लोगों की सोच में परिवर्तन लाने के लिए बैंकॉक के ये भिक्षु पहनते है प्लास्टिक से बने कपड़े

punjabkesari.in Sunday, Nov 03, 2019 - 03:38 PM (IST)

पर्यावरण में बढ़ रहे प्रदूषण को रोकने के लिए आज सरकार ही नहीं बल्कि लोगों व एनजीओ द्वारा भी अपने स्तर पर कई तरह के काम किए जा रहे है। इसी में अपना योगदान दे रहे बैंकॉक मे स्थित वाट चक डाएंग नामक मंदिर के भिक्षु। जी हां, थाईलैंड की राजधानी बैंकॉक से लगभग 30 किलोमीटर दूर स्थित वाट चक डाएंग नामक मंदिर में श्रद्धालु बुद्ध भगवान की मूर्तियों तथा भिक्षुओं के सामने नतमस्तक होने के लिए आते हैं लेकिन अन्य मंदिरों के विपरीत, यहां भिक्षुओं के साथ बैठ कर वे पर्यावरण संरक्षण के उपायों पर चर्चा भी कर सकते हैं। मंदिर में बने एक लिक्विड एंजाइम सॉल्यूशन के साथ यहां भिक्षु प्लास्टिक कचरे को साफ करते नजर आ जाते है।  


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मंदिर के एक वरिष्ठ भिक्षु 56 वर्षीय फ्रा टिपाकोर्न एरियो कहते है,' लोग इस सोच के साथ बड़े नहीं हुए हैं जिसमें उन्हें पर्यावरण की सीख दी जाती हो। हम एक ऐसी स्थिति में हैं जहां हर किसी को बस अपने ही घर की परवाह है। हमें उन्हें सिखाना है कि वे किस तरह से खुद को बदल सकते है।' बौद्ध भिक्षुओं के शिक्षण केंद्र रहा यह मंदिर आज रिसाइक्लिंग प्रयासों के लिए प्रसिद्ध हो चुका है। मंदिर के प्रवेश से पहले एक बड़ा प्लास्टिक प्रसंस्करण संयंत्र है जहां स्वयंसेवक मंदिर को दान में मिल प्लास्टिक कचरे को छाटंते है।

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कचरा नहीं है प्लास्टिक

फ्रा टिपाकोर्न के अनुसार कचरे को लेकर आम धारणा है कि यह सड़ा हुआ और बदबूदार होता है लेकिन वास्तव में, यह सच नहीं है यदि हर तरह के कचरे को पहले ही अलग कर लिया जाए। प्लास्टिक तो कचरा भी नहीं है क्योंकि इसका पुन उपयोग किया जा सकता है।

प्लास्टिक से बनाए नारंगी रंग के वस्त्र

मंदिर को सबसे अधिक ख्याति प्लास्टिक से अपने भिक्षुओ के लिए नारंगी रंग के वस्त्र बनाने से मिली है। यह विचार लगभग 3 साल पहले आया था जब मंदिर में आए व्यक्ति ने एक भिक्षु को बताया कि उसने प्लास्टिक से बनी कमीज पहनी है। भिक्षु ने पूछा कि क्या उनके नारंगी वस्त्र भी उसी साम्रगी से बनाए जा सकते है। इस प्रक्रिया में मंदिर को दान में मिले प्लास्टिक को एक कारखाने में भेजा जाता है जो इसे ऐसे रेशों में बदल देता हा जिनसे वस्त्र बनाए जा सकते हैं।

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स्थानीय लोगों के लिए रोजगार

मंदिर में प्लास्टिक रिसाइक्लिंग पर्यावरण के लिए तो अच्छी है ही, इसने रोजगार भी पैदा किए हैं। प्लास्टिक को अलग करने से लेकर वस्त्रों की सिलाई तक का स्थानीय लोगों को काम मिला है।

मंदिर के अन्य उत्पाद

हालांकि, भिक्षुओं के वस्त्र ही इस मंदिर के एकमात्र रिसाइक्लिड उत्पाद नहीं हैं। कई कंपनियों के साथ मिलकर मंदिर के प्लास्टिक कचरे से पैंसिल, केस, जूते, नाव और यहां तक कि प्लास्टिक की दूध की बोतलों से एक शैड भी बनाई गई हैं। यहां पर सैंकड़ों अनुयायी मंदिर में रिसाइकलिंग के बारे में सीखने आते है। पर्यावरण के हित में काम करने पर मंदिर में 2005 के बाद से जोर दिया जाने लगा था। इसने अनेक कॉर्पोरेशन्स, एनजीओ और कई थाई सैलीब्रिटीज का ध्यान अपनी ओर अकार्षित किया है जो अपनी सामाजिक जिम्मेदारी निभाने के लिए मंदिर में होने वाले कार्यक्रमों में भाग लेते हैं।

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दान मेें मिला कचरा भी नहीं ठुकराते

मंदिर के रिसाइकलिंग प्रोग्राम का विस्तार अभी भी हो रहा है। दान के रुप में मिले किसी भी कचरे को मंदिर द्वारा ठुकराया नहीं जाता है। हालांकि, स्वयंसेवक लोगों से आग्रह करते है कि मंदिर को सौंपने से पहले प्लास्टिक को पानी से धो कर लाएं जिससे उनका काम कुछ आसान हो जाता है। 


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Content Writer

khushboo aggarwal

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