सलाम! मिलिए राजस्थान की 'स्टीफन हॉकिंग' अनुराधा से, पूरा शरीर दिव्यांग सिर्फ दिमाग करता है काम

punjabkesari.in Friday, Feb 19, 2021 - 02:02 PM (IST)

कहते हैं अगर भगवान आपका एक रास्ता बंद करे तो वह आपके लिए बाकी कईं और रास्ते खोल देता है। आपने अपने आस-पास ऐसे कईं लोग भी देखें होंगे जो शारीरिक और मानसिक रूप से दूसरों से कमजोर होते हैं। कुछ लोग तो अपनी इस कमजोरी को ही जिंदगी मान लेते हैं और कभी आगे बढ़ने की नहीं सोचते हैं लेकिन ऐसे समय में भी आपको हिम्मत नहीं हारनी चाहिए क्योंकि आपके द्वारा की गई मेहनत ही आपको सफलता दिला सकती है। और ऐसा ही उदाहरण पेश किया है राजस्थान के हनुमानगढ़ जिले की अनुराधा बुडानिया ने। 

राजस्थान की 'स्टीफन हॉकिन्स' के नाम से फेमस 

आपने ने दुनिया के महान वैज्ञानिक स्टीफन हॉकिंग के बारे में तो सुना ही होगा। स्टीफन वो वैज्ञानिक जिनका सिर्फ दिमाग काम करता था और बाकी शरीर का पूरा हिस्सा दिव्यांग था। और कुछ ऐसी ही है अनुराधा। तभी तो इन्हें राजस्थान की स्टीफन हॉकिन्स के नाम से भी जाना जाता है। 

 अनुराधा का पूरा शरीर है दिव्यांग लेकिन सिर्फ दिमाग करता है काम 

आपको बता दें कि अनुराधा बाकी लोगों की तरह चल फिर नहीं सकती है। उनका पूरा शरीर दिव्यांग है लेकिन अनुराधा का दिमाग काम करता है और वह भी बाकी लोगों से ज्यादा। तभी तो अपनी दिमाग की ताकत के साथ ही उन्होंने ऐसा कमाल किया कि आज उनका नाम हर किसी जुबां पर है। 

12वीं मे लिए 85 प्रतिशत अंक

अनुराधा राजस्थान के श्रीगंगानगर जिले के गांव नथवाना की रहने वाली है। अनुराधा ने कमाल तो तब कर दिखाय जब उन्होंने 12वीं कक्षा में 85 प्रतिशत अंक हासिल किए। जी हां... आपको भी सुन कर हैरानी तो जरूर हुई होगी क्योंकि अकसर ऐसी हालत में पढ़ना और इतने अच्छे अंक लेना थोड़ा मुश्किल होता है लेकिन अनुराधा ने हार नहीं मानी और कड़ी मेहनत से अच्छे अंक लिए। 

राजस्थान सरकार से मिला गार्गी पुरस्कार

अनुराधा को राजस्थान सरकार की तरफ से गार्गी पुरस्कार भी दिया गया है। जब वह स्टेज पर अवॉर्ड लेने आई तो मां की गोद में बैठकर में आई। इसके बाद अनुराधा को माला व पगड़ी पहना उसका सम्मान किया।

खुद से किताब भी नहीं उठा पाती हैं अनुराधा 

अनुराधा बचपन से ही दिव्यांग है। उन्होंने 8वीं तक की पढ़ाई घर पर ही रहकर की है। क्योंकि अनुराधा के शरीर का कोई भी हिस्सा काम नहीं करता है। वह खुद से किताब भी नहीं उठा पाती है। ऐसे में माता-पिता के सहारे ही वह स्कूल जाती थी। 

पिता बने सहारा लेकिन ...

अनुराधा ने 9वीं के बाद स्कूल जाना शुरू किया। पिता ही उन्हें स्कूल लेने जाते थे और छोड़कर जाते थे लेकिन अचानक उनकी मौत हो गई। जिसके बाद अनुराधा की मां ने ही उन्हें संभाला और उनका पूरा ख्याल रखा। बता दें कि 10वीं में भी अनुराधा ने 78.50 प्रतिशत अंक हासिल किए थे। 

आईएएस बनने का है सपना 

बता दें कि अनुराधा का यह सपना है कि वह अपनी मुश्किलों से लड़े औ उन्हें सवारें। अनुराधा का यह सपना भी है कि वह आईएएस बने। 

Content Writer

Janvi Bithal