अफगानिस्तान में महिलाओं का दिखा नया रूप, काबुल में दे रहीं तालिबान को चुनौती

punjabkesari.in Saturday, Sep 04, 2021 - 06:36 PM (IST)

अफगानिस्तान में तालिबान का कब्जा होते ही वहां पर शरिया कानून लागू कर दिया गया है जिससे वहां के लोगों का मानना है कि अब हम पहले की तरह आजादी की जिदंगी नहीं जी पाएंगे, जिसके चलते अब तक लाखों लोग देश छोड़ अन्य देशों में शरण ले चुके हैं। 

अफगानिस्तान की महिलाओं का दिखा नया रूप 
लेकिन वहीं अब अफगानिस्तान की महिलाओं का एक नया रूप देखने को मिला है। दरअसल, काबुल में तालिबान कोकई मोर्चों पर विरोध का सामना करना पड़ रहा है। पंजशीर में उसे नॉदर्न अलायंस के कड़े प्रतिरोध का सामना करना पड़ रहा है तो वहीं अफगानी महिलाओं ने भी तालिबान के खिलाफ मोर्चा खोल रखा है। काबुल में महिलाएं लगातार दूसरे दिन अपनी मांगों को लेकर सड़कों पर उतरी। वे नई सरकार में प्रतिनिधित्‍व और बराबरी के अधिकारों की मांग कर रही हैं, जो तालिबान को शायद ही कभी स्‍वीकार हो।

तालिबान ने प्रदर्शन कर रहीं महिलाओं पर  करवाया आंसू गैस स्‍प्रे
बता दें कि काबुल में महिलाएं गुरुवार से ही प्रदर्शन कर रही हैं। शुक्रवार को लगातार दूसरे दिन भी इन महिलाओं ने अपनी मांगों को लेकर प्रदर्शन किया। लेकिन बता दें कि तालिबान ने भी इस बीच अपना असली रंग दिखाते हुए इन  महिलाओं पर आंसू गैस के गोले दागे। दरअसल, महिलाएं काबुल में राष्‍ट्रपति भवन की तरफ बढ़ रही थीं, जब तालिबान लड़ाकों ने उन्‍हें रोकने का प्रयास किया। महिलाओं पर आंसू गैस स्‍प्रे करवाया गया।

अफगान महिलाओं की क्या है मांग?
दरअसल, अफगान महिलाओं की चिंता तालिबान राज में उनके अधिकारों की कटौती को लेकर है। अफगानिस्‍तान में 1996 से 2001 के बीच सत्‍ता में रहे तालिबान ने यहां अपने पहले शासन के दौरान जो सख्‍त पाबंदियां लागू की थी उससे महिलाओं की जिंदगी दोजख हो गई थी। बता दें कि  20 साल पहले  तालिबान के शासन में  महिलाओं पर कोड़े बरसाने, उन्‍हें सार्वजनिक तौर पर सजा देने, शिक्षा व कामकाज से वंचित रखने के जो नियम लागू किए थे, उसे लेकर नए तालिबान के नए राज वाले अफगानिस्‍तान में भी कई तरह की आशंका बनी हुई है। जिसके खिलाफ वह अब बिना डरे तालिबानियों का विरोध प्रदर्शन कर रहीं है। 

20 साल पहले कैसा था तालिबान?
20 साल पहले तालिबान के शासन के दौरान महिलाएं ज्‍यादातर घरों में ही कैद रहती थी, कानूनों का उलंघन करने पर उन्हें सरेआम बेइज्जत किया जाता था और कोड़े मारे जाते थे इतना ही नहीं वह किसी भी तरह का फैशन नहीं कर सकती थी। यहां तक कि महिलाएं घर की खिड़की के पास भी खड़ी नहीं हो सकती थी, वहीं उन्हें जब भी बाहर जाना है तो बुर्का पहनना जरूरी है अन्यथा उनकी जान जोखिम में आ जाती थी। 

अतीत में नहीं लौटना चाहतीं अफगान महिलाएं
इन सब सख्त कानूनों को देखते हुए महिलाएं अफगानिस्‍तान में तालिबान के नेतृत्‍व में बनने वाली नई सरकार में अपने लिए अधिकारों और समान प्रतिनिधित्‍व की मांग कर रही हैं। महिलाओं का कहना है कि वे अतीत में नहीं लौटना चाहतीं और नई सरकार में उचित प्रतिनिधित्‍व तथा तालिबान के राज वाले अफगानिस्‍तान में भी समान अधिकार चाहती हैं।
 

Content Writer

Anu Malhotra