अन्विता जैन का ‘अरंगेत्रम’: भाव, भक्ति और नृत्य से सजी एक यादगार शाम
punjabkesari.in Sunday, Aug 10, 2025 - 05:18 PM (IST)

नारी डेस्क: भरतनाट्यम नृत्य की दुनिया में एक खास दिन तब बना, जब युवा नृत्यांगना अन्विता जैन ने अपना पहला बड़ा मंच प्रदर्शन अरंगेत्रम शुक्रवार को चिन्मय मिशन ऑडिटोरियम, नई दिल्ली में प्रस्तुत किया। यह कार्यक्रम उनके गुरु पद्मश्री गीता चंद्रन की देखरेख में हुआ।
क्या है अरंगेत्रम?
‘अरंगेत्रम’ का मतलब होता है नृत्य में पहली बार मंच पर उतरना। यह किसी भी शास्त्रीय नृत्य छात्र के लिए एक बहुत बड़ा और भावुक मौका होता है। इसका मतलब होता है कि शिष्य अब अपनी कला को पूरी तरह सीख चुका है और गुरु उसे मंच पर प्रस्तुत करने की अनुमति देता है।
शुरुआत में ही छा गईं अन्विता
कार्यक्रम की शुरुआत पुष्पांजलि से हुई यह एक नृत्यांजलि होती है जो भगवान को समर्पित होती है। इसके बाद अलारिप्पु और जतीस्वरम में अन्विता ने लय, ताल और सुंदर चालों का ऐसा मेल दिखाया कि दर्शक तारीफ करने से खुद को रोक नहीं सके।
‘वर्णम’ में दिखा असली हुनर
शाम का सबसे अहम हिस्सा था वर्णम, जिसमें अन्विता ने अभिनय, भाव और थकान के बावजूद निरंतर परफॉर्म करने की क्षमता का गजब नमूना दिखाया। यह भाग किसी भी नर्तकी के लिए परीक्षा जैसा होता है, और अन्विता ने इसे पूरी निपुणता से निभाया।
कृष्ण और मीरा की कथाएं जीवंत कर दीं
दूसरे भाग में ‘थाये यशोदा’ प्रस्तुति में उन्होंने बाल कृष्ण की शरारतों को इतने भावों से दिखाया कि दर्शक मुस्कुरा उठे। वहीं ‘चाकर राखो जी’ में उन्होंने मीरा बाई की भक्ति को गहरे भाव से दर्शाया, जिसने सबको भावुक कर दिया। रंग-बिरंगी तिल्लाना से हुआ समापन कार्यक्रम का अंत तिल्लाना से हुआ यह खुशी और उत्सव का प्रतीक होता है। इसमें अन्विता ने अपनी ऊर्जा और संतुलन का बेहतरीन प्रदर्शन किया।
खास मेहमान और भरा हुआ ऑडिटोरियम
इस खास मौके पर लोकगायिका मालिनी अवस्थी मुख्य अतिथि रहीं। ऑडिटोरियम में करीब 300 से ज़्यादा लोग मौजूद थे, जिनमें कला प्रेमी, संस्कृतिकर्मी और नृत्य की दुनिया से जुड़ी कई हस्तियां थीं।
7 साल की उम्र से की शुरुआत
अन्विता ने सिर्फ 7 साल की उम्र में नृत्य सीखना शुरू किया था। इस अरंगेत्रम में उन्होंने जो परिपक्वता और भावनात्मक गहराई दिखाई, वह उनकी कड़ी मेहनत और गुरु की शिक्षा का नतीजा है।
नाट्य वृक्ष की संस्कृति के लिए पहल
इस कार्यक्रम को नाट्य वृक्ष संस्था ने आयोजित किया था, जो भारतीय शास्त्रीय नृत्य को आगे बढ़ाने के लिए लगातार काम कर रही है। अन्विता जैन का अरंगेत्रम सिर्फ एक परफॉर्मेंस नहीं, बल्कि गुरु-शिष्य परंपरा, साधना, और भारतीय संस्कृति का एक जीवंत उदाहरण था। इस शाम ने यह साबित कर दिया कि शास्त्रीय कला आज भी नए कलाकारों में उसी लगन और आत्मा के साथ जीवित है।