डेयरी फार्मिंग की चुनौतियां दूर करने के लिए शुरु किया ब्रांड आज 3 लाख किसानों ले रहे फायदा

punjabkesari.in Wednesday, Aug 28, 2019 - 01:36 PM (IST)

लोगों को अनाज देने के लिए भारतीय किसान दिन-रात मेहनत करते हैं। बात अगर किसानों की खुशहाली की करें तो सरकार उनके लिए नई योजनाएं बनाती रहती हैं। वहीं आंध्र प्रदेश के  पूर्व सीएम चंद्रबाबू नायडू ने भी किसानों की खुशहाली के लिए एक ऐसा ही कदम उठाए था। दरअसल, एन चंद्रबाबू नायडू राजनीति से ताल्लुक रखने से पहले एक किसान परिवार से है, जिनका मुख्य काम डेयरी फार्मिंग है। जिस कारण उन्होंने आसानी से समझ लिया की डायरी फार्मिंग कर रहे किसान को किस तरह की समस्याओं का सामना करना पड़ता है। उन्होंने इन्हीं समस्याओं को दूर करने के लिए एक ब्रांड की शुरुआत की। 

 

डेयरी को-ऑपरेटिव सिस्टम से था नुकसान

डेयरी फार्मिंग से जुड़े होने के कारण उन्हें इस बात को समझने में देर न लगी की किसान इस समय देश में फैले डयरी को-ऑपरेटिव सिस्टम से काफी नुकसान हो रहा है। इस कारण उन्हें काफी चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है। इससे किसानों को सही समय पर न तो भुगतान मिलता है, इसके साथ ही दूध व दूध से बने उत्पादों के ट्रांसपोर्टेशन व बाजार में उनकी अहमियत से संबंधी समस्याएं बढ़ रही हैं। 

 

 

किसानों की मदद के लिए शुरु किया संगठन 

किसानों की मदद करने के लिए चंद्रबाबू नायडू ने 1992 में हेरिटेज फूड्स की शुरुआत की। इसमें उन्होंने 80 लाख रूपए निवेश किए, इसमें लाखो किसानों के साथ उनकी पत्नी भुवनेश्वरी भी उनके साथ जुड़ी। इस समय यह ब्रांड बाकी ब्रेंडस अपने आप में एक जाना पहचाना नाम है। इस समय यह 15 राज्यों में है जिससे देश भर से 3 लाख से ज्यादा डेयरी फार्मिंग करने वाले किसान जुड़े हुए है। 2018- 2019 में इस संगठन ने 2482 करोड़ रूपयों का टर्नओवर किया है।

किसानों को दी की तरह सुविधाएं

किसानों की मदद व उनको आने वाली चुनौतियों को दूर करते हुए संगठन की ओर से उन्हें न केवल अच्छा भुगतान देना शुरु किया गया बल्कि उसमें किसी भी तरह की कोई कटौती नही की जाती है। इसके साथ ही उनकी सुख सुविधाओं को ध्यान में रखते हुए उन्हें विभिन्न तरह के लोन, इंश्योरेंस, कैटल फीड आदि की सुविधाएं उपलब्ध करवाई गई। शुरुआती समय में लोग ज्यादातर अमूल के प्रोडेक्ट ही पसंद करते थे, ऐसे में उनकी अच्छी चीजों को अपनाते हुए बिचौलियो की भूमिका, किसानों से सीधे दूध की खरीद, दूध की ठीक ढंग से प्रोसेसिंग उसके बाद ग्राहको तक पहुंचाना आदि काम के मॉडल्स को अपनाया गया। इन्हीं सुविधाओं को ध्यान में रखते हुए 1993 में पहली प्रोसेसिंग फैसिलिटी व उसके बाद 1994 में आईपीओ किया गया। 

डेयरी मॉडल

हेरिटेज फ़ूड्स  मिल्क कलेक्शन सेंटर्स के माध्यम से दिन में दो बार किसानों से दूध इकट्ठा करते है। इसमें गाय और भैंस दोनों का ही दूध होता है। दोनों की मात्रा और अनुपात मौसम और क्षेत्र के हिसाब से बदलता रहता है।  हेरिटेज फ़ूड्स के 16 प्रोसेसिंग सेंटर्स हैं और कलेक्शन सेंटर्स के बाद प्रोसेसिंग के लिए दूध को इन सेंटर्स तक पहुंचाया जाता है। इसके  बाद दूध को डिस्ट्रीब्यूटर्स और रीटेलर्स तक पहुंचाया जाता है।

स्थानीय स्तर पर बनाई चेन

वैल्यू चेन को स्थानीय स्तर पर स्थापित करते हुए स्थानीय किसानों से ही दूध लिया जाता है। दूध को इक्ट्ठा करने से लेकर डिस्ट्रीव्यूटर्स, रीटेलर्स तक पहुंचाने के लिए 24 घंटे का समय लगता है। इसके साथ ही इसकी शेल्फ लाइफ भी सुनिश्चित की जाती है। इस समय 1.2 लाख रीटेलर्स, 500 स्टोर्स व बिग बास्केट जैसी ई कॉमर्स साइड पर यह प्रोडेक्ट बेचे जाते है। 


 

Content Writer

khushboo aggarwal