क्या होता है महिलाओं का 16 श्रृंगार, जानें महत्व और इसका सही अर्थ

punjabkesari.in Tuesday, Dec 02, 2025 - 01:52 PM (IST)

नारी डेस्क : महिलाओं का श्रृंगार तब तक पूरा नहीं होता जब तक उसमें 16 प्रमुख चीजें शामिल न हों। इसे सोलह श्रृंगार कहा जाता है। यह खासकर शुभ अवसर, तीज-त्योहार और शादी-ब्याह पर किया जाता है। हिंदू ग्रंथों और काव्यों में सोलह श्रृंगार का महत्व बताया गया है। सोलह श्रृंगार न केवल सौंदर्य बढ़ाता है, बल्कि समृद्धि, प्रेम, सुरक्षा, उर्वरता और खुशी का प्रतीक भी माना जाता है। आइए जानते हैं इस श्रृंगार में शामिल 16 चीज़ों का महत्व।

सिंदूर: शादी के समय वर द्वारा माथे पर लगाया जाने वाला लाल या नारंगी रंग का सिंदूर, विवाहित होने और पति की लंबी आयु का प्रतीक है।

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बिंदी: माथे पर लगाई जाने वाली बिंदी, खूबसूरती बढ़ाने के साथ-साथ एकाग्रता और नकारात्मक ऊर्जा से सुरक्षा का प्रतीक है।

काजल: आंखों में काजल लगाने से आंखों की सुंदरता बढ़ती है और इसे बुरी नजर से बचाव के लिए भी लगाया जाता है।

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गजरा: बालों की शोभा बढ़ाने के साथ-साथ पवित्रता और सुगंध का प्रतीक। कुछ महिलाएं इसे रोज पहनना पसंद करती हैं।

मांग टीका: माथे पर पहना जाने वाला मांग टीका, सौंदर्य और अंतरात्मा व अंतर्ज्ञान बढ़ाने का प्रतीक है।

मंगलसूत्र: शादीशुदा महिलाओं के गले का महत्वपूर्ण गहना, जो विवाह और एकता का प्रतीक है।

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नथ (नाक की अंगूठी): लालित्य और परंपरा से जुड़ी, नथ या छोटी टॉप्स महिलाओं की शोभा बढ़ाती हैं।

झुमके: कान में पहने जाने वाले झुमके, स्त्रीत्व और सौंदर्य का प्रतीक हैं।

हार: गले का हार, हेवी या हल्का, शादी-ब्याह और फंक्शन में पहना जाता है। यह लुक की खूबसूरती और सांस्कृतिक महत्व बढ़ाता है।

बाजूबंद: ऊपरी भुजा पर पहना जाने वाला पारंपरिक आभूषण, जो सजावट और शक्ति का प्रतीक है।

चूड़ियां: हाथों में पहनी जाने वाली रंग-बिरंगी कांच की चूड़ियां सुहाग, समृद्धि और आनंद का प्रतीक होती हैं।

हाथफूल: शादी या फंक्शन में हाथों पर पहना जाने वाला आभूषण, समर्पण और सुंदरता का प्रतीक।

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अंगूठी: हाथों की खूबसूरती बढ़ाती है और प्रतिबद्धता का प्रतीक होती है।

पायल: पैरों में पहनी जाने वाली पायल की छन-छन की आवाज सकारात्मक ऊर्जा लाती है।

बिछिया: विवाहित महिला द्वारा पैरों की उंगलियों में पहनी जाने वाली अंगूठी, प्रेम और वैवाहिक आशीर्वाद का प्रतीक।

इत्र (सुगंध): 16 श्रृंगार का अंतिम चरण। इत्र कामुकता, ताजगी और आकर्षण प्रदान करता है।

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सोलह श्रृंगार न केवल सौंदर्य और परंपरा को दर्शाता है, बल्कि यह संपन्नता, प्रेम, सुरक्षा और खुशहाली के प्रतीक के रूप में भी जाना जाता है। महिलाओं के लिए यह श्रृंगार, खासकर शादी-ब्याह, तीज और त्योहारों पर, बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है।


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Monika

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