जिनका कोई नहीं उनकी अल्पाबेन: 352 लावारिस लाशों का किया अंतिम संस्कार, 12 रेप पीड़ितों को लिया गोद

punjabkesari.in Saturday, Mar 12, 2022 - 01:09 PM (IST)

सेवा परमो धर्म यानि सेवा सबसे बड़ा धर्म है और इसकी जीती जाती मिसाल है अल्पाबेन पटेल , जो अब तक ना सिर्फ कई लावारिस लाशों का अंतिम संस्कार कर चुकी हैं। यही नहीं, वह कई रेप पीड़ितों के लिए सहारा भी बनीं। वह अपने पति समीर पटेल के साथ मिलकर वे सामाजिक कार्यों में जुटी हुई हैं।  चलिए आपको बताते हैं अल्पाबेन की इंस्पायरिंग स्टोरी।

कौन है अल्पाबेन?

गुजरात के आणंद जिले की रहने वाली सोशल वर्कर अल्पाबेन समीरभाई पटेल (Alpaben Samirbhai Patel) कई लावारिस लाशों का अंतिम संस्कार कर चुकी हैं। कोरोना काल में जब लोग कोरोना पॉजिटिव डेड बॉडी को हाथ लगाने से भी डर रहे थे उस वक्त अल्पाबेन ने उनका अंतिम संस्कार किया। उनके मुताबिक, अंतिम संस्कार से बड़ा कोई सेवाकार्य और धर्म नहीं है क्योंकि वह इंसान का आखरी वक्त होता है। वह अबतक करीब 352 से ज्यादा लाशों का अंतिम संस्कार कर चुकी हैं।

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लावारिस लाशों का करती हैं अंतिम संस्कार

अल्पाबेन ने बताया कि वह बचपन से ही सोशल वर्क से जुड़ी थी। शादी बाद उन्हें पति का सहयोग मिला और वह महिलाओं के अधिकारों के लिए भी काम करने लगी। जब भी उन्हें पता चलता है कि किसी की मौत हुई और कोई उनका अंतिम संस्कार नहीं करना चाहता तो वह खुद अपने पति के साथ पूरे रीति-रिवाज से संस्कार करती हैं। वे कहती हैं कि शुरू में थोड़ा अजीब लगता था लेकिन अब यह उनकी रूटीन का हिस्सा बन गया है। चाहे बारिश आए या तूफान वह कभी अपने कर्तव्य से पीछे नहीं हटती। एक बार उन्होंने तूफानी रात में मोबाइल की टॉर्च और बाइक की लाइट जलाकर अंतिम संस्कार किया था।

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रेप पीड़ितों को लिया गोद

सिर्फ लावारिस लाशों ही नहीं वह कई रेप पीड़ितों के लिए भी सहारा बन चुकी हैं। उन्होंने ना सिर्फ 12 रेप पीड़ितों को गोद लिया बल्कि वह उनकी पढ़ाई से लेकर खानपान, कपड़े का भी पूरा खर्च उठाती हैं। वह अकेली, विधवा महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने का काम भी कर रही हैं। वह ऐसी महिलाओं को सिलाई-बुनाई सिखाकर रोजगार देती हैं।

महिलाओं को बना रहीं आत्मनिर्भर

उन्होंने "नव गुजरात महिला अधिकार संघ" की भी शुरूआत की, जहां वो महिलाओं व लड़कियों को आत्मनिर्भर बनने के लिए ट्रेनिंग देती हैं। उनके इस संघ में लड़कियों को सिलाई-कढ़ाई, गृह उद्योग और रसोई कला सिखाई जाती है। उनकी संस्था आणंद के अलावा खेड़ा, महीसागर, पंचमहाल और वडोदरा जिले में भी काम कर रही है।

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बेसहारा बुजुर्गों को दिखाई राह

यही नहीं, अल्पाबेन ने सैकड़ों बेसहारा बुजुर्गों, मानसिक रूप से बीमार लोग व भिखारियों को आश्रमों तक पहुंचाने का काम भी किया। उन्होंने करीब 8500 परिवारों के आपसी विवाद सुलझाने में भी मदद की।

कई अवॉर्ड से सम्मानित

सोशल वर्क के चलते उन्हें हाल ही में वुमन ग्लोबल ट्रायम्फ फाउंडेशन की तरफ से ग्लोबल वूमेन अचीवर्स 2021 अवार्ड से भी सम्मानित किया गया था। वर्ल्ड बुक रिकॉर्ड, लंदन की तरफ से भी उन्हें सम्मान मिल चुका है। अल्पा को गुजरात सरकार ने सम्मानित भी किया है। इतना ही नहीं इंटरनेशनल लेवल पर भी उन्हें कई अवॉर्ड्स मिल चुके हैं।

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Content Writer

Anjali Rajput

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