महाकुंभ से जुड़ी 10 अहम बातें, जो बनाती है इसे दुनिया का सबसे बड़ा धार्मिक समारोह

punjabkesari.in Wednesday, Jan 29, 2025 - 06:27 PM (IST)

नारी डेस्क: महाकुंभ की शुरुआत 13 जनवरी से हो चुकी है और यह आयोजन 26 फरवरी 2025 तक चलेगा। महाकुंभ का आयोजन हर 12 साल में एक बार होता है, और इस दौरान देश-विदेश से करोड़ों श्रद्धालु इस पवित्र पर्व का हिस्सा बनते हैं। यह आयोजन भारतीय आस्था, अध्यात्म और संस्कृति का अद्वितीय संगम है। इसमें प्रमुख रूप से त्रिवेणी संगम पर स्नान का महत्व होता है, जहां श्रद्धालु विभिन्न तिथियों जैसे मौनी अमावस्या, बसंत पंचमी और माघ पूर्णिमा पर डुबकी लगाते हैं

महाकुंभ की भव्यता और विशालता

महाकुंभ की भव्यता का अंदाजा इससे लगाया जा सकता है कि इसमें साधु-संत, प्रसिद्ध हस्तियां, उद्योगपति, और आम लोग सभी शामिल होते हैं। हर कोई गंगा, यमुना और सरस्वती के पवित्र संगम में स्नान करके खुद को धन्य महसूस करता है। इस आयोजन के कारण महाकुंभ अब न केवल भारत, बल्कि पूरी दुनिया में चर्चा का विषय बन चुका है

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महाकुंभ से जुड़ी 10 अहम बातें

महाकुंभ 144 वर्षों में एक बार आता है: महाकुंभ एक विशेष धार्मिक पर्व है जो 144 वर्षों में एक बार आता है, जिससे यह एक पीढ़ी के लिए भी खास बन जाता है। इसे एक बार देखकर पुण्य कमाने का अवसर मिलता है।

कुंभ का आयोजन उन स्थानों पर होता है, जहां अमृत कलश की बूंदें गिरी थीं: धार्मिक मान्यता के अनुसार, समुद्र मंथन से निकले अमृत कलश की बूंदें जिन स्थानों पर गिरी थी, वहां ही कुंभ का आयोजन होता है। प्रयागराज भी उन स्थानों में एक है।

महाकुंभ से भारतीय अर्थव्यवस्था को लाभ: महाकुंभ के आयोजन से भारतीय अर्थव्यवस्था को बड़ा फायदा होता है। अनुमान है कि इस आयोजन से 2 लाख करोड़ रुपए तक का व्यापार हो सकता है, जो उत्तर प्रदेश की जीडीपी में 1 प्रतिशत से अधिक की वृद्धि कर सकता है।

त्रिवेणी संगम पर स्नान का महत्व: महाकुंभ का आयोजन त्रिवेणी संगम (गंगा, यमुना, और सरस्वती) पर होता है, जहां स्नान करने से पापों से मुक्ति मिलती है और पुण्य की प्राप्ति होती है।

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महाकुंभ को वैश्विक मान्यता:  महाकुंभ को अब केवल भारत में ही नहीं, बल्कि पूरी दुनिया में महत्व दिया जाता है। 2017 में इसे यूनेस्को द्वारा मानवता की अमूर्त सांस्कृतिक धरोहर के रूप में मान्यता प्राप्त हुई।

कुंभ मेले का ऐतिहासिक महत्व: कुंभ मेला का इतिहास 850 साल पुराना है और इसकी शुरुआत लगभग 525 ईसा पूर्व मानी जाती है। यह आयोजन पहले चीनी यात्री ह्वेनसांग की यात्रा के दौरान दर्ज किया गया था।

नागा साधुओं का आकर्षण: महाकुंभ में बड़ी संख्या में नागा साधु भाग लेते हैं। ये साधु खासकर शाही स्नान करते हैं और इनका आकर्षण सबका ध्यान खींचता है।

दुनिया भर से विदेशी भक्त आते हैं: महाकुंभ में भारतीय भक्तों के साथ-साथ विदेशों से भी श्रद्धालु आते हैं। यह इस बात का प्रमाण है कि महाकुंभ का आयोजन और इससे जुड़ी मान्यताएं दुनियाभर के लोगों को आकर्षित करती हैं।

अखाड़ों की परंपरा: महाकुंभ में प्रमुख 13 अखाड़े शाही स्नान का अधिकार रखते हैं। इन अखाड़ों की स्थापना आदि शंकराचार्य ने सनातन धर्म की रक्षा और प्रचार-प्रसार के लिए की थी।

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महाकुंभ की महत्ता हर व्यक्ति के लिए : महाकुंभ का महत्व केवल धार्मिक ही नहीं, बल्कि सांस्कृतिक और सामाजिक दृष्टिकोण से भी है। इसमें भाग लेकर व्यक्ति आत्मिक शांति और पुण्य की प्राप्ति करता है।

महाकुंभ का आयोजन न केवल एक धार्मिक आयोजन है, बल्कि यह भारतीय संस्कृति और आस्था का प्रतीक भी है। इसमें भाग लेकर हर व्यक्ति पुण्य और आस्था के अनुभव को महसूस कर सकता है।


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Content Editor

PRARTHNA SHARMA

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