रिटायरमेंट के बाद भी निभा रही फर्ज, 66 साल की नर्स गीता गांव-गांव जाकर कर रही इलाज

punjabkesari.in Monday, Jun 28, 2021 - 10:47 AM (IST)

बेशक कोरोना के मामलों में कमी आने लगी हो लेकिन लोग अभी भी मेडिरल, आर्थिक कई समस्याओं का सामना कर रहे हैं। हालांकि कुछ ऐसे व्यक्ति भी हैं जो कोरोना काल के इस मुश्किल दौर में लोगों की मदद के लिए आगे रहे हैं, खासकर हेल्थ वर्कर्स महामारी के समय भगवान बनकर सामने आए। उन्हीं में से एक हैं 66 साल की गीता, जो रिटायमेंट के बाद भी अपना फर्ज निभा रही हैं, बजाय आरामदायक जिंदगी व्यतीत करने के...

रिटायरमेंट के बाद भी फर्ज निभा रही नर्स गीता

कर्नाटक, चमाराजनगर के कोलेगल की रहने वाली हैं। जब कोरोना की दूसरी लहर में संक्रमितों मरीजों की संख्या बढ़ने लगी तो वह खुद को मदद करने से रोक ना पाई। उन्होंने बताया कि ऑक्सीजन ना मिलने की वजह से उनके 2 परिचतों की जान चली गई। तब गीता एक्शन में आ गईं और पोर्टेबल कंसंट्रेटर की व्यवस्था की। इसके बाद वह अपने परिजनों के साथ-साथ दूसरे मरीजों का भी ध्यान रखने लगी।

भाई ने की मदद

गीता जी ने बताया कि परिजनों की जान जाने के बाद वह लोगों की मदद करने की सोच रही थी लेकिन कोई रास्ता नहीं मिल रहा था। तभी उनके भाई ने स्वामी विवेकानंद यूथ मूवमेंट की सूचना दी और कहा कि वो ऑक्सीजन कंसंट्रेटर दे रहे हैं और मदद कर सकते हैं।

मूवमेंट ज्वाइन कर लीं गीता

फिर क्या उन्होंने लोगों की सेवा करने का मन बना लिया। चूंकि वह लोगों की मदद आर्थिक तौर पर नहीं कर सकती थी इसलिए उन्होंने इस जॉब में हिस्सा लिया। इसके बाद उन्होंने मूवमेंट को ज्वॉइन किया।

दूर-दूर तक मदद पहुंचाईं

वह घर ऑक्सीजन कंसंट्रेटर लेकर पहुंची। इसके बाद जब भी उन्हें मदद के लिए किसी का फोन आता तो वो तुरंत वहां पहुंच जाती। चूंकि उनके संस्था के स्टाफ थे इसलिए वो रिमोट एरिया में 100km तक की मदद करने के लिए जाती थी।

घर पर हैं 96 साल की मां

बता दें कि उनके घर में सभी बूढ़े हैं। घर पर उनकी 96 साल की मां हैं , जिनका ख्याल भी उन्हें रखना पड़ता है। मगर, जब गीता मदद के लिए जाती तो वह खुद ही अपना ख्याल रखती थी।

Content Writer

Anjali Rajput