अंतिम वक्त तक राजू को सुनाई गई अमिताभ बच्चन  की आवाज, Big B के लिए कॉमेडियन छोड़ आए थे घर-बार

punjabkesari.in Thursday, Sep 22, 2022 - 12:21 PM (IST)

मशहूर कॉमेडियन राजू श्रीवास्तव की जिंदगी में अगर कोई सबसे खास व्यक्ति था, तो वह शायद अमिताभ बच्चन थे। बच्चन की वजह से ही वह मुंबई आए, हास्य कला की दुनिया में खुद को स्थापित किया और उनका हस्ताक्षर आज भी श्रीवास्तव के घर में संजोकर रखा गया है। कहा जाता है कि बच्चन उनके लिए “भगवान” थे, तभी तो आखिरी वक्त में भी उनके चहेते सितारे की आवाज उन्हें सुनाई गई थी।


अमिताभ बच्चन ने राजू के लिए भेजा था खास संदेश 

दरअसल इलाज के दौरान जब दवाइयों का असर कम होने लगा तो राजू रेस्पॉन्ड नहीं कर पा रहे थें।  डॉक्टरों ने सलाह दी थी कि अगर वह किसी प्रिय की आवाज सुनेंगे तो शायद कुछ रिस्पॉन्स करें।  ऐसे में परिवार वालों की गुजारिश पर अमिताभ बच्चन ने अपनी आवाज़ में राजू श्रीवास्तव के लिए खास ऑडियो संदेश भेजा और कहा "राजू उठो, बस बहुत हुआ, अभी बहुत काम करना है।


अभिनेता को देखने मुंबई आ गए थे राजू

बता दें कि अपने गृहनगर कानपुर के एक सिनेमाघर में बच्चन की फिल्म देखते-देखते बड़े हुए श्रीवास्तव ने अभिनेता के साथ अपनी समानता पर गौर किया और फिर उनकी नकल करने लगे। साल 1982 में जब “कुली” फिल्म की शूटिंग के दौरान बच्चन को भीषण चोट लगी तब महज 18 वर्ष की आयु में श्रीवास्तव मुंबई पहुंच गए। वह बच्चन की एक झलक पाना चाहते थे। श्रीवास्तव को बच्चन की झलक देखने को नहीं मिली तो वह ब्रीच कैंडी अस्पताल में ताक लगाए बैठी भीड़ में शामिल हो गए, जहां बच्चन भर्ती थे।

झोपड़ पट्टी में रहते थे राजू श्रीवास्तव 

श्रीवास्तव के भाई दीपू ने बताया कि- राजू रोजाना अस्पताल के बाहर खड़े हो जाते और बच्चन जी के लिए कामना करते। वह अमिताभ बच्चन जी को देखने आए थे क्योंकि वह उन्हें भगवान मानते थे बच्चन ठीक होकर सेट पर लौट गए। और श्रीवास्तव ने यहीं रहकर मनोरंजन उद्योग में करियर बनाने का फैसला किया, जिसने उनका जीवन बदल दिया। वह दादर स्टेशन के पुल और पार्कों में सोते थे और झोपड़ पट्टी में रहते थे। वह शहर में होने वाले कॉमेडी शो के बारे में पता लगाने के लिए अखबारों के विज्ञापन खंगालते थे।”

बच्चन की नहीं छोड़ते थे एक भी फिल्म

दीपू ने भाई की बचपन की यादें सांझा करते हुए बताया-  “ राजू श्रीवास्तव बच्चन की एक भी फिल्म नहीं छोड़ते थे और फिल्म देखने के लिए स्कूल से भाग जाया करते थे। हमारी मां कई बार इसके लिए उनकी पिटाई कर चुकी थीं। स्कूल में स्वतंत्रता दिवस समारोह के दौरान वह  बच्चन की नकल उतारते थे। कानपुर में जब भी किसी बारात में अमिताभ बच्चन के गाने बजते थे, तो वह नाचने लगते थे।

 

अमिताभ बच्चन के कारण बदली जिंदगी

दीपू ने कहा यह शायद उनकी नियति थी कि उन्हें एक कॉमेडी शो में अपने पसंदीदा अभिनेता की नकल उतारने का काम मिल गया। मुंबई में हुए ऐसे ही एक शो में टी-सीरीज के गुलशन कुमार मौजूद थे। उन्होंने  बताया कि- “भाई की कॉमेडी देखने के बाद, गुलशन कुमार ने उन्हें ऑडियो कैसेट शो ‘हसना मना है’ की पेशकश की। उन्होंने टी-सीरीज और वीनस जैसे लेबल के लिए ऐसे लगभग 25 से 30 शो किए।”

राजू ने संजोकर रखा था बच्चन का हस्ताक्षर 

बाद के वर्षों में भी श्रीवास्तव का बच्चन के प्रति यह लगाव बरकरार रहा। दीपू ने बताया कि “श्रीवास्तव के घर में आज भी एक तय जगह पर बच्चन का हस्ताक्षर संजोकर रखा हुआ है। राजू भाई किसी भी शो के लिए जाने से पहले उनसे आशीर्वाद लेते थे।”दस अगस्त को दिल्ली के एक होटल में व्यायाम करते समय श्रीवास्तव को दिल का दौरा पड़ा था। उन्हें अस्पताल ले जाया गया था और तब से वे ‘वेंटिलेटर’ पर थे। बुधवार को  उन्होंने अस्पताल में अंतिम सांस ली। 
 

Content Writer

vasudha