सुनीता कृष्णन ने सुनाई आपबीती, 15 साल में 8 लोगों ने किया था रेप
punjabkesari.in Wednesday, Jan 22, 2020 - 08:22 PM (IST)
एक व्यक्ति दूसरे का दर्द या आपबीती तभी समझ पाता है जब वह खुद उस दौर से गुजरा हो। इसी बात की मिसाल है समाज सेविका सुनीता कृष्णन। 'केबीसी-11' के स्पेशल कर्मवीर एपीसोड में इस हफ्ते पहुंचने वाली समाज सेविका सुनीता की आपबीती सुन कर न केवल अमिताभ बच्चन बल्कि वहां पर उपस्थित सभी लोग हैरान रह गए। बेंगलुरु की रहने वाली सुनीता ने बताया कि 15 साल की उम्र में 8 लोगों ने उनका रेप किया था। इस समय सुनीता एनजीओ प्रज्जवला की मुख्य अधिकारी व सह- संस्थापक के तौर पर काम कर रही है। इस एनजीओ के तहत वह यौन तस्करी की शिकार महिलाओं और लड़कियों की सुरक्षा कर उनके पुनर्वास के लिए काम कर रही हैं।
प्रोमो के दौरान सुनीता ने बताया कि इस काम के दौरान अब तक उन पर 17 बार जानलेवा हमला हो चुका है लेकिन उन्हें आज तक मरने से कभी डर नहीं लगा। उन्होंने कहा कि जब तक उनकी सांस है तब तक वह पीड़ित लड़कियों के लिए अपनी जिदंगी कमिट करेंगी। इसी के साथ उन्होंने बताया कि आजकल बलात्कार के वीडियो सोशल मीडिया पर भी शेयर किया जाता है जिसमें मैंने 9 महीनें की बच्ची का वीडियो भी देखा हैं। इतना ही नहीं, वेश्लायवत्ती में सबसे छोटी उम्र की जिस लड़की को बचाया है उसकी उम्र साढ़े तीन साल थी। दुख बात यह है कि आदमी किसी दूसरे ग्रह से नहीं आया है बल्कि यह हमारे देश, हमारे ही परिवार का हिस्सा हैं। 2016 में उन्हें देश का चौथा सर्वोच्च सम्मान पद्मश्री दिया जा चुका है।
वहीं बिग-बी ने सुनीता के बारे में बताते हुए कहा कि अब वह 22 हजार से ज्यादा लड़कियों व महिलाओं को यौन तस्करी से आजाद कर चुकी हैं। सुनीता को बचपन से ही समाज सेवा का शौक हैं। 8 साल की उम्र में ही उन्होंने मानसिक रुप से दिव्यांग बच्चों को डांस सिखाना शुरु कर दिया था। इसके बाद 12 साल की उम्र में वंचित बच्चियों के लिए झुग्गियों में स्कूल चलाती थीं।
15 साल की उम्र में हुआ था रेप
15 साल की उम्र में वह दलित कम्युनिटी के लिए नव साक्षरता अभियान चला रही थी उस दौरान 8 लोगों ने उनका बलात्कार किया था। पुरुषों को अपने पुरुष प्रधान समाज मेें एक महिला की दखलंदाजी पसंद नही आ रही थी। इस दौरान सुनीता को बुरी तरह से पीटा गया जिससे उनका एक कान आंशिक रुप से डैमेज हो गया था। इसके बाद से उन्हें कम सुनाई देता है लेकिन इन सब के बाद भी उन्होंने कभी हार नहीं मानीं व अपनी समाज सेवा का काम जारी रखा।