Buddha Jayanti: जानिए भारत के 5 प्रसिद्ध बौद्ध मंदिरों के बारे में...
punjabkesari.in Monday, May 24, 2021 - 08:04 PM (IST)
हर साल वैशाख माह की पूर्णिमा को गौतम बुद्ध की जयंती का दिन माना जाता है। ऐसे में यह शुभ दिन बौद्ध धर्म के अनुयायियों के लिए बेहद ही खास व पूजनीय होता है। इस साल बुद्ध जयंती 26 मई को मनाई को पड़ रही है। माना जाता है कि बुद्ध जी का जन्म ईसा पूर्व 563 में नेपाल के लुम्बिनी में हुआ था। साथ ही 528 ईसा पूर्व में इसी दिन उन्हें परम सत्य का ज्ञान हुआ था। ऐसे में इस दिन को बौद्ध धर्म के अनुयायी बड़ी धूमधाम से मनाते हैं। वहीं भगवान बुद्ध के दुनियाभर में कई बौद्ध मठ है। तो आज हम आपको भारत के 5 बौद्ध धर्म के प्रसिद्ध स्थल के बारे में बताते हैं।
कौशाम्बी
कौशाम्बी प्रयाग से करीब 54 किमी की दूरी पर है। माना जाता है कि भगवान बुद्ध को बोधिसत्व यानी सत्य का ज्ञान होने के बाद उन्होंने छठें एवं नौवें वर्ष में कौशाम्बी की यात्रा की थी। गौतम बुद्ध ने अपनी कई महत्त्वपूर्ण शिक्षाएं इसी स्थान पर दी इसलिए यह जगह बौद्ध धर्म का प्रसिद्ध शिक्षा स्थल बन गया था। यहां पर अशोक स्तंभ, पुराना किला आदि के भग्नावशेष देखने को मिलते हैं। बुद्ध जी के समय में कौशाम्बी नगर राजा उदयन की राजधानी थी। कहा जाता है कि उदयन की एक रानी श्यामावती भगवान बुद्ध जी की उपासिका थी।
महाबुद्धि मंदिर, बोधगया
बोधगया भारत के बिहार में गया स्टेशन से करीब 7 मील की दूरी पर स्थित है। माना जाता है कि इसी स्थान पर गौतम बुद्ध को 'बोध' प्राप्त हुआ था।
महापरिनिर्वाण मंदिर, कुशीनगर
बौद्ध अनुयायिओं के लिए कुशीनगर एक पवित्र तीर्थ स्थल है। यह स्थान उत्तर प्रदेश के जिला गोरखपुर से करीब 55 किमी की दूर पर बसा है। यह जगह बौद्ध अनुयायिओं के साथ पर्यटन प्रेमियों के लिए भी आकर्षण के लिए मुख्य का केंद्र है। कहा जाता है कि भगवान बुद्ध इसी स्थान में ही महापरिनिर्वाण (मुक्ति) को प्राप्त हुए। माना गया है कि कुशीनगर के पास स्थित हिरन्यवती नदी के पास गौतम बुद्ध ने अपनी देह त्यागी थी। फिर रंभर स्तूप के पास ही उनका अंतिम संस्कार किया गया था। कहा जाता है कि भगवान बुद्ध के देह त्याग करने से पहले भारी गिनती में लोग उनसे मिलने आए है। साथ ही उस समय 120 साल के ब्राह्मण सुभद्र ने बुद्ध के वचनों से प्रभावित होकर संघ से जुडने का फैसला किया था। कहा जाता है कि सुभद्र वो आखिरी भिक्षु थे भगवान बुद्ध ने दीक्षित किया था।
सारनाथ मंदिर
सारनाथ बौद्ध अनुयायियों द्वारा बेहद पूजनीय है। यह स्थान बौद्ध-तीर्थ कहा जाता है। सारनाथ बनारस छावनी स्टेशन से करीब 5 मील, बनारस-सिटी स्टेशन से करीब 3 मील और सड़क मार्ग से करीब 4 मील की दूरी पर है। कहा जाता है कि गौतम बुद्ध जी ने अपना प्रथम उपदेश इसी स्थान पर दिया था। इसी जगह पर भगवान बुद्ध ने धर्मचक्र प्रवर्तन का आरंभ किया था। साथ ही यहां पर बौद्ध-धर्मशाला बनी हुई है।
श्रावस्ती का स्तूप
श्रावस्ती का स्तूप बौद्ध और जैन दोनों द्वारा पूजे जाने वाला तीर्थ स्थल है। माना जाता है कि इसी स्थान पर बुद्ध ने चमत्कार दिखाया था। साथ ही दीर्घकाल तक उन्होंने श्रावस्ती में ही समय बीताया था। आज के समय पर इस पवित्र स्थल पर बौद्ध धर्मशाला है और बौद्धमठ बने हुए है। साथ ही भगवान बुद्ध का मंदिर भी स्थापित है।