कोर्ट ने बना दी जोड़ी,15,000 पॉकेट मनी और एक मेड के कारण टूटने से बच गई एक शादी

punjabkesari.in Thursday, Jun 19, 2025 - 12:53 PM (IST)

नारी डेस्क:  "सिर्फ परिवार की दैनिक जरूरतें ही नहीं, बल्कि पत्नी के व्यक्तिगत खर्चों  की भी जिम्मेदारी पति की होती है..." यह कहना है भारत के सर्वोच्च न्यायालय का जिन्होंने एक ऐसा फैसला सुनाया जो एक  उदाहरण बन सकता है कि कैसे छोटे उपाय भी महिला की स्वतंत्रता बढ़ा सकते हैं। अक्सर विवाह के कड़वे अंत का गवाह बनने वाले कोर्ट ने कुछ ऐसा कर दिखाया जिससे एक दूसरे के दुश्मन बन चुके कपल ने अपने रिश्ते को नया मुकाम दे दिया। 
 

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चार महीने में ही टूट गई थी शादी

 फरवरी 2024 में शादी के बंधन में बंधे एक जोड़े का प्रेम विवाह चार महीने के भीतर ही टूट गया। जून तक, वे अलग हो गए और मुंबई और जौनपुर में अपने-अपने पैतृक घरों में चले गए। इसके बाद कानूनी विवादों की एक श्रृंखला शुरू हुई, जिसमें घरेलू हिंसा की शिकायत, एक प्राथमिकी रिपोर्ट और जौनपुर की एक अदालत में तलाक की याचिका शामिल थी। इस साल जनवरी तक सुप्रीम कोर्ट को भी लगने लगा था कि इस रिश्ते को सुधारा नहीं जा सकता। मामले की सुनवाई करते हुए जस्टिस जेबी पारदीवाला की अगुवाई वाली बेंच ने टिप्पणी की कि इस जोड़े के लिए एक-दूसरे को लंबी मुकदमेबाजी में घसीटने के बजाय अपनी शादी खत्म कर लेना बेहतर होगा। 


कपल ने दिखाई समझदारी

मामले को सुप्रीम कोर्ट मध्यस्थता केंद्र को भेजते हुए कोर्ट ने 30 जनवरी के आदेश में कहा- "उन्हें साथ बैठकर इस शादी को खत्म कर देना चाहिए। इस तरह के मुकदमेबाजी में उलझने का कोई मतलब नहीं है," ।  न्यायमूर्ति बी वी नागरथणा ने कहा कि गृहिणियों का आर्थिक रूप से सशक्त होना और व्यक्तिगत खर्चों में अधिकाररखना बहुत ज़रूरी है। उन्होंने कहा- अगर पत्नी की अपनी आय न हो, तो पति की जिम्मेदारी बनती है कि वह समय-समय पर उन्हें पैसा और संसाधन उपलब्ध कराएं । कुछ महीने बाद कोर्ट में जो हुआ, उसने सभी को चौंका दिया। अपनी शादी को खत्म करने की संयुक्त याचिका के बजाय कपल ने उनके वकीलों और मध्यस्थ ने एक समझौता प्रस्तुत किया, जो पारंपरिक से बिल्कुल अलग था। 
 

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पति ने उठाई पत्नी के खर्चे की जिम्मेदारी

समझौते के अनुसार, पति हर महीने पॉकेट मनी के तौर पर अपनी पत्नी के खाते में 15,000 रुपये जमा करेगा, जो सीधे यूपीआई के माध्यम से उसके बैंक खाते में जमा हो जाएगा। वह घर के कामों जैसे कि सफाई और रसोई में मदद करने के लिए एक घरेलू सहायिका को भी रखेगा। पति और पत्नी दोनों एक-दूसरे और अपने परिवारों के साथ सम्मान से पेश आने, पिछली शिकायतों को माफ करने और भूलने और एक खुशहाल शादी के लिए ईमानदारी से काम करने पर सहमत हुए। महत्वपूर्ण बात यह है कि दोनों माता-पिता युवा जोड़े को “एक-दूसरे के साथ समय बिताने के लिए पर्याप्त जगह” देने और बिना किसी हस्तक्षेप के अपने रिश्ते को फिर से बनाने पर सहमत हुए।


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vasudha

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