क्यों मनाया जाता है भाई दूज का त्योहार ? जानें तिलक लगाने का शुभ मुहूर्त

punjabkesari.in Thursday, Nov 08, 2018 - 06:28 PM (IST)

भाई-बहन के प्यार का त्योहार भाई दूज दीवाली के 2 दिन बाद मनाया जाता है। इस दिन बहन अपने भाई को तिलक लगाती है। राखी की तरह ही इस त्योहार पर भी भाई बहन को कोई न कोई तोहफा देकर जीवन भर उसकी रक्षा करने का वचन देता है। इस बार यह त्योहार 9 नवंबर को मनाया जा रहा है लेकिन क्या आप जानते हैं कि इस त्योहार को मनाने की शुरुआत कहां से हुई। अगर नहीं तो चलिए आज हम आपको बताते हैं इस त्योहार का मनाने की वजह।

भाई दूज का शुभ मुहूर्त
भाई दूज का शुभ मुहूर्त शुक्रवार दोपहर 1 बजकर 10 मिनट को शुरू होकर समाप्ति दोपहर 3 बजकर 27 मिनट पर होगी।

 

भाई यमराज और बहन यमुना से जुड़ा है यह त्योहार 
यह त्योहार सूर्य पुत्र यमराज और पुत्री यमुना के प्यार व लगाव से जुड़ा है। यमुना के बुलावे पर भाई यमराज बहन से मिलने पहुंचते हैं। बस वही से शुरू हुई थी भाई दूज के त्योहार की शुरुआत। 

भाई दूज से जुड़ी पौराणिक कथा
सूर्य की पुत्री यमुना को अपने भाई यमराज से बहुत ज्यादा लगाव था। वे अक्सर यमराज को अपने घर आने का निमंत्रण देती थी लेकिन व्यस्त होने के कारण वे बहन के घर नहीं जा पाते थे। एक दिन यमराज ने सोचा की मैं तो लोगों के प्राण हरने वाला हूं, मुझे कोई इतने प्यार से घर आने का न्यौता दे रहा है तो मुझे स्वीकार करना चाहिए। कहा जाता है कि बहन के घर जाने से पहले यमराज ने नरक में निवास करने वाले सभी जीवों को मुक्त कर दिया था। कार्तिक शुक्ल के दिन यमराज अपनी बहन यमुना के घर गए। 

बहन यमुना ने किया भाई का तिलक लगाकर स्वागत 
भाई के घर आया देख बहन की खुशी का कोई ठिकाना न रहा, भाई का तिलक लगा कर स्वागत किया। उसने यमराज को तरह-तरह के व्यंजन बना कर खिलाए और खूब आदर सत्कार किया। बहन के इतने लगाव और प्रेम-आदर से खुश होकर यमराज ने यमुना को वरदान मांगने के लिए कहा,इस पर यमुना ने बड़े ही प्रेम और आदर से अपने भाई को हर साल उसी दिन अपने घर आने के लिए कहा। 

उसने यमराज से मांगा कि जो भी बहन इस दिन अपने भाई के माथे पर तिलक लगाकर उसकी आरती उतारेगी, उसके भाई को कभी यमदेव का भय नहीं रहेगा। यमराज ने बहन को वरदान दिया और वहां से विदा ले लिया। इसी कारण हर साल कार्तिक शुक्ल के दिन भाई दूज का त्योहार मनाया जाता है। इस दिन यमराज और यमुना की पूजा करने का भी विशेष महत्व है। माना जाता है कि यम का दीया जलाने से यमराज द्वारा दी जाने वाली यातनाओं से भाई को मुक्ति मिल जाती है। 



इस तरह मनाया जाता है भाई दूज
भाई दूज पर बहन अपने भाई की आरती उतार कर उसके माथे पर तिलक और कलाई पर मौली बांधती है। इसके बाद वह भाई का मुंह मीठा करवाती है। 

जरूर जलाएं यमदेव के नाम का दिया
इस दिन शाम को यमदेव के नाम का दीया जरूर जलाना चाहिए। यह दीया घर से बाहर जलाया जाता है। चौमुख दीया में तेल डालकर दीए का मुख दक्षिण दिशा की तरफ रख दें। इस बात का ध्यान रखें कि घर वापिस आते समय दीए को पीछे मुड़ कर न देखें। 

Content Writer

Priya verma