बेटी के सपनों के लिए मां ने तोड़ी सामाजिक बंदिशें, तो आज बेटे का फर्ज निभा रही रमेशी
punjabkesari.in Sunday, Sep 22, 2019 - 06:16 PM (IST)
आज के समय में न केवल हक के मामले में बेटियां बेटों के बराबर है बल्कि कर्तव्य निभाने के मामले में भी लड़कियां लड़कों से कम नही हैं। इसी बात की मिसाल है करौली गांव की एसोसिएट प्रोफेसर रमेशी मीना। जो न केवल अपने ससुराल में बल्कि अपनी 40 साल की मां की भी पूरी सेवा करती हैं। वहीं मां ने भी अपने बेटी को इस पद तक पहुंचाने के लिए पूरी मेहनत की हैं।
वनस्पति शास्त्र की एसोसिएट प्रोफेसर रमेशी
रमेशी इस समय करौली के राजकीय महाविद्यालय में वनस्पति शास्त्र की एसोसिएट प्रोफेसर हैं। वह अपनी मां के साथ मामचारी गांव में रहती हैं। मीना से पहले उसकी दो बहनों की शादी हो गई थी। वह बचपन से ही अधिकारी बनना चाहती थी इसलिए मां ने उसे पढ़ने के लिए करौली भेज दिया।
मां ने खेती संभाल पूरी करवाई बेटी की पढ़ाई
2008 में एमएससी की परीक्षा के दौरान मीना के पिता की मृत्यु हो गई। कोई भाई न होने के कारण उसे लगा कि वह आगे पढ़ नही पाएगी क्योंकि घर चलाने वाला कोई नही था। इतना ही नही इस दौरान लोगों ने उसकी मां पर भी मीना का शादी का जोर डालना शुरु कर दिया लेकिन मीना की मां ने इस बात पर पूरी तरह से मना कर दिया। उन्होंने कहा कि उनकी बेटी की शादी तभी होगी जब वह अधिकारी बन जाएगी। इसके बाद मां ने खेती का काम संभाल कर मीना की पढ़ाई जारी रखी।
ससुराल के साथ मां को भी संभाल रही है मीना
इसके बाद मीना की शादी सवाईमाधोपुर जिले के गम्भीरा-भाड़ौती निवासी कृषि वैज्ञानिक चन्द्रप्रकाश से हुई। शादी के बाद अपने सुसराल वालों के साथ तालमेल बिठा कर मीना इस समय अपनी मां का भी सहारा बनी हुई हैं। नौकरी के दौरान वह अपनी मां को भी साथ रखना चाहती थी लेकिन मां गांव छोड़ कर नही जाना चाहती हैं इसलिए वह अपनी मां के साथ रहती हैं। कॉलेज जाने से पहले वह अपनी मां से आर्शीवाद लेती है। वहीं उसके पति चंद्रप्रकाश जैसलमेर में काम कर रहे हैं। मीना मां के साथ- साथ आए दिन अपने ससुराल भी जाती रहती हैं।