जीतने का वरदान प्राप्त किया। 

भीम ने किया देवी-देवताओं को परेशान

ब्रह्मा जी से वरदान पाने के बाद भी के उसने अपने अत्याचारों को करना शुरू कर दिया। उसके भयानक रूप और अत्याचारों से सभी देवी-देवाएं दुखी हो गए थे। उसके अत्याचारों से परेशान हो सभी देवी-देवाओं मे भगवान शिव की शरण में जाने का फैसला किया। 

भगवान शिव ने राक्षस से दिलाई मुक्ति

सभी देवी-दवाओं की प्रार्थना को स्वीकार कर भगवान शिव ने भीम के साथ युद्ध किया। युद्ध के दौरान शिव जी ने अपने तेज से उसको जला कर भस्म कर दिया। इसतरह सभी देवी-देवाओं को उस भयंकर राक्षस से मुक्ति दिलाई। 

राक्षस के नाम पर विराजमान हैं ज्योतिर्लिंग

राक्षस से मुक्ति मिलने के बाद सभी देवी-देवताएं खुश हो गए। उसके बाद देवताओं ने भगवान शिव को उसी जगह पर शिवलिंग रूप में निवास करने का अनुग्रह किया। इसतरह आग्रह करने और मानव की भलाई के लिए शिव जी ने वहां रहना स्वीकार किया। अब उस स्थान पर महादेव जी ने भीम नाम के राक्षस का वद्ध किया था। इसलिए भगवान शिव भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग के रूप में वहां विराजमान हुए और इसी नाम से भक्तों द्वारा पुकारे गए। 

मनोकामना होती है पूरी

भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग में सच्चे मन से प्रार्थना करने वाले भक्तों पर भगवान शिव अपनी असीम कृपा बरसाते हैं। मान्यता है कि इनके दर्शन से ही कष्टों से मुक्ति मिल जाती हैं। खासतौर पर भगवान शिव के प्रिय सावन के महीने में इस पावन ज्योतिर्लिंग के दर्शन करने या नाम लेने से भगवान शिव खुश होते हैं। वे अपने भक्तों की हर मनोकामना को पूर्ण करते हैं। 
 

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neetu