फर्ज के लिए कुछ भी! रोज 18km नाव चलाकर आदिवासी बच्चों और गर्भवती तक मदद पहुंचा रही रेलू

punjabkesari.in Tuesday, Nov 17, 2020 - 05:24 PM (IST)

कोरोना वायरस के खिलाफ डॉक्टर्स, नर्स और मेडिकल स्टाफ, आंगनवाड़ी कार्यकर्ता ही नहीं बल्कि पूरा देश एकजुट होकर खड़ा है। उन्हीं में से एक हैं मुंबई की रेलू वासवे, जो लाख परेशानियों के बाद भी लोगों की मदद करने से पीछे नहीं हट रहीं।

आंगनवाड़ी कार्यकर्ता हैं रेलू

27 साल की रेलू वासवे आंगनवाड़ी कार्यकर्ता हैं और खुद दो बच्चों की मां है। वह रोजाना 18 कि.मी. नाव चलाकर एक लंबा सफर तय करती हैं, ताकि आदिवासी बच्चों और गर्भवती महिलाओं की मदद कर सके और उनतक अपनी सेवाएं पहुचा सकें। रेलू के पास गांव तक पहुंचने का सड़क मार्ग नहीं था इसलिए उन्होंने नाव के जरिए आदिवासी बच्चों व गर्भवती महिलाओं तक पहुंचने का फैसला किया।

फर्ज के लिए कुछ भी

बसों तक पहुंचने के लिए भी गांव के लोगों को नांव का सहारा लेना पड़ता है ऐसे में रेलू ने इंतजार करने की बजाए खुद नाव चलाना बेहतर समझा। उन्होंने एक स्थानीय मछुआरे से नाव उधार ली और अपने काम पर निकल पड़ी। तमाम बधाएं आने के बाद भी रेलू के कदम नहीं डगमगाएं।

कोरोना के डर से नहीं आ रहे थे आदिवासी

रेलू ने बताया कि आमतौर पर आदिवासी महिलाएं, गर्भवती व बच्चे अपने परिवार के साथ हमारे केंद्र पर आते थे लेकिन कोरोना के डर से उन्होंने आना बंद कर दिया। ऐसे में उन्होंने खुद बच्चों व महिलाओं तक भोजन ले जाने का फैसला किया।

नदी में बाढ़ आने पर भी नहीं रूकी रेलू

वह लगातार 6 महीने से नर्मदा नदी पार करके अपनी ड्यूटी निभा रही हैं। यहां तक की नर्मदा नदी में बाढ़ आने के बाद भी उन्होंने अपनी ड्यूटी नहीं छोड़ी और आदिवासियों तक भोजन व जरूरी सामान पहुंचाया।

इस नेक काम के लिए रेलू का जितना शुक्रिया किया जाए वह कम ही है। समाज को रेलू जैसे लोगों की जरूरत है, जो बिना मतलब लोगों की सेवा करें।
 

Content Writer

Anjali Rajput