बिहार में 97 बच्चों की गई जान, यू करें कैमिकल वाली लीची की पहचान

punjabkesari.in Monday, Jun 17, 2019 - 04:31 PM (IST)

बिहार के मुजफ्फरपुर इलाके में अक्यूट इंसेफेलाइटिस सिंड्रोम (AES) यानि चमकी बुखार (Chamki Bukhar) का कहर अब भी जारी है। रिपोर्ट के मुताबिक अब तक 97 बच्चों की मौत हो चुकी हैं, जिसमें 10 साल से कम उम्र के बच्चे शामिल है। डॉक्टर्स का कहना है कि इन मौतों का कारण लीची है, जिसके चलते स्वास्थ्य विभाग ने भी अलर्ट जारी कर दिया है।

 

कैमिकल वाली लीची है मौतों का कारण

दरअसल, स्वास्थ्य विभाग का कहना है कि बच्चों की इन मौतों का कारण मिलावटी लीची भी हो सकती हैं। इस बात का पता लगाने के लिए भारतीय खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण (FSSAI) ने रोजमर्रा के खाद्य पदार्थों में मिलावट का पता लगाने के लिए एक मैनुअल भी जारी किया है। बाजार में लाल लीची की मांग हमेशा बनी रहती है लेकिन कई बार व्रिकेता ब्रिकी के लिए हरे रंग की लीची या बासी लीची को लाल कैमिकल कलर कर देते हैं। ऐसी कैमिकल रंग वाली लीची खाने से ना सिर्फ सेहत खराब होती है बल्कि यह कैंसर का खतरा भी पैदा करता है।

ऐसे करें मिलावटी लीची की पहचान

लीची का सेवन करने से पहले उसे पानी में डालकर देखें। अगर पानी का रंग बदल जाता है तो समझ जाइए लीची मिलावटी है।

कब और कैसे खाएं लीची

एक्सपर्ट का कहना है खाली पेट लीची खाने से बच्चों में दिमागी बुखार का खतरा बढ़ रहा है। साथ ही उन्होंने कहा कि सुबह-सुबह लीची खाना भी सेहत को नुकसान पहुंचा सकता है। स्वास्थ्य विभाग ने पेरेंट्स को बच्चों को कच्ची या अधपकी लीचीयां खिलाने से भी मना किया है। सबसे जरूरी बात लीची खाते समय अच्छी तरह चेक करें क्योंकि कई बार उसमें कीड़े भी होते हैं, जो दिमाग तक पहुंचकर आपको नुकसान पहुंचाते हैं।

सुबह-सुबह लीची क्यों है जानलेवा?

दरअसल, लीची में 'हाइपोग्लायसिन ए' और 'मेथिलीन सायक्लोप्रोपाइल ग्लायसीन' नामक दो तत्व पाए जाते हैं और खाली पेट लीची खाने से यह तत्व ब्लड शुगर लेवल घटा देते हैं, जिससे पहले तो धीरे-धीरे तबीयत बिगड़ने लगती और फिर व्यक्ति की मौत हो जाती है। हालांकि बिहार में ज्यादा तर बच्चे ही इसका शिकार हुए हैं।

ऐसे रखें बचाव

-बच्चों को सुबह खाली पेट कच्ची या अधपकी लीची खाने के ना दें और उनके खान-पान का खास ख्याल रखें। इसके अलावा बच्चे में कोई भी लक्षण दिखने पर तुरंत चेकअप करवाएं।
-किसी के झूठी ड्रिंक, खानपान की चीजें और बर्तन ना शेयर करें, खासकर इंफैक्टिड व्यक्ति की।
-इस बात का ध्यान रखें कि बच्चा जो पानी पी रहा है वो पूरी तरह प्यूरिफाइड और स्वस्थ हो।
-बच्चों को थोड़ी-थोड़ी देर बाद तरल पदार्थ देते रहें, ताकि उनके शरीर में पानी की कमी न हो।

Content Writer

Anjali Rajput