बहराइच के ‘‘फास्ट ट्रैक वरासत मॉडल'''' को पूरे उत्तर प्रदेश में लागू करने की तैयारी,

punjabkesari.in Friday, Jul 29, 2022 - 10:17 PM (IST)

बहराइच: भू स्‍वामी किसानों की मौत के बाद उनके वारिसों को अविलंब खतौनी (एक परिवार द्वारा भूमि जोत का विवरण) दिलाने के लिए बहराइच जिले के ‘‘फास्ट ट्रैक वरासत मॉडल'' को पूरे उत्तर प्रदेश में लागू करने की योजना है। अधिकारिक स्तर पर शुक्रवार को यह जानकारी दी गई। अब तक किसी व्यक्ति की मृत्यु होने पर संपत्ति के वारिस को खतौनी पर अपना नाम दर्ज कराने में बड़ी मशक्कत करनी पड़ती थी। इस कारण कोई विवाद नहीं होने के बावजूद किसानों को लंबे समय तक अपनी जमीन का स्‍वामित्‍व नहीं मिल पाता, इससे विभिन्न योजनाओं में उन्हें लाभ नहीं मिल पाता।

बहराइच के जिलाधिकारी (डीएम) डॉ. दिनेश चन्द्र सिंह ने एक अभिनव प्रयोग किया है जिसके तहत वरासत प्रकरणों में ऑनलाइन आवेदन के कुछ ही घंटों में मृतक के वारिस का नाम खतौनी पर दर्ज हो जाता है। जिला सूचना कार्यालय से शुक्रवार को मिली अधिकारिक जानकारी के अनुसार, बुधवार शाम मुख्य सचिव दुर्गाशंकर मिश्रा की अध्यक्षता में प्रदेश भर के मंडलायुक्तों एवं जिलाधिकारियों की डिजिटल माध्यम से हुई समीक्षा बैठक में बहराइच के जिलाधिकारी दिनेश चंद्र सिंह ने अपना ‘‘फास्ट ट्रैक वरासत मॉडल'' प्रस्तुत किया था। डीएम ने बताया कि पांच जुलाई 2021 से 27 जुलाई 2022 तक 13 माह 22 दिवस की अवधि में संचालित ‘‘निर्विवादित वरासत विशेष अभियान'' के दौरान ऑनलाइन प्राप्त हुए 35,394 आवेदनों में से अविवादित 31,513 आवेदन पत्रों में दिवंगत कृषकों के उत्तराधिकारियों के नाम खतौनी में दर्ज कराकर उन्हें खतौनी उपलब्ध करा दी गयी है। शेष अभियान के तहत तमाम मामले ऑनलाइन आवेदन के 24 घंटे के अंदर और कुछ के मामले एक सप्ताह में निस्तारित किए गये हैं। इससे पूर्व के 32 महीनों में ऑनलाइन मिले मात्र 15,698 आवेदनों में से 12,379 अविवादित दिवंगत कृषकों के उत्तराधिकारियों के नाम ही खतौनी आदेश में दर्ज कराए जा सके थे।

सूचना कार्यालय के अनुसार, मुख्य सचिव दुर्गाशंकर मिश्रा ने बैठक में डीएम बहराइच के इस कार्य की प्रशंसा की और प्रदेश के अन्य जिलाधिकारियों को बहराइच मॉडल से प्रेरणा लेते हुए विशेष वरासत अभियान को अपने-अपने जिलों में भी लागू करने के निर्देश दिए। ‘‘फास्ट ट्रैक वरासत मॉडल'' के संबंध में जिलाधिकारी डॉ. दिनेश चंद्र सिंह ने शुक्रवार को ‘पीटीआई भाषा' को बताया, ‘‘किसान द्वारा ऑनलाइन आवेदन मिलते ही लेखपाल तत्काल उसकी जांच करते हैं। 24 घंटे में रिपोर्ट मंगाकर वरासत को अभिलेखों में दर्ज किया जाता है। तमाम मामले कुछ घंटों में, कुछ एक दो दिन में तथा कुछ मामले अधिकतम एक सप्ताह में निस्तारित हो रहे हैं।'' उन्होंने बताया कि विशेष वरासत अभियान के तहत बीते करीब एक साल में जिले में हम मुख्य राजस्व अधिकारी, उप जिलाधिकारी, तहसीलदार तथा जिला एवं तहसील स्तरीय अधिकारियों के साथ लगातार बैठकों में कार्ययोजना बनाकर इसकी निगरानी करते रहे हैं। इनके साथ क्षेत्रीय लेखपालों एवं राजस्व निरीक्षकों को निर्देशित किया गया है कि गांवों में सार्वजनिक चौपाल लगाकर खतौनियां पढ़ी जाएं।

डीएम ने बताया कि अभियान के तहत गांवों में टीम भेजकर दिवंगत खाताधारकों को चिन्हित कर उनके उत्तराधिकारियों की तलाश की गयी। कई जगह लेखपालों ने स्वयं ऑनलाइन आवेदन कर पात्र उत्तराधिकारियों के नाम खतौनी में दर्ज कराए और उन्हें सार्वजनिक चौपाल में वितरित किया। डीएम ने बताया कि अभियान के दौरान निर्विवादित वरासत अंकन के साथ साथ किसानों को किसान-सम्मान निधि, मुख्यमंत्री कृषक दुर्घटना कल्याण योजना एवं किसान क्रेडिट कार्ड आदि योजनाओं से जोड़ा गया। परिणामस्वरूप एक साल में किसान सम्मान निधि के लाभार्थियों की संख्या 3.75 लाख से बढ़कर 5.30 लाख हो गयी है। इससे किसानों को 93 करोड़ रुपये की सम्मान निधि और 13.24 करोड़ रुपये दुर्घटना कल्याण योजना के तहत मिले हैं। डीएम ने बताया कि वरासत अभियान के फलस्वरूप विभिन्न बैंकों के माध्यम से इस दौरान 58,690 कृषक किसान क्रेडिट कार्ड की सुविधा से लाभान्वित हो सके हैं।


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Content Editor

Mamta Yadav

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