अनोखा किला! जिसे बनाने के लिए देनी पड़ी थी एक संत की बलि

punjabkesari.in Friday, Aug 25, 2017 - 04:11 PM (IST)

भारत देश अपनी संस्कृति और ऐतिहासिक किलों के लिए मशहूर है। ऐसा ही राजस्थान के उदयपुर में एक किला है जिसका नाम कुंभलगढ़ है। यह किला चितौड़गढ़ के बाद दूसरी सबसे अहम जगह है और यहीं महाराणा प्रताप का जन्म हुआ था। इस किले की खासियत की वजह से इसे राजस्थान में दूसरी सबसे मुख्य जगहों में से एक माना जाता है। आइए जानिए इस किले के बारे में


1. इस किले का निर्माण 15वीं शताब्दी में मेवाड़ के राजा कुंभा ने करवाया। उस समय यहां मुगलों का राज था और बाहरी आक्रमणों से बचने के लिए उन्होंने किले केचारों तरफ मजबूत दीवार बनवानी शुरू की लेकिन इस दीवार का काम खत्म होने का नाम नहीं ले रहा था।

2. दीवार की समस्या के बारे में राजा कुंभा ने एक संत के सामने रखा और उन्होंने बताया कि किसी व्यक्ति की बलि देकर ही इस दीवार का काम पूरा हो सकता है। 3. ऐसे में उसी संत ने राजा को अपनी बलि देने की सलाह दी। संत ने राजा को कहा कि वह एक पहाड़ी पर चलेगा और चलते-चलते वह जहां रूका वहीं उसकी बलि चढ़ा दी जाए। संत ने यह भी कहा कि जिस जगह उसकी बलि दी जाएगी वहां एक देवी का मंदिर बनवाया जाए।

4. राजा ने ऐसा ही किया और पहाड़ी पर 36 कि.मी. चलने के बाद संत जैसे ही थक कर रूका, उसी जगह संत की गर्दन शरीर से अलग कर दी गई। संत का सिर जहां गिरा वहां किले की दीवार का मुख्य द्वार बनवाया गया और संत का शरीर जिस जगह गिरा, वह किले का दूसरा मुख्य द्वार है।
5. ऐसा करने के बाद दीवार का काम भी पूरा हो गया और इस मजबूत दीवार के कारण कोई भी मुगल शासक इसे जीत नहीं सका।

6. यह दीवार 36 किं.मी. लबी है और इसकी चौड़ाई इतनी ज्यादा है कि 10 घोड़े भी एक ही समय इस पर दौड़ सकते हैं।
 


 

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