महिलाओं पर ज्यादा होता है इन 5 बीमारियों का अटैक, जरूरी है अभी से जान लें इसके लक्षण
punjabkesari.in Thursday, Apr 06, 2023 - 01:03 PM (IST)
विश्व स्वास्थ्य संगठन के तहत हर साल 7 अप्रैल को विश्व स्वास्थ्य दिवस मनाया जाता है। इसका मकसद दुनिया को स्वास्थ्य के प्रति जागरूक करना है।एक उम्र के बाद लगभग हर व्यक्ति को स्वास्थ्य से जुड़ी समस्याओं का सामना करना पड़ता है, ऐसे में महिलाओं को खुद के स्वास्थ पर ध्यान देने की आवश्यकता है। पुरुषों की तुलना में अवसाद और चिंता के लक्षण महिला रोगी में ज्यादा देखे जाते हैं। कैंसर से भी उनकी लंबी जंग चल रही है। ऐसे में आज हम उन बीमारियाें के बारे में बताने जा रहे हैं, जो महिलाओं को अधिक घेरती हैं।
ब्रेस्ट कैंसर
भारत में महिलाओं को होने वाले बीमारी में ब्रेस्ट कैंसर सबसे आम है । अगर शुरूआती स्टेज में लक्षणों की पहचान कर ली जाए तो कैंसर का इलाज संभव है लेकिन अगर इसे नजरअंदाज किया जाता है, तो यह आपकी जान की भी दुश्मन बन सकता है। वैसे तो ब्रेस्ट कैंसर पुरुषों को भी हो सकता है लेकिन महिलाओं को इसका संभावना अधिक होती है।
क्या है इसे लक्षण
-ब्रेस्ट में लंप या गांठ और छूने पर कठोर लगना ये ब्रेस्ट कैंसर का सबसे बड़ा संकेत है।
-ब्रेस्ट कैंसर के मामले में निप्पल से पीले, हरे या लाल रंग का लिक्विड डिस्चार्ज होता है।
-ब्रेस्ट कैंसर में स्किन लाल, बैंगनी या नीली दिखाई दे सकती है।
-स्तन कैंसर आपके निपल्स की कोशिकाओं में परिवर्तन का कारण बन सकता है जिससे वे अंदर की ओर उलटे हो सकते हैं।
-20 से 30 साल की महिलाओं में ब्रेस्ट कैंसर के मामले आने का कारण लाइफस्टाइल की बजाए जेनेटिक है।
ऐसे करें अपनी देखभाल
-ब्रेस्ट कैंसर के लक्षण दिखें तो तुरंत डाक्टर से संपर्क करें।
-घर में पहले ही कैंसर हिस्ट्री है तो 25 साल की उम्र के बाद स्क्रीनिंग व जेनेटिक टेस्टिंग करवाएं।
-योग, एक्सरसाइज और सैर से शरीर को एक्टिव रखें।
-संतुलित और स्वस्थ आहार का सेवन करने से ब्रेस्ट कैंसर के जोखिम को टाला जा सकता है।
PCOD
पीसीओडी, महिलाओं को होने वाला बेहद आम रोग है। हालांकि कई औरतें इस बीमारी से बिल्कुल अंजान है । यह महिलाओं को प्रभावित करने वाली एक कॉमन समस्या है जो मुख्य रूप से हार्मोन में असंतुलन के कारण होती है। इससे पीड़ित महिला के शरीर में पुरुष हार्मोन यानी एण्ड्रोजन का स्तर बढ़ जाता है एवं अंडाशय पर सिस्ट बनने लगते हैं।
पीसीओडी के लक्षण
-पीरियड्स अनियमित होना
-बाल झड़ना
-श्रोणि में दर्द होना
-वजन बढ़ना
-मुहांसे आना
-बांझपन की शिकायत होना
-त्वचा तैलीय होना
-ब्लड प्रेशर बढ़ना
-दूसरे हार्मोन में असंतुलन होना
-थकान महसूस होना
-सिर में दर्द होना
-मूड में अचानक बदलाव आना
PCOD से बचने के लिए क्या करें?
-अपनी डेली रूटीन सही करें। मौसम के अनुसार, फल-सब्जियों का सेवन करें।
-योग और सैर को अपनी दिनचर्या में शामिल करें।
-फाइबर, विटामिन ई और ओमेगा 3 और 6 फैटी एसिड ज्यादा लें।
-आयुर्वेदिक नुस्खों की मदद से भी इसे ठीक किया जा सकता है लेकिन इससे पहले चिकित्सक सलाह लेना ना भूलें।
सर्वाइकल कैंसर
सर्वाइकल कैंसर एक ऐसी खतरनाक बीमारी है, जो गर्भाशय ग्रीवा से शुरू होकर लिवर, ब्लैडर, योनि, फेफड़ों और किडनी तक फैल जाता है। आंकड़ों की मानें तो ब्रेस्ट कैंसर के बाद 50% महिलाओं में मौत का दूसरा कारण सर्वाइकल कैंसर है। इस कैंसर को बच्चेदानी के कैंसर के नाम से भी जाना जाता है।
सर्वाइकल कैंसर के लक्षण
- पीरियड्स अनियमित
- असामान्य रक्तस्राव
- व्हाइट डिस्चार्ज
- बार-बार यूरिन आना
- पेट के निचले हिस्से व पेडू में दर्द या सूजन
- बुखार, थकावट
- भूख न लगना
- वैजाइना से लाइट पिंक जेलनुमा डिस्चार्ज
सर्वाइकल कैंसर से बचाव
- असुरक्षित शारीरिक संबंध बनाने से बचे और एक से ज्यादा पार्टनर के साथ संबंध ना बनाएं।
- धूम्रपान, शराब जैसी नशीली वस्तुओं से जितना हो सके दूरी बनाकर रखें।
- अपनी डाइट में फल, सब्जियां, डेयरी प्रोडक्ट्स, फाइबर फूड्स, साबुत अनाज, दही, सूखे मेवे, बीन्स आदि अधिक लें।
- फिजिकल एक्टिविटी ज्यादा से ज्यादा करें। सबसे जरूरी बात अपना मोटापा कंट्रोल में रखें।
- इसके बीमारी से बचने के लिए HPV इंजेक्शन लगाना ना भूलें।
पोस्टपार्टम डिप्रेशन
डिलीवरी के बाद ज्यादातर महिलाओं को मूड स्विंग्स, चिड़चिड़ापन और एंग्जायटी महसूस होती है। प्रेग्नेंसी की वजह से अक्सर नई मांएं स्ट्रेस और डिप्रेस महसूस करती हैं, जिसे मे पोस्टपार्टम डिप्रेशन कहते हैं। कई नई मांओं को प्रेग्नेंसी के समय से ही डिप्रेशन महसूस होने लगता है और उन्हें इस बात का एहसास तक नहीं हो पाता है कि वो डिप्रेशन में हैं।
पोस्टपार्टम डिप्रेशन के लक्षण
- हर समय मन उदास रहना
- स्वभाव में चिड़चिड़ापन बढ़ना और एंग्जइटी महसूस होना
- ज्यादा आलस व थकान रहना
- खुद को किसी काम का ना समझना
- सिर या पेट में दर्द की परेशानी होना
- भूख कम या ना के बराबर लगना
- किसी काम या एक्टिविटी में ध्यान व मन ना लगना
- कई मांओं को बच्चे के साथ बॉन्डिंग बनाने में समस्या आती है
- बार-बार मन में बुरे ख्याल आने से रोने का मन करना
- अकेले रहना का मन करना
पोस्टपार्टम डिप्रेशन का इलाज
- डिलीवरी के बाद पार्टनर व परिवार के सदस्य महिला के साथ अधिक से अधिक समय बीताएं।
- अपने खान-पान का अच्छे से ध्यान रखें।
- डॉक्टर से पूछकर हल्की-फुल्की एक्सरसाइज या योग करें।
- दोस्तों के साथ फोन के जरिए संपर्क में रहें।
- समस्या अधिक हो तो इससे बचने के लिए काउंसलिंग का सहारा लें।
- पार्टनर व परिवार वालों का सपोर्ट मिलने पर भी इस समस्या से बचा जा सकता है।
थायराइड
महिलाओं में थायराइड की समस्या आम देखने को मिल रही है। हार्मोन्स में गड़बड़ाहट के चलते औरतें इस समस्या का शिकार हो रही हैं। थाइराइड ग्रंथि में सूजन के चलते जब इन हार्मोन्स का निर्माण अच्छे से नहीं हो पाता, तो दिल से जुड़ी समस्याएं, बड़ा हुआ कोलेस्ट्रोल और मांसपेशियों में कमजोरी जैसी समस्याएं आपको घेर लेती हैं।
थायराइड के शुरुआती लक्ष्ण
- ग्ले में दर्द रहना
- हल्की सूजन
- कमजोरी महसूस करना
- नींद न आना
- अधिक प्यास लगना
- ग्ला सूखना
- पसीना आना
- दिमागी कमजोरी और चिंता
- त्वचा का रूखापन
- महिलाओं में पीरियड्स की अनियमितता
- मांसपेशियों और जोड़ों में दर्द
थायराइड का उपचार
- विटामिन ए से भरपूर खाद्य पदार्थ खाएं, जैसे ब्रोकली, पालक, और ज्यादातर गहरे हरे पत्ते वाली सब्जियां।
- कच्ची सब्जियां, विशेष रूप से फूलगोभी, केल, ब्रसेल्स स्प्राउट्स और ब्रोकली खाने से बचना चाहिए।
- प्रतिदिन दूध में हल्दी पका कर पीने से भी थायराइड का उपचार होता है।
- तनाव मुक्त जीवन जीने की कोशिश करें।