Arthritis Day: महिलाओं में आर्थराइटिस के 7 बड़े कारण, यूं रखें बचाव

punjabkesari.in Saturday, Oct 12, 2019 - 11:56 AM (IST)

आज दुनियाभर में वर्ल्ड आर्थराइटिस डे मनाया जा रहा है, जिसका मकसद लोगों को ज्यादा से ज्यादा इस बीमारी के बारे में जागरूक करना है। पहले यह समस्या सिर्फ बुजुर्गों में देखने को मिलती थी लेकिन अब बच्चे व युवा वर्ग के लोग भी इसकी चपेट में हैं। वहीं पुरूषों के मुकाबले महिलाओं में यह समस्या ज्यादा देखने को मिल रही है। बता दें कि महिलाओं में घुटने के दर्द की समस्याएं 50 साल की उम्र से ही शुरु हो जाती है जबकि पुरुषों में यह 60 साल के बाद ज्यादा मिलता है

 

महिलाओं में अधिक देखने को मिलती है यह समस्या

बता दें कि भारत में 15 करोड़ से अधिक लोग घुटने की समस्याओं से पीड़ित हैं, जिनमें से 4 करोड़ लोगों को घुटना बदलवाने (टोटल नी रिप्लेसमेंट) की जरूरत है। रिपोर्ट के अनुसार, भारत में हर 6 में से 1 व्यक्ति आर्थराइटिस से पीड़ित है, जिसमें महिलाओं की संख्या पुरुषों से ज्यादा है। इतना ही नहीं, आर्थराइटिस से पीड़ित लगभग 30% रोगी 45-50 साल के हैं, जबकि 18-20% रोगी की उम्र 35-45 साल है।

चलिए जानते हैं आखिर क्यों महिलाओं में इसका खतरा बढ़ता जा रहा है...

बढ़ती उम्र

महिलाओं को यह समस्या किसी भी उम्र में हो सकती है लेकिन बढ़ती उम्र के साथ-साथ इसके होने की संभावना भी बढ़ती जाती है। आर्थराइटिस होने की सबसे ज्यादा संभावना 40 साल के बाद होती है।

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जेनेटिक कारण

यह बीमारी एक जेनेटिक प्रॉब्लम भी है। ऐसे में अगर आपके परिवार के किसी सदस्य को रूमेटाइड अर्थराइटिस है तो उनसे यह बीमारी आपको भी हो सकती है।

विटामिन डी की कमी है सबसे बड़ा कारण

रिसर्च के अनुसार, 90% भारतीय महिलाओं में आर्थराइटिस का सबसे बड़ा कारण विटामिन डी की कमी है। दरअसल, काम के चक्कर में महिलाएं अपने खान-पान पर ध्यान नहीं देती है, जिसके कारण उनमें यह समस्या ज्यादा देखने को मिलती है।

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शराब और धूम्रपान

शराब व धूम्रपान करने वाली महिलाओं में भी इसकी संभावना ज्यादा होती है।

मोटापा

बढ़ता मोटापा आजकल महिला की समस्या लेकिन आपको बता दें कि इसके कारण भी यह समस्या हो सकती है। हालांकि इस बीमारी में आपका वजन कम होने लगता है।

कंसीव न कर पाना

जिन महिलाओं नें कभी बच्चे को जन्म नहीं दिया उनमें रूमेटाइड आर्थराइटिस (गठिया का प्रकार) होने का खतरा सबसे ज्यादा होता है।

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प्रसव व मेनोपॉज की स्थिति

महिलाओं में यह बीमारी प्रसव के बाद या मेनोपॉज के बाद हार्मोन्स में बदलाव होने के कारण देखी जाती है। साथ ही फाइब्रोमायल्जिया से महिलाओं में भी इसका खतरा बढ़ जाता है।

अब हम आपको कुछ घरेलू नुस्खे बताते हैं, जिससे आप इसका इलाज कर सकती हैं।

-1 गिलास में आधा चम्मच बेकिंग सोडा मिलाकर पीएं।
-हल्दी को पानी या दूध में उबालकर पीने से भी फायदा होगा।
-अदरक तेल से मालिश करें या इसकी चाय बनाकर पीएं।
-मेथी दाने को पानी में उबालकर छान लें। अब इसमें नींबू व शहद मिलाकर पीएं।
-अरंडी के तेल में अजवाइन व कपूर मिलाकर हल्के हाथों से 15-20 मिनट मालिश करें।


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Content Writer

Anjali Rajput

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