कब से मनाई जा रही है तीज, त्याग से हुई थी इसकी शुरूआत

punjabkesari.in Saturday, Jul 20, 2019 - 12:10 PM (IST)

कल यानि 20 जुलाई से तीज का त्यौहार शुरू हो रहा है। तीज का त्यौहार श्रावण माह के शुक्ल पक्ष की तृतीया को भारत के कई शहरों में सेलिब्रेट किया जाता है। करवाचौथ की तरह महिलाओं को तीज का भी ब्रेसबी से इंतजार रहता है क्योंकि इस दिन महिलाएं ना सिर्फ सोलह श्रृगांर करती हैं बल्कि वह अपनी सहेलियों के साथ झूला झूलती और लोकगीत भी गाती हैं। मगर क्या आपने कभी सोचा है कि इस त्यौहार की शुरूआत क्यों हुई।

 

क्यों मनाया जाता है तीज का त्यौहार?

ऐसा माना जाता है कि श्रावण मास की शुक्ल पक्ष की तृतीया को भगवान शिव देवी पार्वती की तपस्या से प्रसन्न हुए और उन्हें दर्शन दिए, साथ ही उन्हें अपनी पत्नी बनाने का वरदान दिया था। ऐसी मान्यता है कि सुहागिनें अपनी शादीशुदा जिंदगी में भगवान का आशीर्वाद,पति की लंबी उम्र की कामना और सुख हासिल करने के लिए इस त्योहार को चाव से मनाती हैं।

त्यौहार का महत्व?

तीज के दौरान औंरतें सोलह श्रृगांर करके, हाथों में मेहंदी लगाकर पूरे रीती-रिवाजों के साथ इस दिन भगवान शिव माता पार्वती की पूजा करती है। वहीं कुछ महिलाएं इस दिन वर्त भी रखती हैं। हालांकि समय के साथ-साथ धर्म परंपराओं से जुड़े इन त्यौहारों का महत्व कम हो रहा है, खासकर आधुनिक समाज इन परंपराओं को ज्यादा तवज्जो नही देता है। मगर आज भी कई शहरों में इस त्यौहार को बड़ी ही हर्ष-उल्लास के साथ मनाया जाता है।

मुख्य रस्में

इस उत्सव को हम मेंहदी रस्म भी कह सकते हैं। महिलाएं इस दिन अपने हाथों और पैरों में मेंहदी रचाती हैं।सुहागिन महिलाएं मेंहदी रचाने के बाद अपने कुल की बुजुर्ग महिलाओं से आशीर्वाद लेती हैं। वहीं इस दिन झूला-झूलने का भी रिवाज है।

जरूरी है इन नियमों का पालन

-सूर्योदय से पहले उठकर नहाना और नए कपड़े पहनना
-मंदिर जाकर रीति-रिवाजों से भगवान शिव व माता पार्वती की पूजा करना
-घर आकर पति के पैर छूने पड़ते है, निर्जला व्रत भी करना पड़ता है।  
-बिल्व के पत्ते ,फुल और अगरबत्ती भगवान पर अर्पित होते है। 
-अगले दिन औरतें खाना खा कर अपना व्रत तोड़ सकती है।

Content Writer

Anjali Rajput