अलर्ट रहें: कैंसर की वजह बन सकता है अक्सर खट्‌टी डकार और सीने में जलन रहना

punjabkesari.in Wednesday, Feb 24, 2021 - 01:05 PM (IST)

भोजन के बाद डकारा आम आम है लेकिन कई बार बार-बार या खट्‌टी डकार और सीने में जलन महसूस होने लगती है। हालांकि लोग इसे मामूली समझकर इग्नोर कर देते हैं लेकिन इससे कैंसर का खतरा बढ़ता है। हाल ही में एक शोध ने कहा कि जिन लोगों को अक्सर खट्टी डकार या सीने में जलन (हार्टबर्न) की समस्या रहती हैं उनमें कैंसर का खतरा अधिक रहता है।

कैंसर का बन सकता है कारण

पाचन क्रिया में गड़बड़ी, पेट दर्द, गैस के कारण ये समस्याएं हो सकती हैं, जिन्हें बर्पिंग भी कहा जाता है। शोध के मुताबिक, इससे लोगों को गले और फूड्स पाइप का कैंसर हो सकता है। वैज्ञानिकों का दावा है कि 17% कैंसर के मामलों में एसिड रिफ्लक्स के मरीज ज्यादा होते हैं। अमेरिका में 20% लोग एसिड रिफ्लक्स से जूझते हैं। इसके अलावा इससे अस्थमा, खांसी, फेफड़ों में सूजन व जलन जैसी समस्याएं भी हो सकती हैं।

क्या होता है एसिड रिफ्लक्स

एसिड रिफ्लक्स एक गेस्ट्रोइसोफेगल रिफ्लक्स डिसीज होता है, जिसके कारण अक्सर बार-बार व खट्टी डकारें आना, सीने में जलन, भोजन निगलने में परेशानी की समस्या हो सकती है। फूड पाइप की आखिरी सिरे पर मांसपेशियां मौजूद होती हैं जो पाइप को खोलने व बंद करने का काम करती हैं। मगर, जब मांसपेशियां ठीक से काम नहीं करतीं तो पेट में बनने वाला एसिड मुंह से बाहर आ जाता है, जिसे इसे एसिड रिफ्लक्स कहा जाता है।

एसिड रिफ्लक्स के लक्षण

. पेट फूलना व खट्टी डकारें आना
. सीने में जलन
. भोजन वापस गले में आना (रिगर्जिटेशन)
. मुंह का स्वाद बिगड़ना
. छाती में दर्द व गले में गांठ
. गला बैठना और अन्य तकलीफ
. भोजन नली में सूजन व दर्द होना
. मुंह से बदबू आना व मसूड़ों में सूजन
. अचानक से अधिक थूक आना
. बार-बार लंग इन्फेक्शन व निमोनिया होना
. लंबे समय से साइनस होना
. दांतों में कीड़े लगना

डॉक्टर को कब दिखाना चाहिए?

कुछ स्थितियां जैसे छाती में दर्द, गले में भोजन अटकना, निगलने में तकलीफ, वजन घटना और उल्टी या मल के साथ खून आए तो उसे हल्के में ना लें। ऐसे में तुरंत डॉक्टर से चेकअप करवाएं।

एसिड रिफ्लक्स होने का खतरा कब बढ़ता है?

1. कुछ फूड्स जैसे खट्टे फल, टमाटर, चॉकलेट, पुदीना, लहसुन, प्याज, मसालेदार व वसायुक्त भोजन, शराब, चाय, कॉफी, कार्बोनेटेड पेय, धूम्रपान से इसका खतरा रहता है।
2. दवाइयां जैसे इबुप्रोफेन, एस्पिरिन, सीडेटिव, एंटीबायोटिक, ओरल ऑस्टियोपोरोसिस, एंटीकोलिनर्जिक, ओपिओइड्स, ब्लड प्रेशर (कैल्शियम चैनल ब्लॉकर ) या मांसपेशियों को शांत करने वाली दवाएं भी डॉक्टर से पूछे बिना ना लें।
3. गर्भवती और स्ट्रेस अधिक लेने से भी एसिड रिफ्लक्स की समस्या हो सकती है।

क्या खाएं?

1. एसिड रिफ्लक्स की समस्या है तो अपनी डाइट में हरी पत्तेदार सब्जियां, हरी बीन्स, ब्रोकोली, शतावरी. फूलगोभी, आलू, खीरा, अदरक, ओटमील, मीठे फल, लीन मीट या सीफूड, केला, सेब, एग व्हाइट, एवोकाडो, जैतून या तिल का तेल, सूरजमुखी के बीज के बीज शामिल करें।

2. एक गिलास एलोवेरा का जूस पीने से भी एसिड रिफ्लक्स की समस्या दूर होती है। साथ ही इससे फूडस पाइप की सूजन से भी छुटकारा मिलता है।

3. सोने से पहले एक कप कैमोमाइल चाय पीने से भी एसिड रिफ्लक्स के लक्षण शांत होते हैं।  साथ ही इससे नींद भी अच्छी आती है।

अब बात बचाव की, ये 5 बातें हमेशा ध्यान रखें

इससे बचने के लिए एसिड बनाने वाली चीजों से जितना हो सके दूरी बनाकर रखनी चाहिए। साथ ही लाइफस्टाइल में कुछ बदलाव करके भी आप इस समस्या से बच सकते हैं।

1. भूख से अधिक खाने पर भी यह समस्या हो सकती है इसलिए जितनी भूख हो उतना ही खाएं। साथ ही दिन में 1-2 हैवी मील्स लेने की बजाए उसे 6 छोटे-छोटे हिस्सों में बांटे।
2. भोजन और नींद के बीच कम से कम 2-3 घंटे का अंतर रखना जरूरी है। भोजन के बाद तुरंत लेटने से भी एसिड रिफ्लक्स की समस्या हो सकीत है।
3. बहुत अधिक टाइट कपड़े या बेल्ट ना लगाएं क्योंकि इससे पाचन क्रिया पर असर पड़ता है। इसके अलावा पेट पर दबाव बनाने वाली एक्सरसाइज से भी दूर रहें।
4. चाय-कॉफी, शराब, सॉफ्ट ड्रिंक्स, चुइंगम, कच्चे प्याज, संतरे का रस, चॉकलेट, तला हुआ भोजन, लहसुन जैसी चीजें एसिड बनाती है इसलिए इनसे भी दूरी बनाकर रखें।
5. वजन को काबू रखने में मदद करेगा क्योंकि मोटापा आधी बीमारियों का कारण है।

एक्स रे व एंडोस्कोपी, 24 घंटे की प्रोब स्टडी द्वारा इसकी स्थिति का पता लगाया जाता है। एंटासिड्स, प्रोटोन पंप इनहीबिटर ट्रीटमेंट के जरिए इसका इलाज किया जाता है। वहीं, अगर समस्या गंभीर हो तो डॉक्टर सर्जरी भी कर सकते हैं।

Content Writer

Anjali Rajput