जन्माष्टमी पर क्यों मनाया जाता है दही-हांडी का उत्सव, कैसे हुई इसकी शुरूआत?

punjabkesari.in Saturday, Aug 24, 2019 - 10:57 AM (IST)

जन्माष्टमी का पर्व भारत में बड़ी ही धूमधाम से मनाया जाता है। जहां कुछ लोग इस दिन श्री-कृष्ण की पूजा करते हैं वहीं बहुत सी जगहों पर दही हांडी उत्सव का आयोजन भी किया जाता है। मगर क्या आप जानते हैं कि आखिर दही हांडी का फेस्टिवल जन्माष्टमी के दिन क्यों मनाया जाता है और क्या है इसका महत्व।

 

चलिए पहले आपकी बताते हैं कि कृष्ण जन्माष्टमी क्यों मनाई जाती है...
बता दें कि जन्माष्टमी का पर्व श्री कृष्ण के जन्म के उपलक्ष्य में मनाया जाता है। पुराणों के मुताबिक, कंस मुथरा के लोगों पर बहुत अत्याचार करता था, जिससे मुक्ति दिलाने के लिए इन दिन भगवान विष्णु ने श्री-कृष्ण के रूप में धरती पर जन्म लिया था। यही कारण है इस दिन को भारत के हर कोने में धूमधाम से मनाया जाता है।

श्रीकृष्ण को कहा जाता है 'माखन चोर'

बचपन में श्रीकृष्ण बेहद ही नटखट थे और पूरे गांव में उन्हें उनकी शरारतों के लिए जाना जाता था। श्रीकृष्ण को माखन, दही और दूध काफी पंसद था, वो भी इतना की वह पूरे गांव का माखन चोरी करके खा जाते थे। इक दिन माखन चोरी करने से रोकने के लिए उनकी मां यशोदा को उन्हें एक खंभे से बांध दिया लेकिन फिर वो किसी तरह माखन तक पहुंच गए। बस यह से भगवान श्रीकृष्ण का नाम 'माखन चोर' पड़ गया।

क्यों मनाया जाता है दही-हांडी का उत्सव?

ऐसा कहा जाता है कि वृन्दावन में महिलाओं ने मथे हुए माखन की मटकी को ऊंचाई पर लटकाना शुरू कर दिया, ताकि श्रीकृष्ण का हाथ वहां तक न पहुंच सके। मगर नटखट कृष्ण अपने दोस्तों के साथ मिलकर एक पिरामिड बनाते और ऊंचाई पर लटकाई मटकी से दही और माखन को चुरा लेते। वहीं से प्रेरित होकर दही हांडी का चलन शुरू हुआ। अब यह एक खेल बन गया है, जिसमें लोग गाना गाते हैं और ग्रुप के साथ मिलाकर दही की हांडी तोड़ते हैं।

गुजरात और महाराष्ट्र की दही हांडी है फेमस

जन्माष्टमी की सबसे लोकप्रिय परंपरा में से एक दही हांडी फोड़ने का रिवाज भी है। इस परंपरा को बड़े उत्साह के साथ मनाया जाता है। लोग अपने गली मुहल्ले में दहीं हांडी की प्रतियोगिता रखते हैं फिर समूह के लोग चढ़कर मटकी फोड़ कार्यक्रम करते हैं। खासतौर पर यह परंपरा भारत में गुजरात और महाराष्ट्र में देखी जाती है।

Content Writer

Anjali Rajput