समुद्र में क्यों नहीं डूबे थे रामसेतु के पत्थर, जानिए इसकी खासियत

punjabkesari.in Tuesday, Apr 14, 2020 - 12:56 PM (IST)

रामसेतु जिसे अंतरराष्ट्रीय स्तर पर ‘एडेम्स ब्रिज’ के नाम से जाना जाता है। यह एक ऐसा पुल है, जिसे भगवान विष्णु के सातवें अवतार श्रीराम की वानर सेना द्वारा भारत के दक्षिणी भाग रामेश्वरम पर बनाया गया था। इसका दूसरा किनारा वास्तव में श्रीलंका के मन्नार तक जाकर जुड़ता है।

 

ऐसी मान्यता है कि इस पुल को बनाने के लिए जिन पत्थरों का इस्तेमाल किया गया था, वह पत्थर पानी में फेंकने के बाद समुद्र में नहीं डूबे लेकिन क्या आप जानते हैं कि ऐसा क्यों हैं। चलिए आपको बाते हैं कि समुद्र में क्यों नहीं डूबे थे रामसेतु के पत्थर और क्या है इसकी खासियत... मगर, सवाल यह भी है कि ‘क्या सच में रामसेतु नामक कोई पुल था’। अगर बनवाया था तो अचानक यह पुल कहां गया?

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क्यों बनाया गया था रामसेतु का पुल

कहा जाता है कि रामायण ग्रंथ के अनुसार, जब लंकापति राजा रावण, श्रीराम की पत्नी सीता का हरण कर उन्हें लंका ले गया था, तब रास्ते में था एक विशाल समुद्र जिसे पार करने का कोई जरिया हासिल नहीं हो रहा था। तभी वानर सेना ने यह विशाल पुल केवल 5 दिनों में ही तैयार कर लिया था। इस पुल की लम्बाई 30 कि.मी और चौड़ाई 3 कि.मी थी। इसे विस्तार से समझने के लिए महर्षि वाल्मीकि द्वारा रची गई ‘रामायण’ में रामसेतु के निर्माण का वर्णन किया गया है। बता दें कि नल तथा नील की देखरेख तथा पूर्ण वैज्ञानिक योजनाओं के आधार पर एक विशाल पुल तैयार किया गया।

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समुद्र में क्यों नहीं डूबे रामसेतु के पत्थर

वैज्ञानिकों का मानना है कि नल तथा नील शायद जानते थे कि कौन सा पत्थर किस प्रकार से रखने से पानी में डूबेगा नहीं तथा दूसरे पत्थरों का सहारा भी बनेगा। रामसेतु पुल को बनाने के लिए जिन पत्थरों का इस्तेमाल किया गया था, उन्हें ‘प्यूमाइस स्टोन’ कहा जाता है। यह पत्थर ज्वालामुखी के लावा से बनते हैं, जिसमें कई सारे छिद्र होते हैं। इसकी वजह से यह पत्थर एक स्पांजी यानी खंखरा आकार ले लेता है इनका वजन भी सामान्य पत्थरों से काफी कम होता है और छिद्रों में हवा भरी रहती है। यही कारण है कि यह पत्थर पानी में जल्दी डूबता नहीं है क्योंकि हवा इसे ऊपर ही रखती है।

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क्यों गायब हो गया पुल

भले ही यह पत्थर पानी में नहीं डूबते लेकिन कुछ समय बाद छिद्रों में हवा की बजाए पानी भर जाता है। इससे पत्थरों का वजन बढ़ जाता है और वो पानी में डूबने लगते हैं। यही कारण है कि रामसेतु पुल के पत्थर कुछ समय बाद समुद्र में डूब गए और उसके भूभाग पर पहुंच गए।

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Content Writer

Anjali Rajput

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