बसंत पर पीला रंग ही क्यों है खास?

punjabkesari.in Sunday, Jan 21, 2018 - 04:46 PM (IST)

लोहड़ी और माघी के बाद बसंत पंचमी का त्योहार पूरे भारत में धूमधाम से मनाया  जाता है। इस साल यह त्योहार 22 जनवरी 2018 को मनाया जाएगा। बसंत पंचमी का त्योहार बंसत ऋतु के पांचवे दिन मनाया जाता हैं जिसे "ऋतु राज" कहा जाता है। माघ महीने का यह समय हर तरह के शुभ कार्य के लिए उत्तम माना जाता है। 

इस दिन क्या होता है खास
यह त्योहार मुख्यत: उत्तरी राज्य के पंजाब व बिहार में मनाया जाता है। इस दिन लोग पीले वस्त्र पहनते व भोजन बनाते हैं। बहुत सारी जगहों पर पतंग उत्सव की प्रतिस्पर्धा होती हैं। वहीं, राजस्थान में इस दिन लोग चमेली के फूल जेबों में रखते हैं। मां सरस्वती की पूजा और हवन का आयोजन भी किया जाता है।
जुड़ी पौराणिक कथा 
बसंत पंचमी के दिन को मां सरस्वती के जन्मोत्सव के रूप में मनाया जाता है। पुराणों के अनुसार, श्रीकृष्ण ने सरस्वती को खुश होकर वरदान दिया था कि वसंत पचंमी के दिन तुम्हारी आराधना की जाएगी। 

बसंत पर पीले रंग का क्यों महत्व
बसंत के मौके पर सब कुछ पीला दिखाई देता है। हिंदूओं में पीला रंग शुभ माना जाता हैं। शुद्ध और सात्विक प्रवृति का प्रतीक यह रंग सादगी और निर्मलता को भी दर्शाता है। सरसों की पीले सुनहरे रंग में लहलहाती फसल धरती को भी पीली चादर से ढक देती हैं।  इस पर्व के स्वागत के लिए लोग भी पीले रंग के वस्त्र और भोजन में पीले चावल, लड्डू और केसर की खीर बनाते हैं। 


आप भी बनाएं यैलो कलर को बसंत ट्रैंड
बसंत फेस्टिव के मौके पर आप भी खुद को यैलो कलर की ड्रैस में स्टाइलिश बसंती लुक दे सकते हैं। लड़के यैलो कलर में ट्रडीशनल कुर्ता पजामा, यैलो टर्बन, बंदगला जैकेट, स्वैट शर्ट, स्वैटर जैकेट के साथ डैनिम वियर कर सकते हैं। बच्चों को पीले कुर्ते के साथ ऑरेंज बास्केट वाली जैकेट तो वहीं लड़कियां यैलो पटियाला सूट, लहंगा, साड़ी पहन सकती हैं। आप वैस्टर्न ड्रैसकोड में भी यैलो कलर की कोई ड्रैस पहन कर सकती हैं, जिसके साथ यैलो कलर की फ्लोरल व पर्ल ज्वैलरी व फुटवियर ट्राई कर सकती हैं। अगर आप प्लेन यैलो कलर नहीं पहनना चाहती हैं तो कंट्रास्ट कलर या फ्लोरल प्रिंट भी चूज कर सकते हैं।

 

 

 

 

 

- वंदना डालिया

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