रोशनी से जगमगाया मंदिर, बाबा की हुई खास भस्म आरती... धनतेरस पर महाकालेश्वर मंदिर के करें दर्शन
punjabkesari.in Saturday, Oct 18, 2025 - 10:56 AM (IST)

नारी डेस्क: धनतेरस का पर्व दीपावली की शुरुआत का प्रतीक माना जाता है। यह दिन धन के देवता कुबेर और आयुर्वेद के जनक भगवान धन्वंतरि की पूजा के लिए प्रसिद्ध है। मध्यप्रदेश के उज्जैन स्थित श्री महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग मंदिर में इस दिन की भस्म आरती का विशेष महत्व होता है। आज इस खास दिन पर श्री महाकालेश्वर की भस्म आरती की गई, इससे पहले बाबा को दूध, दही, शहद और चीनी का भोग लगाया गया।
#WATCH | Ujjain, Madhya Pradesh | Bhasma Aarti performed at the Shree Mahakaleshwar Temple on the occassion of Dhanteras. pic.twitter.com/GC3V59fTvS
— ANI (@ANI) October 18, 2025
भस्म आरती का आध्यात्मिक महत्व
उज्जैन के महाकालेश्वर मंदिर में प्रतिदिन प्रातःकाल की आरती को ‘भस्म आरती’ कहा जाता है। यह आरती भगवान शिव को मृत्यु और जीवन के चक्र के अधिपति के रूप में सम्मानित करने के लिए की जाती है। भस्म (राख) का अर्थ है - सब कुछ नश्वर है, और शिव वही हैं जो मृत्यु के पार भी हैं। धनतेरस जैसे शुभ दिन पर की जाने वाली यह आरती और भी विशेष मानी जाती है, क्योंकि इस दिन श्रद्धालु दीर्घायु, धन और स्वास्थ्य की कामना करते हैं।
कैसे होती है यह विशेष आरती
सुबह 4 बजे ब्रह्म मुहूर्त में आरती शुरू होती है। भगवान महाकाल को पहले स्नान और श्रृंगार कर भस्म से अलंकृत किया जाता है। यह भस्म मुक्ति और शुद्धता का प्रतीक मानी जाती है। आरती के दौरान शंख, घंटा और मंत्रोच्चार से पूरा गर्भगृह गूंज उठता है। श्रद्धालु दूर-दूर से इस अद्भुत दृश्य के दर्शन के लिए उज्जैन पहुंचते हैं। धनतेरस को स्वास्थ्य और समृद्धि का पर्व कहा जाता है। महाकालेश्वर की भस्म आरती में सम्मिलित होने से माना जाता है कि रोग, भय और अकाल मृत्यु से मुक्ति मिलती है। मंदिर में इस अवसर पर विशेष सजावट, दीपदान और फूलों की वर्षा भी की जाती है।
श्रद्धालुओं के लिए आस्था का केंद्र
धनतेरस के दिन महाकाल की आरती का दृश्य इतना भव्य होता है कि इसे देखने के लिए देश-विदेश से भक्त उज्जैन पहुंचते हैं। कहा जाता है कि जो व्यक्ति श्रद्धा और भक्ति से इस दिन महाकाल की भस्म आरती का दर्शन करता है, उसे जीवन में धन, सुख और स्वास्थ्य की प्राप्ति होती है।