आपके ऊंचे हंसने से सहम सकता है गर्भ में पल रहा बच्चा, जानिए कैसे?

punjabkesari.in Friday, Aug 28, 2020 - 12:11 PM (IST)

बच्चे का संबंध मां के साथ 9 महीने अन्य लोगों से ज्यादा रहता है। 2-3 महीने तक बच्चा मां द्वारा किए जाने वाले हर काम को समझने और महसूस करने लगता है। गर्भ में ही बच्चे की इंद्रियों का विकास होने से वह मां की भावनाओं को समझने में सक्षम होता है। ऐसे में वह मां द्वारा सुख, दुख, खुशी आदि सभी चीजों का अनुभव करता है। वैसे तो हर बच्चे का स्वभाव अलग होता है, मगर कुछ बातें ऐसी होती हैं जो लगभग गर्भ में पल रहे हर शिशु में सामान्य तौर पर देखी जाती है। इनमें से ही कुछ बातें ऐसी होती हैं जो बच्चे को तकलीफ पहुंचा रही होती है। इसलिए प्रेग्नेंट महिला को इन बातों का खास ध्यान रखना चाहिए। तो आइए जानते हैं उन सभी बातों के बारे में विस्तार से...

​जोर से हंसना

वैसे तो मां के खुश रहने से बच्चे भी खुशी महसूस करते हैं। मगर जोर से हंसना शिशु के डरने का कारण बन सकता है। असल में तेज हंसने से गर्भ में पल रहा बच्चा ऊपर और नीचे की ओर उछलता है। ऐसे में वह असुरक्षित महसूस कर सहम सकता है। इसी तरह डरने से बच्चा रो भी सकता है। ऐसे में प्रेग्नेंट महिलाओं को बच्चे के लिए हर हाल में खुश रहना चाहिए। मगर जोर से हंसने से बचना चाहिए। 

​तेज रोशनी का पड़ना

गर्भाव्स्था के 15 वें हफ्ते में बच्चा की आंखों में विकास होता है। ऐसे में वह रोशनी के प्रति अपनी प्रतिक्रिया दिखाने लगता है। ऐसे में 22 वें हफ्ते तक पहुंचते हुए शिशु आंखों पर पड़ी तेज रोशनी को पहचानना शुरू कर देता है। इस दौरान अभी उसकी आंखों की रोशनी कम होने पर भी वह सूरज की तेज रोशनी को महसूस व देखने में सक्षम होता है। ऐसे में अगर तेज रोशनी पड़ने पर वह परेशानी महसूस करता है। इसलिए प्रेग्नेंसी में महिला को जितना हो सके सूरज का तेज रोशनी में कही बाहर जाने से बचना चाहिए। मगर फिर भी कही जाना पड़े तो उसे अपने पेट को अच्छे से कवर करके ही घर से निकालना चाहिए।

​मां का उदास व दुखी रहना

मां के खुश या दुखी होने का बच्चे पर पूरा असर होता है। ऐसे में मां के निरंतर दुखी रहने पर बच्चा तनाव महसूस कर सकता है। साथ ही मां द्वारा लंबे समय तक उदास व तनाव में रहने से बच्चे पर बुरा असर पड़ता है। असल में, तनाव होने पर बॉडी में नेगेटिव हार्मोन्स बनने लगते हैं। ऐसे में ये बच्चे तक पहुंच कर उसे किसी भी तरह का कोई नुकसान पहुंचाने का काम कर सकते हैं।

​तेज आवाज बोलना या शोर करना

एक्सपर्ट्स के अनुसार, गर्भावस्था के 20 वें महीने में बच्चा आसपास की चीजों को सुनने और महसूस करने में सक्षम हो जाता है। इस दौरान शिशु को म्यूजिक अच्छा लगता है। मगर तेज आवाज या शोर करने पर वह डर और असुरक्षित महसूस करता है। जहां मां की आवाज सुनने से शिशु के दिल की धड़कन तेज होती है, वहीं शोर या तेज आवाज होने पर बच्चा डर या विचलित हो जाता है। 

​स्‍पाइसी व मसालेदार भोजन

इस बात को तो सभी जानते ही होंगे कि मां जो भी चीज खाती है उसके स्वाद के साथ पोषण भी शिशु तक पहुंचता है। इसी के चलते महिलाओं को गर्भावस्था के दौरान पौष्टिक आहार लेने की सलाह दी जाती है। ताकि शिशु को सभी जरूरी तत्व मिलने से उसका बेहतर तरीके से विकास हो सके। ऐसे में ज्यादा स्पाइसी और मसालेदार खाना शिशु की सेहत पर बुरा असर डाल सकता है। इसलिए मां को इसका सेवन करने से बचना चाहिए।

ऐसे में गर्भ में पल रहे बच्चे को बाहर की कुछ चीजें अच्‍छी तो कुछ चीजें परेशान करती हैं। इसलिए मां को इन सब बातों का ध्यान रखना चाहिए।
 

Content Writer

neetu