Parenting Tips: अच्छी परवरिश के लिए मां-बाप को पता होनी चाहिए 10 बातें

punjabkesari.in Saturday, May 16, 2020 - 03:31 PM (IST)

पेरेंटिंग की जॉब सबसे मुश्किल और थेंकलेस जॉब हैं हालांकि यह कोई आसान काम नही है। आपके दिए गए संस्कार ही बच्चे का आने वाला भविष्य नियत करते हैं लेकिन कई बार जाने-आने या पारिवारिक माहौल खराब होने के चलते पैरेंट्स भी ऐसी कई गलतियां कर बैठते हैं जिसका खामियाजा बच्चों को भुगतना पड़ता हैं, कई बार उनके दिल-दिमाग पर भी इसका गलत प्रभाव पड़ता है इसलिए इन बातों का ध्यान रखना पेरेंट्स के लिए बहुत जरूरी है। 
 

बच्चों से खुद की तुलना 

बहुत सारे पैरेंट्स बच्चों को यह कह कर समझाते हैं कि बचपन में तो वो ऐसे थे और वह यूं काम करते थे। छोटी-छोटी बातों पर बच्चों से अपनी तुलना करते हैं जोकि गलत है। इससे उसका आत्म विश्वास कमज़ोर पड़ सकता है और डी-मोटिवेट हो सकते हैं। यहां तक कि आप उसे उसके सबसे बड़े दुश्मन नज़र आने लगेंगे इसलिए ऐसी ग़लती कभी न करें।

 

बच्चे की गलती पर पर्दा

बहुत से पेरेंट्स ऐसी गलती करते हैं। अगर आप बच्चे की किसी गलत पर बार-बार पर्दा डाल रहे हैं तो तो जान लें कि बच्चे को अपनी गलती का अहसास कभी नहीं होगा जो आगे चलकर उसे भविष्य में नुकसान देगा।

 

गलती हो तो बच्चे को कहें Sorry 

अपने बच्चे से माफी मांगने की नौबत आए तो संकोच ना करें। कई बार हालात ऐसे हो जाते हैं कि आप कुछ भूल जाते हैं या बात कहकर पूरी नहीं कर पाते, ऐसे में अपने बच्चे से माफी मांग सकते हैं।

 

भाई-बहन से मुकाबला करना

आपके 2 या 3 बच्चे हैं तो एक दूसरे के साथ उन्हें कम्पेयर ना करें क्योंकि ऐसा करने से बच्चों की तो आपस में लड़ाई रहेगी साथ ही कमजोर बच्चे के आत्मविश्वास को भी दक्का लगेगा।  ऐसा करने से बच्चा अपने ही भाई-बहन या अन्य लोगो को अपना दुश्मन समझना शुरू कर देता है।

 

बच्चे को डांटने ना देना

पहले समय में टीचर्स को छृूट थी कि वो बच्चे को गलत व्यवहार के लिए गुस्सा कर सकते थे लेकिन आज हालात थोड़े बदल गए हैं। पैरेंट्स ना तो खुद बच्चे को गलती का एहसास करवाते हैं और न दूसरे पारिवारिक सदस्य को। लेकिन गलती होेने पर उन्हें एहसास जरूर करवाएं। 

 

बच्चे को अनसुना करना

सुनना एक कला है और अपने बच्चे की बातें सुनना बहुत जरूरी होता है। उनकी कहानियाँ, उनकी अच्छाइयां, उनके सपने मन लगा कर सुने। इससे वह अपने दिल की बात आपसे जरूर शेयर करेंगे।

 

हार भी जाए तो दुखी ना हो

बच्चे कई बार छोटे-छोटे मुकाबलों में हार जाते हैं। ऐसे में माता-पिता समाज में इस बात को खुद की बेइज्जती समझते हैं और अपना सारा गुस्सा बच्चे पर ये कहकर निकाल देते हैं कि हमें बार-बार सिर्फ तुम्हारी वजह से शर्मिदा होना पड़ता है। ऐसी बातों से बच्चों का कॉन्फिडेंट्स कम हो जाता है और वो डिप्रेशन में जा जाता है।

 

समय से पहले और जरुरत से ज्यादा 

मोबाइल हो या गेम्स- आज़ादी हो या ज़िम्मेदारी- न उन्हें समय से पहले दें, न ज़रूरत से ज़्यादा। अगर बच्चों को कोई भी चीज बिना मेहनत या जरूरत के मिल जाती है तो वह उस चीज की कद्र नहीं करते इसलिए इस बात का ध्यान रखें कि कोई भी चीज देने से पहले यह जरूर जांच ले कि बच्चों को सच में उसकी जरूरत है या नहीं।

 

हर बात पर टोका-टोकी करना

कई बार माता-पिता बच्चों के लिए बहुत पॉजेसिव होते है जिससे वह अनजाने में ही हर बात पर टोका-टोकी करते रहते हैं। याद रखें कि ऐसे हालातों में बच्चा चिड़चिड़ा हो जाता है और आपसे दूरी बना लेता है।

 

हर जिद रा करना

बहुत से माता-पिता अपने बच्चों को किसी भी तरह की कमी नहीं होने देते लेकिन जरूरत और जिद का फर्क जरूर समझें। अगर बच्चा जिद्दी हो रहा हैं तो उसे प्यार से समय रहते हैंडल करें। 

Content Writer

Anjali Rajput