लोकसभा चुनाव 2019: महिला ना भूलें Vote का अधिकार क्योंकि इसमें है विकास

punjabkesari.in Sunday, May 19, 2019 - 12:10 PM (IST)

घर हो या कार्यक्षेत्र, भारत में लैंगिक असमानता की जड़ें बहुत गहरी हैं। मगर चुनाव एक ऐसा क्षेत्र है, जहां महिलाओं ने अपनी मौजूदगी का ना सिर्फ अहसास कराया है बल्कि बदलाव लाने में एक बड़ी भूमिका भी निभाई। जिस तरह महिलाएं धीरे-धीरे हर क्षेत्र में आगे बढ़ रही हैं उसी तरह वोट देने में भी महिलाओं की भागदारी बढ़ती जा रही है।

 

महिलाओं का हक है Voting

भारत एक ऐसा देश हैं, जहां पुरूषों का अधिक बोलबाला है। इस पुरूष प्रधान समाज में महिलाओं को बहुत से काम करने से रोक दिया जाता है लेकिन अब हालात बदल गए हैं। जहां पहले महिलाओं को घर से बाहर जाने भी नहीं दिया जाता था वहीं आजकल महिलाएं अपने पैर हर क्षेत्र में जमा रही है। तेजी से बदलते समय में महिलाओं ने ना सिर्फ हक समझा है बल्कि देश की उन्नति में अपना योगदान भी दिया है। बात अगर वोटिंग की करें तो यहां भी महिलाओं बढ़चढ़ कर हिस्सा लिया। एक समय ऐसा भी था जब महिलाओं को वोट देने का अधिकार ही नहीं था लेकिन अब वोट देने में महिलाओं का संख्या तेज से बढ़ रही है।

क्या कहते हैं पिछले आकड़ें

आकड़ों के मुताबिक, 1950 के दशक में मतदाता के तौर पर महिलाओं की भागीदारी 38.8 फीसदी थी। जबकि 60 के दशक में लगभग 60 फीसदी महिलाओं ने वोटिंग में योगदान दिया। वहीं 2004 में मतदान करने वाले पुरुषों की संख्या महिलाओं से 8.4 प्रतिशत ज्यादा थी लेकिन 2014 आते-आते यह संख्या घटकर 1.8% रह गई, जोकि अपने आप में एक बड़ी जीत है। 2014 में अरुणाचल प्रदेश, बिहार, गोवा, मणिपुर, तमिलनाडु, उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश, पंजाब और उड़ीसा समेत कुल 16 राज्य ऐसे थे, जहां महिलाओं ने पुरुषों से ज्यादा मतदान किया।

2019 में 12% बढ़ी महिला मतदाताओं की संख्या

चुनाव आयोग के आंकड़ों के मुताबिक, 11 अप्रैल को हुए मतदान के पहले चरण में महिलाओं का मतदान प्रतिशत 68.53 रहा है जबकि पुरुषों का 68.02 प्रतिशत। 18 अप्रैल को दूसरे चरण में महिलाओं का मतदान प्रतिशत 69.47 और पुरुषों का 69.40 प्रतिशत रहा। तीसरे और चौथे चरण में भी महिलाओं का मतदान प्रतिशत कुछ राज्यों में पुरुषों से ज्यादा रहा है। आकड़ों के मुताबिक, 2014 में पुरूषों और महिलाओं की वोटिंग में सिर्फ 4.4% का अंतर था लेकिन 2019 में ये अंतर 0.3 प्रतिशत रहा, जोकि अपने आप में ही एक बड़ी जीत है।

इस देश की महिलाएं रहीं सबसे आगे

चार चरणों के आंकड़ों को मिलाकर राज्यों में दमन और दीव में वोटिंग करने वाली महिलाएं सबसे आगे है। यहां पुरुषों के मुकाबले महिलाओं ने 7.25% ज्यादा वोट किया है। इसके बाद बिहार में ये अंतर 6.62% और उत्तराखंड में 5.69% है। आंध्र प्रदेश में महिला और पुरुष मतदान प्रतिशत एक समान है।

महिलाओं का मत प्रतिशत बढ़ाने को किए थे नए प्रयास

सरकार की तरफ से इस बार महिलाओं का मत प्रतिशत बढ़ाने के लिए कई नए प्रयास किए। बूथ पाठशाला आयोजित कर महिलाओं को जागरूक किया गया। आदर्श बूथ के साथ सखी बूथ भी बनाए गए। महिलाओं के लिए नुक्कड़ नाटक भी आयोजित किए गए। महिलाओं की वोटिंग प्रतिशत देखते हुए कह सकते हैं कि उनकी यह मुहिम रंग लाई।

पहली बार न्यूजीलैंड ने दिया महिलाओं को वोट का अधिकार

न्यूजीलैंड को दुनिया के पहले ऐसे देश के तौर पर जाना जाता है, जिसने साल 1893 में महिलाओं का मताधिकार सुनिश्चित करवाया। हालांकि तब वो ब्रिटिश उपनिवेश थे। फिर भी महिलाओं को वोटिंग का पहली बार अधिकार देने का तमगा न्यूजीलैंड को ही जाता है। इसके बाद महिलाओं को वोटिंग का अधिकार देने वाला आस्ट्रेलिया दूसरा देश बना। फिर धीरे-धीरे भी देशों में महिलाओं को वोटिंग का अधिकार दिया जाने लगा। भारत में महिलाओं को वोटिंग का अधिकार 1926 में ही मिला। जब यहां आम चुनाव 1950 से शुरू हुए और वोटिंग पहली बार हुई तो पुरुष और महिला, दोनों ने एक साथ वोटिंग की थी। हालांकि उस समय काफी कम संख्या में महिलाओं ने हिस्सा लिया।

 

महिलाओं और पुरुषों में मतदान प्रतिशत का अंतर लगातार कम हो रहा है। अब वो दिन दूर नहीं है जब भारत में 100% महिलाएं अपने वोटिंग के अधिकार को समझकर मतदान में अपनी भागीदारी देंगी।

 

Content Writer

Anjali Rajput